
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को लेकर 11 अगस्त 2023 को जारी अपने पुराने आदेश में महत्वपूर्ण संशोधन करते हुए बड़ा फैसला सुनाया है। अब कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि आवारा कुत्तों को पकड़ने के बाद नसबंदी और टीकाकरण कर, उन्हें उसी स्थान पर छोड़ा जाए जहां से उन्हें उठाया गया था। हालांकि यह आदेश रेबीज से संक्रमित, रेबीज की आशंका वाले या आक्रामक स्वभाव वाले कुत्तों पर लागू नहीं होगा।
इस आदेश से जहां पशु अधिकारों के लिए काम कर रहे संगठनों को राहत मिली है, वहीं आम जनता के बीच भी इस फैसले ने एक बार फिर चर्चा को जन्म दे दिया है कि किस तरह मानव और पशु के बीच संतुलन कायम किया जाए।
तीन न्यायाधीशों की विशेष पीठ ने लिया फैसला
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की विशेष पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति संदीप मेहता और न्यायमूर्ति एन वी अंजारैया भी शामिल थे, ने यह स्पष्ट किया कि 11 अगस्त 2023 के उस निर्देश को फिलहाल स्थगित रखा जाएगा, जिसमें कहा गया था कि सभी आवारा कुत्तों को डॉग शेल्टर्स में रखा जाए। इस आदेश के अनुसार, अब नगर निगम अधिकारियों की जिम्मेदारी होगी कि वे ऐसे विशेष ‘फीडिंग ज़ोन’ बनाएं, जहां पर लोग आवारा कुत्तों को खाना खिला सकें। इसके अलावा, अब सड़कों पर आवारा कुत्तों को खाना खिलाना पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा।
सड़कों पर खाना खिलाने पर सख्त रोक, फीडिंग ज़ोन बनाए जाएंगे
कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सार्वजनिक सड़कों पर आवारा कुत्तों को खाना खिलाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। न्यायालय ने नगर निकायों को निर्देश दिए हैं कि वे विशेष नगरपालिका वार्डों में कुत्तों की आबादी और घनत्व के आधार पर भोजन क्षेत्र निर्धारित करें।
इन फीडिंग ज़ोन में नोटिस बोर्ड लगाए जाएंगे, जिन पर स्पष्ट रूप से लिखा होगा कि “आवारा कुत्तों को केवल इन विशेष क्षेत्रों में ही भोजन दिया जा सकता है।” यदि कोई व्यक्ति इस आदेश का उल्लंघन करता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
पशु प्रेमी अब कुत्तों को गोद लेने के लिए कर सकते हैं आवेदन
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि कोई पशु प्रेमी कुत्तों की देखभाल करना चाहता है, तो वह दिल्ली नगर निगम (MCD) के समक्ष गोद लेने का आवेदन कर सकता है। यह पहल न केवल आवारा कुत्तों को एक सुरक्षित जीवन दे सकती है, बल्कि इससे शहरी क्षेत्रों में उनके प्रबंधन में भी सहायता मिलेगी।
कर्मचारियों के काम में बाधा पहुंचाने पर होगी कार्रवाई
न्यायालय ने यह भी सख्त निर्देश दिया कि यदि कोई व्यक्ति किसी लोक सेवक को अपना कर्तव्य निभाने से रोकता है, तो वह उत्तरदायी ठहराया जाएगा और उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इस फैसले से यह स्पष्ट होता है कि कोर्ट इस मुद्दे को गंभीरता से ले रहा है और जमीन पर आदेशों के क्रियान्वयन को लेकर सजग है।
देशभर में लागू होगा आदेश, सभी राज्यों को पक्षकार बनाया
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को अब सिर्फ दिल्ली-एनसीआर तक सीमित न रखते हुए पूरे देश तक बढ़ा दिया है। न्यायालय ने भारत के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इस मामले में पक्षकार बनाते हुए स्पष्ट किया कि विभिन्न उच्च न्यायालयों में आवारा कुत्तों से संबंधित लंबित याचिकाएं अब सुप्रीम कोर्ट के पास स्थानांतरित की जाएंगी।
कोर्ट ने इस आदेश को उस याचिका पर सुनाया, जिसमें 11 अगस्त 2023 के निर्देश पर रोक लगाने की मांग की गई थी। अब इस मामले की अगली सुनवाई आठ सप्ताह बाद होगी।
पिछला आदेश: जब कोर्ट ने दिया था कुत्तों को शेल्टर में रखने का आदेश
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने 28 जुलाई 2023 को एक मीडिया रिपोर्ट के आधार पर स्वतः संज्ञान लेते हुए मामला दर्ज किया था, जिसमें बताया गया था कि दिल्ली-एनसीआर में बच्चों पर कुत्तों के हमलों की संख्या बढ़ रही है और इससे रेबीज फैलने का खतरा भी बढ़ा है।
इसके बाद 11 अगस्त 2023 को सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की पीठ ने आदेश दिया था कि दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम और फरीदाबाद जैसे क्षेत्रों में आवारा कुत्तों को पकड़कर स्थायी रूप से डॉग शेल्टर्स में रखा जाए। इस आदेश को लेकर पशु अधिकार कार्यकर्ताओं और आम जनता के बीच मिली-जुली प्रतिक्रियाएं सामने आई थीं।