
जासूसी के आरोप में गिरफ्तार की गई ज्योति मल्होत्रा को लेकर अब नया मोड़ सामने आया है। गिरफ्तारी के बाद अब ज्योति के पिता हरीश मल्होत्रा ने सरकार से गुहार लगाई है कि उन्हें एक सरकारी वकील उपलब्ध कराया जाए। उन्होंने कहा कि उनके पास इतनी आर्थिक क्षमता नहीं है कि वे निजी वकील कर सकें और उन्हें नहीं पता कि उनकी बेटी पर किस बात का आरोप लगाया गया है।
ज्योति को पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के संदेह में हाल ही में गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तारी के बाद से उनके परिवार में तनाव और असहायता की स्थिति है। पिता हरीश मल्होत्रा का कहना है कि उनकी बेटी निर्दोष है और उसे सिर्फ शक के आधार पर पकड़ा गया है।
“पुलिस डायरी ले गई, मुझे नहीं पता उसमें क्या था” – पिता हरीश मल्होत्रा
ANI से बातचीत में हरीश मल्होत्रा ने कहा, “ज्योति डायरी में क्या लिखती थी, मुझे नहीं मालूम। एक डायरी पुलिस वाले ले गए हैं। पता नहीं उसमें क्या लिखा था। एक पर्ची में दवाइयों की लिस्ट लिखकर गई थी, जो मेरे बड़े भाई पप्पू की दवाइयां थीं।”
यह बयान कई सवाल उठाता है – क्या पुलिस को ज्योति की डायरी से कुछ ऐसा मिला जिससे उन्हें जासूसी की पुष्टि का संदेह हुआ? या फिर यह केवल एक सामान्य वस्तु थी जो जाँच के दौरान जब्त की गई?
“मुझे नहीं बताया गया कि किस बात का शक है” – आरोपों पर उठे सवाल
ज्योति के पिता ने साफ कहा कि उन्हें पुलिस ने यह नहीं बताया कि उनकी बेटी पर किस चीज का शक है। “मुझे नहीं पता कि किस बात पर ये कार्रवाई हुई है। मुझे केवल इतना बताया गया कि ज्योति को शक के आधार पर हिरासत में लिया गया है।” इस तरह की पारदर्शिता की कमी, जहां परिवार को ही आरोपों की जानकारी न हो, कानूनी और मानवीय दृष्टिकोण से चिंताजनक है।
वित्तीय असहायता की गुहार: “सरकारी वकील दे सरकार”
हरीश मल्होत्रा ने यह भी कहा कि वे आर्थिक रूप से कमजोर हैं और निजी वकील करने की स्थिति में नहीं हैं। “मैं गरीब हूं। अगर सरकार वकील दे दे तो बहुत मेहरबानी होगी। मेरा तो छोटा सा फोन है, मैं तो वीडियोज भी नहीं देखता।” यह बयान केवल एक व्यक्ति की व्यक्तिगत परेशानी नहीं, बल्कि उन हजारों लोगों की स्थिति को दर्शाता है जो जटिल कानूनी प्रक्रिया में संपूर्ण न्याय के लिए संसाधनों की कमी से जूझते हैं।
“ज्योति दिल्ली जा रही हूं कहती थी” – पिता ने बताया बेटी का सामान्य व्यवहार
ज्योति की गतिविधियों पर बात करते हुए हरीश मल्होत्रा ने बताया कि “वो कहीं जाती थी तो एक-दो दिन में आ जाती थी। कहती थी – दिल्ली जा रही हूं। मुझे नहीं पता वहां क्या करती थी।”
यह बयान जाहिर करता है कि ज्योति का परिवार उसकी गतिविधियों से पूरी तरह अवगत नहीं था। हालांकि, यह भी सच है कि हर बेटी या बेटा अपने माता-पिता को अपने हर कदम की जानकारी नहीं देता, खासकर जब वे स्वतंत्र जीवन जी रहे हों।
“मैं बीमार हूं, अदालत नहीं जा सकता” – हरीश मल्होत्रा
जब हरीश मल्होत्रा से पूछा गया कि क्या वे अदालत में बेटी के पेशी के समय मौजूद रहेंगे, तो उन्होंने कहा: “मैं बीमार हूं। मुझसे चला नहीं जाता। न कोई मेरा रिश्तेदार है, न कोई पड़ोसी। तीन-चार दिन से तबीयत खराब है।”
यह भावुक बयान न केवल एक पिता की बेबसी को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि बेटी की गंभीर कानूनी स्थिति में भी उन्हें कोई सामाजिक या पारिवारिक सहारा नहीं मिल पा रहा है।