
मिडिल ईस्ट का क्षेत्र इस समय एक बार फिर से जंग का अखाड़ा बना हुआ है। पिछले साल अक्टूबर में शुरू हुआ संघर्ष, जो हमास और इजरायल के बीच प्रारंभ हुआ था, अब लेबनान तक फैल चुका है। हाल ही में ईरान ने इजरायल पर बमबारी करके इस संघर्ष में अपनी एंट्री कर ली है। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामेनेई ने भी इजरायल को समाप्त करने की बात कही है। यह सभी घटनाएँ क्षेत्रीय स्थिरता के लिए गंभीर खतरा बन गई हैं।
ईरान की रणनीति: ऑक्टोपस वॉर
ईरान ने इजरायल को एक जटिल स्थिति में फंसाने के लिए एक रणनीति बनाई है, जिसे वे “ऑक्टोपस वॉर” कह रहे हैं। इसके तहत ईरान इजरायल पर एक साथ कई मोर्चों से हमले करवा रहा है। इराक, यमन, लेबनान और गाजा से इजरायल पर लगातार हमले किए जा रहे हैं। इससे इजरायल के लिए यह तय कर पाना मुश्किल हो गया है कि वह अपनी सीमाओं की रक्षा करे या ईरान के खिलाफ कार्रवाई करे।
इजरायल का विरोधाभास
इजरायल ने ईरान को कई बार धमकी दी है, लेकिन वह अब तक प्रत्यक्ष रूप से हमले में सक्षम नहीं हो पाया है। इस स्थिति को देखते हुए, विशेषज्ञ मानते हैं कि ईरान ने इजरायल के खिलाफ एक नई तरह की युद्ध नीति अपनाई है, जिससे इजरायल को कई मोर्चों पर युद्ध लड़ना पड़ रहा है।
इजरायल के लिए बढ़ती चुनौतियां
इस समय, इजरायल को आठ अलग-अलग मोर्चों से युद्ध का सामना करना पड़ रहा है। पश्चिमी मोर्चे पर गाजा और लेबनान में हिजबुल्लाह, यमन में हुतियों, इराक में इराकी मिलिशिया, और सीरिया में ईरान समर्थित गुट शामिल हैं। इसके अलावा, इजरायल को तेल अवीव, हदेरा, और बीर्शेबा में हुए आतंकी हमलों का भी सामना करना पड़ रहा है। इस प्रकार की स्थिति ने इजरायल की सुरक्षा को गंभीर चुनौती दी है।
अरब नागरिकों में कट्टरवाद
ईरान अब अरब देशों के नागरिकों को इजरायल के खिलाफ हथियार उठाने के लिए प्रेरित कर रहा है। इसकी रणनीति में कट्टरवाद को बढ़ावा देना और इजरायल की सीमाओं पर हमलों के लिए तैयार करना शामिल है। इस प्रकार, इजरायल को केवल अपने सुरक्षा बलों को ही नहीं, बल्कि नागरिकों को भी इस युद्ध में शामिल होने से रोकना होगा।
रूस की एंट्री
इजरायल ने दावा किया है कि रूस भी इस संघर्ष में शामिल हो गया है और हिजबुल्लाह को मदद कर रहा है। इजरायल का कहना है कि हिजबुल्लाह के पास अत्याधुनिक रॉकेट और ड्रोन हैं, जो रूस द्वारा प्रदान किए गए हैं। इस प्रकार, रूस की एंट्री ने मिडिल ईस्ट के इस संघर्ष को और भी जटिल बना दिया है।
भू-राजनीतिक प्रभाव
रूस की इस भूमिका का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापक प्रभाव हो सकता है। यदि रूस और ईरान का सहयोग बढ़ता है, तो यह न केवल इजरायल के लिए बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए खतरनाक हो सकता है। यह अमेरिका और पश्चिमी देशों की रणनीति को भी चुनौती देता है, जो इजरायल के साथ खड़े हैं।