
भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए यह ऐतिहासिक क्षण रहा, जब भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला और उनके अंतरराष्ट्रीय क्रू मेंबर्स 18 दिन अंतरिक्ष में बिताने के बाद सोमवार को सकुशल धरती पर लौट आए। अंतरिक्ष की कठिन परिस्थितियों में बिताए गए इन दिनों में उन्होंने विज्ञान, अनुसंधान और अंतरिक्ष जीवनशैली से जुड़े कई महत्त्वपूर्ण प्रयोग और अनुभव साझा किए हैं।
शुक्ला के साथ इस मिशन में शामिल अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री जॉनी किम ने सोशल मीडिया पर कुछ बेहद दिलचस्प तस्वीरें और अनुभव साझा किए, जिनमें अंतरिक्ष में फोटो खींचने की तकनीकी जटिलताओं को लेकर विस्तृत जानकारी दी गई है।
अंतरिक्ष यात्रा की सफलता: भारत के लिए गौरव का क्षण
शुभांशु शुक्ला की यह यात्रा भारत के अंतरिक्ष इतिहास में मील का पत्थर मानी जा रही है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के सहयोग से और अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसियों की संयुक्त पहल के तहत यह मिशन संचालित किया गया। 18 दिन की यह यात्रा विज्ञान, तकनीक और अंतरिक्ष जीवन के अनुभवों से भरपूर रही। इस दौरान भारतीय अंतरिक्ष यात्री ने माइक्रोग्रैविटी (Microgravity) पर प्रयोग, जैविक अनुसंधान, फिजिकल एक्टिविटी और भोजन के व्यवहार पर गहन अध्ययन किया।
अंतरिक्ष में जिंदगी: फोटो खींचना भी एक चैलेंज
मिशन के एक खास पहलू की चर्चा खास तौर पर लोगों को आकर्षित कर रही है—स्पेस फोटोग्राफी, यानी अंतरिक्ष में तस्वीरें लेना। ज़ाहिर है, धरती की तरह वहां न गुरुत्वाकर्षण होता है, न स्थिरता। ऐसे में फोटो लेना एक तकनीकी चुनौती बन जाती है। जॉनी किम ने इस बारे में बताया कि जब वे और उनके साथी अंतरिक्ष में तस्वीरें खींचना चाहते थे, तो उन्हें पहले इस बात का समाधान खोजना पड़ा कि बिना ग्रैविटी के कैमरे को स्थिर कैसे रखा जाए?
कैसे ली गई तस्वीरें? जॉनी किम की पोस्ट से जानिए
जॉनी किम ने इंस्टाग्राम और X (पूर्व में ट्विटर) पर एक विस्तृत पोस्ट शेयर करते हुए लिखा, “स्पेस स्टेशन में तस्वीरें लेना किसी रोमांटिक फोटोग्राफी जैसा नहीं होता। यहां न कोई कैमरा पकड़ सकता है, न स्थिर खड़ा हो सकता है। हम लोग अक्सर स्पेस स्टेशन की दीवार पर खास ट्राइपॉड माउंट करते हैं। कैमरे को उसी ट्राइपॉड में फिक्स कर देते हैं ताकि वह हिले नहीं। फिर हम कैमरे में टाइमर या टाइम-लैप्स मोड सेट करते हैं। फोटो खुद से क्लिक होती रहती है। हम बस कैमरे के सामने तैरते हुए पोज़ बनाते हैं।” जॉनी किम की इस जानकारी से यह स्पष्ट हुआ कि माइक्रोग्रैविटी में भी रचनात्मक समाधान खोजे जा सकते हैं।
कैमरा सेटअप: माइक्रोग्रैविटी में काम करना कितना मुश्किल
शुभांशु शुक्ला ने भी इस अनुभव की पुष्टि की और बताया कि कैमरे को सेट करते समय यह सुनिश्चित करना पड़ता है कि वह किसी भी वस्तु से टकराकर हिले नहीं। इसके लिए कैमरे को एक विशेष लॉकिंग माउंट पर लगाया जाता है, जिसे स्पेस स्टेशन की आंतरिक दीवार पर क्लिप किया जाता है। इसके अलावा, कैमरे में ऑटोफोकस और एक्सपोजर सेटिंग्स को मैनुअली एडजस्ट किया जाता है क्योंकि रोशनी की तीव्रता स्पेस में लगातार बदलती रहती है।
लगातार क्लिक होती रहीं तस्वीरें
स्पेस में स्थायित्व न होने की वजह से, अंतरिक्ष यात्री सिंगल शॉट के बजाय इंटरवल फोटोग्राफी का इस्तेमाल करते हैं। इसका मतलब है कि कैमरा हर कुछ सेकंड में खुद से एक तस्वीर खींचता रहता है। इससे एंगल या टाइमिंग चूकने का खतरा नहीं रहता। इस तकनीक से न केवल क्रू की ग्रुप फोटोज़ ली गईं, बल्कि अंतरिक्ष स्टेशन के विभिन्न हिस्सों और धरती की खूबसूरत झलकियों को भी कैद किया गया।
भारत का अंतरिक्ष में बढ़ता कदम
शुभांशु शुक्ला की यह यात्रा भारत के लिए मनोबल बढ़ाने वाली साबित हुई है। ISRO के वैज्ञानिकों और भारतीय अंतरिक्ष समुदाय के लिए यह संकेत है कि भारत अब मानव अंतरिक्ष अभियानों में भी सशक्त रूप से अपनी भागीदारी निभा रहा है। इससे पहले भारत का मानव अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’ प्रगति पर है, और शुक्ला जैसे अनुभवी अंतरिक्ष यात्रियों का योगदान मिशन की सफलता में आधारशिला साबित होगा।
आम जिंदगी से अंतरिक्ष तक का सफर
शुभांशु शुक्ला का सफर एक आम भारतीय के लिए प्रेरणादायक कहानी है। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से विज्ञान की पढ़ाई की और बाद में ISRO के स्पेस ट्रेनिंग प्रोग्राम में चयनित हुए। NASA और ESA से प्रशिक्षण प्राप्त कर उन्होंने अपनी पहली अंतरिक्ष यात्रा को ऐतिहासिक बना दिया। उनकी यह यात्रा न केवल वैज्ञानिक दृष्टि से बल्कि सामाजिक प्रेरणा के रूप में भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
लौटने के बाद पहला संदेश: “हम इंसानों की जिज्ञासा ही हमें सितारों तक ले जाती है”
धरती पर लौटने के बाद शुभांशु शुक्ला ने मीडिया से बातचीत में कहा: “स्पेस में बिताया हर एक पल अनमोल था। वहां हर काम चुनौती है, लेकिन वह हमें यह सिखाता है कि इंसानी बुद्धि और जिज्ञासा हमें कितनी दूर ले जा सकती है। हम लौटे हैं, लेकिन अंतरिक्ष की ओर हमारा कदम अब और दृढ़ है।”
अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में जाने वाले पहले भारतीय
भारत के अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष से सफलतापूर्वक लौट आए हैं. एक्सिओम-4 मिशन के तहत शुक्ला और उनके तीन साथी अंतरिक्ष यात्री ड्रैगन ग्रेस यान से धरती पर लौटे. उनका यान ड्रैगन ग्रेस दक्षिणी कैलिफोर्निया के सैन डिएगो के पास समुद्र में सुरक्षित लैंड हुआ. इस ऐतिहासिक मिशन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शुभांशु शुक्ला को बधाई दी है. आपको बता दें शुभांशु शुक्ला के साथ अमेरिका, पोलैंड और हंगरी के क्रू मेंबर भी थे. शुभांशु शुक्ला अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन तक पहुंचने वाले भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री बने हैं.