
जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों को एक बड़ी कामयाबी मिली है। सोपोर पुलिस ने शुक्रवार को पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी संगठनों से जुड़े तीन स्थानीय मददगारों को गिरफ्तार किया है। इन पर न केवल आतंकियों से गुप्त संपर्क बनाए रखने, बल्कि स्थानीय युवाओं को आतंकवाद की ओर धकेलने का भी आरोप है।
तीनों आरोपियों को जम्मू की कोट भलवाल जेल में स्थानांतरित कर दिया गया है और उन पर जम्मू-कश्मीर पब्लिक सेफ्टी एक्ट (PSA) के तहत कार्रवाई की गई है। इसके अलावा, पूर्व में इन पर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत भी कई केस दर्ज हैं।
गिरफ्तार आरोपी कौन हैं?
सोपोर पुलिस ने जिन तीन आतंकियों के सहयोगियों को गिरफ्तार किया है, उनकी पहचान इस प्रकार हुई है:
- इरफान मोहिउद्दीन डार, पुत्र मोहिउद्दीन डार, निवासी संग्रामपोरा, सोपोर
- मोहम्मद आसिफ खान, पुत्र अबू रहमान खान, निवासी हरवान बोमई
- गौहर मकबूल राथर, पुत्र मोहम्मद मकबूल राथर, निवासी हरदुशिवा
पुलिस के मुताबिक, ये तीनों पिछले कई वर्षों से पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों के संपर्क में थे, और एन्क्रिप्टेड वीओआईपी प्लेटफॉर्म (VoIP) और वीपीएन नेटवर्क के जरिये सीमापार के आकाओं से लगातार संवाद में थे।
क्या था इनका काम?
जांच में खुलासा हुआ है कि ये आरोपी डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का उपयोग कर आतंकियों के लिए जासूसी और भर्ती जैसे कार्यों में लगे हुए थे। इनमें शामिल थे:
- स्थानीय युवाओं को बरगलाना और उन्हें राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के लिए प्रेरित करना
- आतंकियों की मूवमेंट की जानकारी देना
- लॉजिस्टिक सपोर्ट (शेल्टर, ट्रांसपोर्ट आदि) उपलब्ध कराना
- सोशल मीडिया के माध्यम से आतंकी विचारधारा का प्रचार-प्रसार करना
पुलिस सूत्रों के अनुसार, आरोपी एक प्रतिबंधित इलेक्ट्रॉनिक नेटवर्क का इस्तेमाल कर आतंकी संगठनों के संपर्क में थे। इस नेटवर्क का उद्देश्य था सुरक्षा एजेंसियों की नजर से बचते हुए गोपनीय जानकारी का आदान-प्रदान करना।
बार-बार दी चेतावनियों के बाद भी नहीं रुके
सोपोर पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि तीनों आरोपी पहले भी गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त पाए जा चुके हैं, जिनके खिलाफ UAPA के तहत कई एफआईआर दर्ज हैं। बावजूद इसके, इन्होंने अपनी गतिविधियों में सुधार नहीं किया और बार-बार पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठनों से संपर्क बनाए रखा।
पुलिस की निगरानी टीम ने लगातार खुफिया जानकारी, इलेक्ट्रॉनिक ट्रैकिंग, और स्थानीय सूचनाओं के आधार पर डोजियर तैयार किया। पूरी योजना के साथ शुक्रवार को तीनों को गिरफ्तार कर लिया गया।
PSA के तहत भेजा गया कोट भलवाल जेल
तीनों आरोपियों की गतिविधियों को देखते हुए उन्हें Public Safety Act (PSA) के तहत गिरफ्तार किया गया। यह कानून जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रीय सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था, और राज्य की संप्रभुता को खतरे में डालने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई के लिए लागू किया गया है।
PSA के तहत आरोपियों को कोई पूर्व सूचना दिए बिना गिरफ्तार कर लंबे समय तक हिरासत में रखा जा सकता है, जो देश की सुरक्षा के लिहाज से अहम माना जाता है।
पुलिस का बयान: युवाओं को बचाना हमारी प्राथमिकता
सोपोर पुलिस के बयान में कहा गया है: “इन व्यक्तियों की गतिविधियां केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा और संप्रभुता के लिए गंभीर खतरा थीं। इनके खिलाफ पर्याप्त प्रमाण मिलने के बाद कानूनी कार्रवाई की गई है। पुलिस का मकसद सिर्फ आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करना नहीं है, बल्कि उन स्थानीय नेटवर्क्स को खत्म करना है जो युवा पीढ़ी को गलत दिशा में धकेल रहे हैं।”
डिजिटल नेटवर्क के जरिए आतंकी गतिविधियों का संचालन
यह पहली बार नहीं है जब डिजिटल तकनीक के माध्यम से आतंकियों के नेटवर्क का पर्दाफाश हुआ हो। खुफिया एजेंसियों ने पहले भी यह अलर्ट जारी किया है कि पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन इंटरनेट आधारित एन्क्रिप्टेड प्लेटफॉर्म्स जैसे Telegram, Signal, VoIP और Dark Web का इस्तेमाल कर रहे हैं। इन माध्यमों से वे कश्मीर घाटी के युवाओं को ब्रेनवॉश कर आतंकवाद की राह पर लाने की साजिश रचते हैं। गिरफ्तार किए गए आरोपी भी इसी डिजिटल तंत्र का हिस्सा थे।