
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने सख्त रुख अपनाते हुए भारत में मौजूद पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे के भीतर देश छोड़ने का आदेश दिया। इसके तहत गुरुवार सुबह से ही अटारी-वाघा बॉर्डर पर पाकिस्तानी नागरिकों की वापसी का सिलसिला शुरू हो गया। सुरक्षा व्यवस्था के बीच बीएसएफ अधिकारियों ने दस्तावेजों की गहन जांच के बाद कुल 104 पाकिस्तानी नागरिकों को पाकिस्तान रवाना किया।
वहीं, पाकिस्तान में फंसे 29 भारतीय नागरिक भी उसी दिन वाघा बॉर्डर से भारत लौटे। हालांकि बॉर्डर की सामान्य गतिविधियों और वातावरण में तनाव साफ नजर आया, जहां हर आम दिन की तुलना में इस बार सुरक्षा सख्त और माहौल सन्नाटे भरा था।
पाक नागरिकों की वापसी: शांतिपूर्ण प्रक्रिया लेकिन भारी मन
गुरुवार सुबह 8 बजे से ही अटारी बॉर्डर पर पाकिस्तानी नागरिकों की लाइन लगनी शुरू हो गई थी। बीएसएफ अधिकारियों ने सभी के वीजा और पहचान पत्रों की कड़ी जांच के बाद उन्हें बॉर्डर पार करने की अनुमति दी। शाम 5 बजे तक 104 पाकिस्तानी नागरिक भारत छोड़ चुके थे।
इनमें से कई लोग रिश्तेदारों से मिलने भारत आए थे और अचानक लौटने का आदेश मिलने से वे स्तब्ध थे। लाहौर निवासी महमूद अहमद, जो कुछ दिन पहले कानपुर में अपने रिश्तेदारों से मिलने आए थे, ने बॉर्डर पर कहा, “हम चाहते हैं कि दोनों देशों में अमन हो। हम आम लोग तो एक-दूसरे से मिलने और रिश्ते निभाने ही आते हैं।”
सीमा की पीड़ा: बहन से मिलने की चाह अधूरी
भारत में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों को वापस भेजने के बीच एक भावुक दृश्य सीमा नामक महिला की कहानी रही। वह कानपुर से अटारी पहुंची थीं, पाकिस्तान जाने के लिए। उनकी बहन कराची में गंभीर रूप से बीमार है और सीमा ने वीजा भी प्राप्त कर लिया था। लेकिन पहलगाम हमले के बाद लगे प्रतिबंधों के कारण उन्हें पाकिस्तान जाने की इजाजत नहीं मिली।
सीमा रोते हुए बोलीं, “आतंकी वारदातों का खामियाजा हम जैसे आम लोगों को उठाना पड़ रहा है। मेरी बहन जिंदगी और मौत के बीच झूल रही है और मुझे उससे मिलने नहीं दिया जा रहा।”
रिट्रीट सेरेमनी में दिखा आक्रोश, गेट बंद रहे
गुरुवार को अटारी-वाघा बॉर्डर पर रोजाना होने वाली रिट्रीट सेरेमनी तो हुई, लेकिन माहौल पूरी तरह बदला हुआ था। बीएसएफ ने सुरक्षा कारणों से बॉर्डर गेट बंद रखे और दोपहर तक जो पर्यटक सेरेमनी देखने पहुंचे थे, उन्हें वापस भेज दिया गया। बाद में आदेश बदलने पर सीमित संख्या में पर्यटकों को अनुमति दी गई।
जहां रोजाना लगभग 25 हजार लोग रिट्रीट सेरेमनी देखने आते हैं, गुरुवार को यह संख्या घटकर 3 से 4 हजार रह गई। बीएसएफ जवानों ने परेड के दौरान अपने गुस्से और आक्रोश को कदमताल में दिखाया। समारोह में राष्ट्रभक्ति और सुरक्षा का संदेश प्रमुख रहा।
हुसैनीवाला और सादकी बॉर्डर पर भी सुरक्षा सख्त
फिरोजपुर के हुसैनीवाला बॉर्डर और फाजिल्का के सादकी बॉर्डर पर भी गुरुवार को रिट्रीट सेरेमनी आयोजित की गई। सोशल मीडिया पर खबरें थीं कि सेरेमनी रद्द की जा सकती है, लेकिन स्थानीय प्रशासन ने सुरक्षा बढ़ाते हुए इसे जारी रखा।
यहां भी बीएसएफ और पाकिस्तान रेंजर्स के बीच कड़ी निगरानी में सेरेमनी हुई। स्थानीय लोगों और पर्यटकों की संख्या सीमित रही, लेकिन जो लोग पहुंचे, उन्होंने कहा कि यह समारोह दोनों देशों के बीच परंपरा और सैन्य गर्व का प्रतीक है।
व्यापार पर असर: आईसीपी बंद, ट्रकों की आवाजाही रुकी
भारत सरकार द्वारा इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट (ICP) को भी बंद करने के आदेश दिए गए हैं, जिससे भारत-पाकिस्तान के बीच का व्यापार ठप पड़ने की संभावना है। भारत का अफगानिस्तान के साथ भी व्यापार वाया पाकिस्तान होता है, जिसके लिए ट्रक आईसीपी पर पहुंचते हैं।
फिलहाल जो ट्रक पहुंच चुके हैं, उन्हें भारत में प्रवेश की अनुमति दी गई है, लेकिन आने वाले दिनों में पूरी आवाजाही बंद की जा सकती है। इससे स्थानीय व्यापारियों को भारी घाटा होने की आशंका है। व्यापार विशेषज्ञों का मानना है कि अब अफगानिस्तान से व्यापार के लिए नया मार्ग तलाशना पड़ेगा, जिससे माल की लागत बढ़ सकती है और व्यापार धीमा हो सकता है।
भारत का कड़ा संदेश: आतंक और इंसानियत साथ नहीं
भारत सरकार द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ लिए गए इन त्वरित और कड़े निर्णयों से साफ संकेत गया है कि भारत अब आतंकवाद को सहने के मूड में नहीं है। भारत में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे में देश छोड़ने का आदेश, आईसीपी को बंद करना, और वाघा बॉर्डर पर पर्यटकों की सीमित आवाजाही — ये सभी कदम सख्त और निर्णायक नीति का हिस्सा हैं।
पिछले कुछ दिनों में भारत सरकार ने पहले ही सिंधु जल संधि पर रोक लगाई है, और अब इन नीतियों के साथ वह यह स्पष्ट कर रही है कि “अब खून और पानी एक साथ नहीं बहेंगे।”