
उत्तराखंड की वीर भूमि ने एक बार फिर अपनी जांबाज संतानों को याद करते हुए कारगिल विजय दिवस पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। राजधानी देहरादून स्थित गांधी पार्क में आयोजित शौर्य दिवस श्रद्धांजलि समारोह में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) ने शहीदों को नमन करते हुए उनके बलिदान को स्मरण किया।
इस अवसर पर आयोजित भव्य कार्यक्रम में शहीदों के परिजनों, पूर्व सैनिकों, एनसीसी कैडेट्स और नागरिकों की भावनात्मक भागीदारी देखने को मिली। यह आयोजन न केवल देश की रक्षा में प्राणों की आहुति देने वाले सैनिकों को श्रद्धांजलि देने का अवसर बना, बल्कि यह नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक भी बन गया।
मुख्यमंत्री ने किया पुष्प चक्र अर्पित, शहीदों को दी श्रद्धांजलि
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने समारोह की शुरुआत में गांधी पार्क स्थित शहीद स्मारक पर पुष्प चक्र अर्पित कर देश के लिए बलिदान देने वाले वीर सैनिकों को नमन किया। उन्होंने कहा: “कारगिल युद्ध में हमारे जवानों ने जिस बहादुरी और आत्मबलिदान का परिचय दिया, वह देश की सेवा का सर्वोच्च उदाहरण है। हम उनके बलिदान को कभी नहीं भूल सकते। यह हमारा कर्तव्य है कि हम उनके दिखाए मार्ग पर चलें और देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा के लिए सदैव तत्पर रहें।”
मुख्यमंत्री ने यह भी घोषणा की कि राज्य सरकार शहीद परिवारों के कल्याण के लिए नई योजनाएं शुरू करने जा रही है, जिसमें शिक्षा, रोजगार और आवास से जुड़े प्रावधान किए जाएंगे।
राज्यपाल ने किया शौर्य का गुणगान
राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि), जो स्वयं भारतीय सेना के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी रहे हैं, ने भावुक स्वर में कारगिल विजय को भारत की सैन्य क्षमता और नागरिक एकता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा: “कारगिल युद्ध केवल एक सैन्य संघर्ष नहीं था, यह हमारे राष्ट्र के साहस, समर्पण और रणनीतिक क्षमता की पराकाष्ठा थी। उस विजय में उत्तराखंड के वीर जवानों ने अद्वितीय साहस का परिचय देते हुए अपने प्राणों की आहुति दी।”
राज्यपाल ने इस बात पर विशेष बल दिया कि उत्तराखंड की धरती ने हर युद्ध में देश को सबसे बहादुर सपूत दिए हैं। चाहे वह सियाचिन हो या कारगिल, हर मोर्चे पर उत्तराखंड के जवानों ने अपने पराक्रम से दुश्मन को करारा जवाब दिया।
कारगिल युद्ध: वीरता की अमर गाथा
1999 के कारगिल युद्ध को याद करते हुए दोनों नेताओं ने भारतीय सेना की उस विजय को “इतिहास का स्वर्णिम अध्याय” बताया। युद्ध के दौरान भारतीय जवानों ने बर्फ से ढके दुर्गम पहाड़ों पर चढ़ाई कर दुश्मनों के कब्जाए गए पोस्टों को पुनः हासिल किया था। कैप्टन विक्रम बत्रा, ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव, मेजर मनोज पांडे, जैसे अनेक वीरों ने युद्धभूमि पर अपनी वीरता से देश को गौरवान्वित किया।
मुख्यमंत्री धामी और राज्यपाल ने संयुक्त रूप से कहा कि कारगिल की यह विजय केवल एक सैन्य जीत नहीं, बल्कि यह राष्ट्र की आत्मा की जीत थी। इस विजय ने देशवासियों के दिलों में सेना के प्रति अटूट विश्वास को और गहरा किया।
शहीदों के परिजनों का हुआ सम्मान
समारोह में शहीदों के परिजनों को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था। मंच पर मुख्यमंत्री और राज्यपाल ने उन्हें पुष्पगुच्छ, अंगवस्त्र और स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। इस अवसर पर कई परिजन भावुक हो गए।
शहीद नायक विजय सिंह की माता, श्रीमती उमा देवी ने कहा: “मेरे बेटे ने देश के लिए प्राण दिए, आज उसे याद करते हुए मैं गर्व से भर जाती हूं। राज्यपाल और मुख्यमंत्री द्वारा दिया गया सम्मान हमारे दुख को थोड़ी राहत देता है।” यह आयोजन एक बार फिर सिद्ध करता है कि राज्य और देश अपने शहीदों और उनके परिवारों को कभी नहीं भूलते।
युवाओं में देशभक्ति की भावना जागृत
कार्यक्रम में उपस्थित एनसीसी कैडेट्स, स्कूली छात्र-छात्राओं और युवाओं ने इस आयोजन को एक प्रेरणा के रूप में देखा। कई युवा छात्रों ने कहा कि इस आयोजन ने उन्हें सेना में जाने और देश सेवा के लिए समर्पित जीवन जीने की प्रेरणा दी है।
देहरादून के एक कॉलेज के छात्र, आदित्य रावत, ने कहा, “शहीदों की कहानियां सुनकर रोंगटे खड़े हो गए। हम उनकी कुर्बानी को शब्दों में नहीं बांध सकते, लेकिन हम उनके आदर्शों को जीवन में जरूर उतार सकते हैं।”
सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने बढ़ाई गरिमा
श्रद्धांजलि सभा के बाद आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों में देशभक्ति से ओतप्रोत प्रस्तुतियों ने समारोह की गरिमा को और बढ़ा दिया। स्थानीय स्कूलों के छात्रों ने ‘संदेशे आते हैं’, ‘ए मेरे वतन के लोगों’ जैसे गीतों पर प्रस्तुति दी और युद्ध पर आधारित नाटकों ने दर्शकों को भावुक कर दिया। पुलिस और सेना के बैंड द्वारा प्रस्तुत धुनों ने वातावरण को राष्ट्रप्रेम से भर दिया।
मुख्यमंत्री और राज्यपाल का संदेश
समारोह के अंत में मुख्यमंत्री धामी और राज्यपाल गुरमीत सिंह ने एक संयुक्त संदेश में कहा,“आज की पीढ़ी को यह समझना होगा कि स्वतंत्रता और सुरक्षा हमें किसी सौगात में नहीं मिली, यह उन शहीदों के बलिदान का परिणाम है जिन्होंने अपने जीवन की आहुति देकर हमें यह आजादी दी है। हमें अपने सैनिकों, पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों के लिए सदा सम्मान और आभार प्रकट करना चाहिए।”