हरियाणा के पवित्र भूमि कुरुक्षेत्र में आयोजित होने वाला 9वां अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव इस साल 28 नवंबर से 15 दिसंबर तक मनाया जाएगा। इस 18 दिवसीय महोत्सव के मुख्य कार्यक्रम 5 से 11 दिसंबर तक आयोजित किए जाएंगे। महोत्सव की शुरुआत 5 दिसंबर को ब्रह्मसरोवर के पुरुषोत्तमपुरा बाग में गीता यज्ञ और पूजन से होगी। इस बार, यूनाइटेड रिपब्लिक ऑफ तंजानिया को भागीदार देश और ओडिशा को सहयोगी राज्य के रूप में आमंत्रित किया गया है।
मुख्य कार्यक्रम और विशेष आयोजन
मुख्यमंत्री के नेतृत्व में आयोजित होने वाला यह महोत्सव पिछले वर्षों की तरह इस बार भी अत्यधिक भव्य होगा। शुक्रवार को चंडीगढ़ में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी तंजानिया की उच्चायुक्त अनीशा कपुफी मोबेगा और ओडिशा के संस्कृति राज्य मंत्री सूर्यवंशी सूरज ने महोत्सव के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने इस अवसर पर कहा, “श्रीमद्भगवद्गीता में हर समस्या का समाधान निहित है। यह एक ऐसा पवित्र ग्रंथ है, जिसे दुनिया के बड़े अर्थशास्त्रियों और विचारकों ने अपनी प्रेरणा माना है। हमारी सरकार का उद्देश्य गीता के संदेश को हर घर तक पहुंचाना है।” उन्होंने यह भी बताया कि इस महोत्सव में पिछले वर्ष लगभग 45 से 50 लाख लोग शामिल हुए थे और इस बार भी लाखों की संख्या में लोग भाग लेने की उम्मीद है।
महोत्सव का आरंभ और कार्यक्रमों की झलक
इस बार गीता महोत्सव की शुरुआत 5 दिसंबर को होगी, जब ब्रह्मसरोवर के पुरुषोत्तमपुरा बाग में गीता यज्ञ और पूजन आयोजित किया जाएगा। इसके अलावा, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय ‘अंतरराष्ट्रीय गीता संगोष्ठी’ का आयोजन होगा। इस संगोष्ठी में गीता के उपदेश और उनके वैश्विक प्रभाव पर चर्चा की जाएगी।
इसके अलावा, महोत्सव में प्रमुख कार्यक्रमों की सूची में 9 दिसंबर को पुरुषोत्तमपुरा बाग में संत सम्मेलन, 10 दिसंबर को अखिल भारतीय देवस्थानम सम्मेलन और 11 दिसंबर को गीता यज्ञ और भागवत कथा का आयोजन शामिल है। विशेष रूप से गीता जयंती के दिन यानी 11 दिसंबर को ज्योतिसर तीर्थ पर गीता यज्ञ एवं भागवत कथा का आयोजन होगा, जो महोत्सव का महत्वपूर्ण आकर्षण होगा।
तंजानिया और ओडिशा की संस्कृति का संगम
28 नवंबर से 15 दिसंबर तक कुरुक्षेत्र में शिल्प और सरस मेले का आयोजन भी किया जाएगा जिसमें तंजानिया और ओडिशा की संस्कृति और शिल्पकला को प्रदर्शित किया जाएगा। इस मेले में तंजानिया और ओडिशा के शिल्पकार अपनी पारंपरिक कलाओं और कृतियों का प्रदर्शन करेंगे, जिससे महोत्सव में एक अंतरराष्ट्रीय रंगत देखने को मिलेगी।
मुख्यमंत्री सैनी ने बताया कि इस बार महोत्सव के दौरान तंजानिया और ओडिशा की सांस्कृतिक विरासत को साझा किया जाएगा। “यह महोत्सव एक ऐसे प्लेटफॉर्म के रूप में कार्य करेगा, जहां हम अपनी समृद्ध संस्कृति, लोक नृत्य, पारंपरिक व्यंजन और कलाओं का आदान-प्रदान करेंगे,” उन्होंने कहा।
तंजानिया और ओडिशा का विशेष योगदान
तंजानिया की भारत में नियुक्त उच्चायुक्त अनीशा कपुफी मोबेगा ने कहा, “हरियाणा और तंजानिया के बीच सामाजिक और सांस्कृतिक रिश्ते बहुत गहरे हैं। तंजानिया में लगभग 60,000 से ज्यादा हरियाणवी लोग रहते हैं, और उनकी सांस्कृतिक गतिविधियाँ हरियाणा की संस्कृति के साथ जुड़ी हुई हैं।” उन्होंने यह भी बताया कि तंजानिया में हरियाणवी संस्कृति से जुड़े कई कार्यक्रम मनाए जाते हैं और गीता महोत्सव में तंजानिया का भागीदार देश होना, दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूती देगा।
ओडिशा के संस्कृति राज्य मंत्री सूर्यवंशी सूरज ने कहा, “हरियाणा गीता की भूमि है, जबकि ओडिशा महाप्रभु जगन्नाथ की भूमि है। ओडिशा की संस्कृति और हरियाणा की गीता भूमि के बीच एक गहरा संबंध है और इस महोत्सव के दौरान ओडिशा अपनी समृद्ध विरासत, लोक नृत्य और पारंपरिक व्यंजन साझा करेगा।”