
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गुरुवार को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर के साथ हुई संयुक्त प्रेस वार्ता कई मायनों में खास रही। जहां एक ओर भारत-ब्रिटेन संबंधों को लेकर रणनीतिक मुद्दों पर बात हुई, वहीं एक अनपेक्षित, हल्के-फुल्के पल ने कूटनीतिक मंच पर एक मानवीय और सहज स्पर्श भी जोड़ दिया।
यह पल तब आया जब हिंदी से अंग्रेजी अनुवाद करते समय प्रधानमंत्री मोदी के अनुवादक से हल्की सी चूक हुई और उन्होंने माफी मांग ली। मोदी ने तत्काल मजाकिया अंदाज में प्रतिक्रिया दी, जिससे न केवल मंच पर उपस्थित लोग मुस्कुरा उठे, बल्कि अंतरराष्ट्रीय संवाद में एक गूंजती हुई सहजता भी देखने को मिली।
अनुवादक की झिझक, पीएम की विनम्रता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आमतौर पर हिंदी में संवाद करते हैं और औपचारिक मंचों पर उनके लिए एक सरकारी अनुवादक अंग्रेजी में अनुवाद करता है। गुरुवार को प्रेस वार्ता के दौरान जब मोदी अपना संबोधन दे रहे थे, उसी दौरान अनुवादक ने बीच में एक अंग्रेजी शब्द का उपयोग कर दिया। इसके बाद वे हिचकिचाए और तुरंत ही माफी मांगते हुए रुक गए।
मंच पर मौजूद सैकड़ों अंतरराष्ट्रीय पत्रकारों और मेहमानों के बीच यह क्षण असहज बन सकता था, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने स्थिति को पूरी तरह से संयम और विनम्रता से संभाल लिया। उन्होंने मुस्कराते हुए कहा, “परेशान मत होइए। हम बीच-बीच में अंग्रेजी शब्दों का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसकी चिंता मत कीजिए।”
यह वाक्य मंच पर एक हल्कापन ले आया। वहां उपस्थित सभी लोगों ने इस सहज प्रतिक्रिया पर हंसी और तालियों के साथ अपनी सहमति जाहिर की। कूटनीतिक मंच, जो आमतौर पर औपचारिकता और सख्त प्रोटोकॉल का परिचायक होता है, कुछ पलों के लिए खुले दिल और मानवीयता का प्रतीक बन गया।
हल्के पल के बाद गंभीर मुद्दे पर सख्त रुख
हालांकि यह क्षण भले ही मजाकिया रहा हो, लेकिन कुछ ही मिनटों के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने अंग्रेजी भाषा का उपयोग करते हुए एक कड़ा और अंतरराष्ट्रीय महत्व का संदेश भी दिया। आतंकवाद और खालिस्तानी तत्वों के मुद्दे पर बोलते हुए उन्होंने कहा: “Those misusing democratic freedoms to undermine democracy itself must be held to account.”
(जो लोग लोकतांत्रिक स्वतंत्रताओं का दुरुपयोग कर लोकतंत्र को कमजोर करते हैं, उन्हें जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।)
प्रधानमंत्री का यह वक्तव्य उन देशों के लिए था जो लोकतंत्र के नाम पर चरमपंथी गतिविधियों को नजरअंदाज करते हैं या उन्हें मौन सहमति देते हैं। इस संदेश में खासकर उन देशों की ओर संकेत था जहां खालिस्तानी समूह सक्रिय हैं और भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं।
आतंकवाद पर दो टूक, अंग्रेजी में वैश्विक चेतावनी
यह पहली बार नहीं है जब प्रधानमंत्री मोदी ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर अंग्रेजी में बयान देकर आतंकवाद पर अपना सख्त रुख जाहिर किया हो। इससे पहले भी, 2024 में पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद उन्होंने बिहार के मधुबनी में एक रैली के दौरान कहा था: “India will identify, track and punish every terrorist and their backers.”
(भारत हर आतंकवादी और उनके समर्थकों की पहचान करेगा, उनका पता लगाएगा और उन्हें दंडित करेगा।)
मोदी की यह रणनीति साफ है—जब संदेश घरेलू जनता के लिए होता है, तब हिंदी, लेकिन जब उसे वैश्विक समुदाय तक पहुंचाना होता है, तब वे बिना हिचक अंग्रेजी का प्रयोग करते हैं।
भारत-ब्रिटेन संबंधों के बीच बढ़ती कूटनीतिक सहजता
इस संयुक्त प्रेस वार्ता का आयोजन प्रधानमंत्री मोदी की ब्रिटेन यात्रा के दौरान किया गया, जिसमें कई रणनीतिक साझेदारियों और मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर बातचीत हुई। दोनों प्रधानमंत्रियों ने व्यापार, रक्षा, शिक्षा और तकनीकी क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर बल दिया।
लेकिन अनुवादक की झिझक और प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिक्रिया ने यह भी दिखा दिया कि कूटनीति केवल रणनीति नहीं, भावनाओं और संवेदनशीलता का भी नाम है। इस तरह की सहजता से यह स्पष्ट होता है कि भारत आज आत्मविश्वास के साथ वैश्विक मंच पर खड़ा है।