
भारत और पाकिस्तान ने शुक्रवार को जम्मू कश्मीर के पुंछ जिले में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर एक ‘फ्लैग मीटिंग’ की, जिसके दौरान दोनों देशों के बीच सीमा पर शांति बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया गया। इस बैठक का आयोजन सीमा पार से हाल में हुई गोलीबारी और आईईडी हमले के कारण बढ़े तनाव को कम करने के प्रयास के तहत किया गया था। दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच यह बैठक सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई और इसमें दोनों पक्षों ने संघर्ष विराम समझौते का पालन करने पर सहमति जताई।
‘फ्लैग मीटिंग’ में हुई चर्चा
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, यह ब्रिगेड कमांडर स्तर की ‘फ्लैग मीटिंग’ थी, जो ‘चक्कन-दा-बाग क्रॉसिंग प्वाइंट’ क्षेत्र में हुई। सूत्रों के मुताबिक, यह बैठक लगभग 75 मिनट तक चली और करीब 11 बजे शुरू हुई। दोनों पक्षों ने बैठक के दौरान सीमा पर शांति बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव के बावजूद, संघर्ष विराम समझौते का पालन किया जाना चाहिए।
बैठक के बाद, सूत्रों ने बताया कि यह एक सौहार्दपूर्ण बैठक थी, जिसमें दोनों पक्षों ने एक दूसरे से सहयोग की भावना से काम करने और तनाव को कम करने की दिशा में आगे बढ़ने का निर्णय लिया। बैठक के दौरान, विशेष रूप से नियंत्रण रेखा पर किसी भी तरह की संघर्ष विराम उल्लंघन की घटनाओं को रोकने के उपायों पर भी चर्चा की गई।
संघर्ष विराम समझौते का महत्व
भारत और पाकिस्तान के बीच 25 फरवरी 2021 को संघर्ष विराम समझौते को नवीनीकरण किया गया था। इसके बाद से जम्मू-कश्मीर की सीमाओं पर संघर्ष विराम उल्लंघन की घटनाओं में कमी आई है, हालांकि कुछ चिंताजनक घटनाएं भी हुईं हैं। दोनों देशों के बीच हुए समझौते से सीमा पर तनाव कम करने और दोनों पक्षों के बीच सैन्य संघर्ष को रोकने में मदद मिली है।
हालांकि, हाल ही में सीमा पर कुछ नई घटनाएं घटी हैं, जिनसे तनाव में वृद्धि हुई। इन घटनाओं में पाकिस्तान की ओर से की गई गोलीबारी और भारतीय सैनिकों की शहादत जैसी घटनाएं शामिल हैं।
सीमा पर हाल की घटनाएं
समाचार एजेंसी IANS के अनुसार, भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम के बाद से सीमा पर घटनाएं घटित होने लगी हैं, लेकिन पिछले कुछ समय में कुछ घटनाओं ने चिंता बढ़ा दी है। 11 फरवरी को नियंत्रण रेखा के अखनूर सेक्टर में पाकिस्तान की ओर से की गई गोलीबारी में दो भारतीय सेना के जवान शहीद हो गए थे, और पुंछ और राजौरी जिलों में भी इसी तरह की घटनाएं सामने आईं। इन घटनाओं में पाकिस्तान की ओर से की गई गोलीबारी में दो भारतीय जवान घायल हो गए थे। भारतीय सेना ने इन घटनाओं का मुंहतोड़ जवाब दिया और पाकिस्तान की तरफ से भी कुछ लोग हताहत होने की खबरें आईं।
इन घटनाओं के बाद, भारतीय सेना और सुरक्षाबलों ने जम्मू-कश्मीर में कड़ी चौकसी बढ़ा दी है, खासकर एलओसी के पास और भीतर के इलाकों में। सीमा पर चल रही घटनाओं के मद्देनजर सुरक्षा बलों को विशेष निर्देश दिए गए हैं।
सुरक्षा बलों को सख्त निर्देश
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा स्थिति पर दो सुरक्षा समीक्षा बैठकों की अध्यक्षता की, जिनमें उन्होंने सुरक्षाबलों को शून्य घुसपैठ और आतंकवादियों के खिलाफ शून्य सहिष्णुता की नीति अपनाने का निर्देश दिया। इन बैठकों में, गृह मंत्री ने राज्य की सुरक्षा स्थिति की समीक्षा करते हुए सुरक्षाबलों से आतंकवादियों के नेटवर्क को खत्म करने और सीमा पार से होने वाली घुसपैठ को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की बात कही।
इसके अलावा, जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने भी हाल ही में दो सुरक्षा बैठकें कीं। एक बैठक श्रीनगर में और दूसरी जम्मू में आयोजित की गई। इन बैठकों में, उपराज्यपाल ने पुलिस और सुरक्षा बलों से आतंकवादियों, उनके ओवर-ग्राउंड वर्कर्स (OGWs) और समर्थकों को निशाना बनाने की बात की, ताकि आतंकवादियों के नेटवर्क को जड़ से उखाड़ा जा सके।
जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा स्थिति
इस समय जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा स्थिति में कुछ हद तक बदलाव आया है, खासकर बर्फबारी के कम होने के बाद। जैसे-जैसे सर्दी की समाप्ति हो रही है, घुसपैठ के पारंपरिक रास्ते फिर से खुलने लगे हैं, और सुरक्षा बल इन रास्तों पर कड़ी नजर रखे हुए हैं। जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों को शून्य घुसपैठ की नीति का पालन करते हुए पूरी तरह से सतर्क रहना होगा, ताकि कोई भी असामाजिक तत्व राज्य में घुसकर आतंकवाद फैलाने में सफल न हो सके।
सुरक्षा समीक्षा की बैठकें
गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में आयोजित सुरक्षा बैठकों में, सुरक्षाबलों से यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया गया कि किसी भी हालत में घुसपैठ न हो, और यदि कोई घुसपैठ करता है, तो उसे पूरी ताकत से नष्ट किया जाए। इसके साथ ही आतंकवादी नेटवर्क को खत्म करने के लिए उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने सुरक्षा बलों से सक्रिय कार्रवाई करने के लिए कहा।
उन्होंने यह भी कहा कि सुरक्षा बलों को आतंकवादियों और उनके सहयोगियों के खिलाफ मजबूत कार्रवाई करनी होगी, ताकि जम्मू-कश्मीर में शांति और सुरक्षा स्थापित की जा सके।