
प्रसिद्ध अभिनेता और फिल्म निर्देशक मनोज कुमार का शुक्रवार सुबह निधन हो गया। 87 साल की उम्र में उन्होंने कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में अंतिम सांस ली। मनोज कुमार का निधन भारतीय सिनेमा के लिए एक बड़ी क्षति है, और उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। उन्हें देशभक्ति से जुड़ी फिल्मों के लिए जाना जाता था, और उन्हें ‘भारत कुमार’ के नाम से भी सम्मानित किया जाता था। इस खबर के बाद सिनेमा जगत में शोक की लहर दौड़ गई है।
उनकी अंतिम यात्रा को लेकर परिवार द्वारा जानकारी दी गई कि उनके अंतिम दर्शन के लिए शुक्रवार दोपहर बाद विशाल टॉवर, जुहू में उनके पार्थिव शरीर को रखा जाएगा। उनका अंतिम संस्कार शनिवार सुबह पवन हंस श्मशान घाट, जुहू में किया जाएगा।
मनोज कुमार का निधन दिल का दौरा पड़ने से हुआ, लंबे समय से थे बीमार
मेडिकल रिपोर्ट के मुताबिक, मनोज कुमार ने सुबह 3:30 बजे अंतिम सांस ली। उनका निधन दिल का दौरा पड़ने के कारण हुआ था, और इस दौरान उनकी हालत पहले से खराब चल रही थी। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि मनोज कुमार पिछले कुछ महीनों से डीकंपेंसेटेड लिवर सिरोसिस से जूझ रहे थे। फरवरी 2025 में उनकी तबीयत अधिक बिगड़ी थी और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
मनोज कुमार का निधन भारतीय सिनेमा के लिए अपूरणीय क्षति है, क्योंकि उनके योगदान ने फिल्म इंडस्ट्री को नया दिशा दी थी। उनके अभिनय और निर्देशन से प्रेरित होकर सिनेमा की दुनिया को एक नई दिशा मिली। उन्हें कई पुरस्कारों से नवाजा गया था, जिनमें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और सात फिल्मफेयर पुरस्कार शामिल थे।
मनोज कुमार को मिला था दादा साहब फाल्के पुरस्कार, सिनेमा में योगदान को किया गया सम्मानित
मनोज कुमार को उनके अपार योगदान के लिए भारतीय सरकार ने 1992 में पद्म श्री और 2015 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया था। दादा साहब फाल्के पुरस्कार सिनेमा जगत में सबसे प्रतिष्ठित सम्मान माना जाता है, और यह पुरस्कार उन्हें उनके देशभक्ति और फिल्मों के माध्यम से किए गए योगदान के लिए दिया गया था।
मनोज कुमार के निधन पर फिल्म निर्माता अशोक पंडित ने कहा, “महान दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित, हमारे प्रेरणास्रोत और भारतीय फिल्म उद्योग के ‘शेर’ मनोज कुमार जी अब हमारे बीच नहीं रहे। यह फिल्म उद्योग के लिए बहुत बड़ी क्षति है और पूरी इंडस्ट्री उन्हें हमेशा याद करेगी।”
मनोज कुमार का असली नाम और सिनेमा में करियर की शुरुआत
मनोज कुमार का असली नाम था हरिकिशन गिरि गोस्वामी। उन्होंने सिनेमा में कदम रखने से पहले अपना नाम बदल लिया था, और उन्हें ‘भारत कुमार’ के नाम से लोकप्रियता मिली। उनका जन्म 24 जुलाई 1937 को ऐबटाबाद, जो अब पाकिस्तान का हिस्सा है, में हुआ था। विभाजन के समय उनके माता-पिता भारत आ गए थे, और मनोज कुमार ने दिल्ली में अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी की।
सिनेमा में उनके करियर की शुरुआत 1957 में फिल्म ‘फैशन’ से हुई थी। इसके बाद 1960 में उनकी फिल्म ‘कांच की गुड़िया’ रिलीज हुई, जो सफल रही। लेकिन उनकी असली पहचान बनी फिल्म ‘उपकार’ से, जो 1967 में रिलीज हुई। इस फिल्म के जरिए मनोज कुमार ने अपनी अभिनय क्षमता और देशभक्ति के प्रति समर्पण को दर्शाया। इसके बाद उन्होंने ‘पत्थर के सनम’, ‘रोटी कपड़ा और मकान’, ‘संन्यासी’, और ‘क्रांति’ जैसी फिल्मों में अभिनय किया, जिनमें उनका नाम ‘भारत कुमार’ था। यह नाम उनके चाहने वालों के बीच आज भी प्रचलित है।
मनोज कुमार की फिल्म ‘उपकार’ और लाल बहादुर शास्त्री का प्रभाव
मनोज कुमार की फिल्म ‘उपकार’ का विशेष महत्व है, क्योंकि इसे उन्होंने भारतीय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के कहने पर बनाई थी। शास्त्री जी ने अभिनेता से मुलाकात की थी और उन्हें युद्ध के बाद सैनिकों की स्थिति और संघर्षों पर एक फिल्म बनाने का सुझाव दिया था। मनोज कुमार ने इस सुझाव को स्वीकार किया और ‘उपकार’ बनाई, जो दर्शकों के बीच बेहद सफल रही।
हालांकि, शास्त्री जी को यह फिल्म देखने का अवसर नहीं मिल सका, क्योंकि ताशकंद से लौटने के बाद उनकी मृत्यु हो गई थी। लेकिन फिल्म ‘उपकार’ ने भारतीय सिनेमा में एक महत्वपूर्ण स्थान बना लिया।
इमरजेंसी और राजनीति में मनोज कुमार का संघर्ष
मनोज कुमार का करियर सिर्फ सिनेमा तक सीमित नहीं था, वे राजनीति और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी का अहसास भी करते थे। 1975 में भारत में आपातकाल लागू होने के दौरान मनोज कुमार ने इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ विरोध किया। इस समय के दौरान उनकी कई फिल्मों पर प्रतिबंध लगा दिया गया। ‘शोर’ फिल्म को दूरदर्शन पर प्रसारित किया गया और ‘दस नंबरी’ फिल्म को बैन कर दिया गया था।
मनोज कुमार ने कभी भी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। उन्होंने एक बार इमरजेंसी पर बनी एक डॉक्युमेंट्री का निर्देशन करने का प्रस्ताव ठुकरा दिया था, क्योंकि उन्हें लगा कि यह फिल्म सरकारी प्रभाव में बनाई जाएगी।