
तमिलनाडु के करूर जिले में अभिनेता और उभरते राजनेता थलापति विजय की एक चुनावी रैली में मची भगदड़ ने 39 जिंदगियों को निगल लिया, जिनमें 8 मासूम बच्चे भी शामिल हैं। चेन्नई से लगभग 400 किलोमीटर दूर स्थित इस छोटे से शहर में जो होना था, वह विजय के करिश्मे और जनसमर्थन का प्रदर्शन होना था, लेकिन वह एक दर्दनाक त्रासदी में तब्दील हो गया।
इस हादसे ने न सिर्फ प्रशासन की तैयारियों की पोल खोल दी है, बल्कि राजनीतिक आयोजनों में सुरक्षा मानकों की अनदेखी और नेताओं की गैरजिम्मेदाराना योजना पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
क्या हुआ था करूर में?
थलापति विजय की पार्टी टीवीके (तमिलगा वीटर काची) द्वारा आयोजित इस रैली के लिए प्रशासन ने 10,000 लोगों की उपस्थिति की अनुमति दी थी। लेकिन आयोजन स्थल पर करीब 27,000 लोग इकट्ठा हो गए — यानी अनुमोदित संख्या से लगभग तीन गुना।
विजय को दोपहर 12 बजे रैली स्थल पर पहुंचना था, लेकिन वह करीब 7 घंटे की देरी से, शाम लगभग 7 बजे पहुंचे। इतनी लंबी प्रतीक्षा ने भीड़ के धैर्य की सीमा को पार कर दिया। जैसे ही विजय मंच पर पहुंचे, फ्लडलाइट्स बंद हो गईं, अंधेरे में अफरा-तफरी मच गई और कुछ सेकेंडों में ही भगदड़ शुरू हो गई।
हादसे के पीछे की चूकें: रैली कैसे बनी त्रासदी?
1. अनुमति 10,000 की, पहुंचे 27,000
प्रशासन ने रैली के लिए सीमित संख्या की अनुमति दी थी। लेकिन यह मान लिया गया था कि विजय के स्टारडम को देखते हुए अधिक भीड़ जुट सकती है। इसके बावजूद, भीड़ नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त पुलिसबल तैनात नहीं किया गया।
2. रोड शो की मनाही के बावजूद विजय की ‘ग्रैंड एंट्री’
प्रशासन ने साफ तौर पर रोड शो की इजाजत नहीं दी थी, लेकिन विजय का काफिला जब आयोजन स्थल की ओर बढ़ा, तो वह लगभग एक रोड शो में बदल गया। उनके वाहन के साथ सैकड़ों समर्थक पैदल चल रहे थे, और हजारों लोग रास्तों पर खड़े थे। यह पूरी तरह से सुरक्षा दिशानिर्देशों का उल्लंघन था।
3. 7 घंटे की देरी और बढ़ता तनाव
भीड़ को नियंत्रित करने की सबसे बड़ी चुनौती रैली की समयसीमा का उल्लंघन रही। सात घंटे तक लोग खुले मैदान में खड़े रहे — गर्मी, भूख, प्यास और थकावट के बीच। एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि “लोग पहले ही थक चुके थे। विजय के आते ही जोश में उबाल आया और फ्लडलाइट्स के अचानक बंद होते ही अफरा-तफरी मच गई।”
4. तकनीकी विफलता और घबराहट
जैसे ही विजय मंच पर पहुंचे, जनरेटर से चल रही फ्लडलाइट्स बंद हो गईं। अंधेरे में कई लोग अपने बच्चों को ढूंढते हुए बदहवास हो गए। एक महिला अपनी बच्ची को खोजते हुए चिल्लाने लगी। भीड़ में घबराहट बढ़ी और भीड़ एक दूसरे पर चढ़ने लगी।
चश्मदीदों की जुबानी: “सब कुछ ठीक था, फिर अचानक अफरा-तफरी मच गई”
राजालक्ष्मी, स्थानीय दुकानदार: “मैं अपने बच्चे के साथ मंच के पास थी। विजय के आते ही सबने मोबाइल निकाले, सेल्फी लेने की होड़ मच गई। अचानक एक तरफ से धक्का लगा, फिर चीखें सुनाई दीं। मेरी बेटी गिर पड़ी, मैं उसे उठाने के लिए झुकी तो मेरे ऊपर तीन लोग गिर गए।”
अरुण कुमार, कॉलेज छात्र:“हम दोपहर से इंतज़ार कर रहे थे। जब फ्लडलाइट बंद हुई, कुछ लोगों ने सोचा कि कोई हमला हो गया है। भीड़ को काबू करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया, और लोग भागने लगे। वहीं से भगदड़ शुरू हुई।”
प्रशासन और पुलिस की प्रतिक्रिया
तमिलनाडु के प्रभारी डीजीपी जी. वेंकटरमण ने हादसे की पुष्टि करते हुए कहा कि “यह एक अत्यधिक भीड़ और लंबी देरी की वजह से हुआ। हमने 10,000 लोगों की अनुमति दी थी, लेकिन वहां अनुमानित 27,000 लोग मौजूद थे।” पुलिस की शुरुआती जांच में कार्यक्रम आयोजकों द्वारा अनुमतियों का उल्लंघन, अपर्याप्त व्यवस्था, और संवेदनशील परिस्थितियों में भीड़ को नियंत्रित करने में विफलता सामने आई है।
मौतें और घायल
इस भगदड़ में 39 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें 8 बच्चे और कई महिलाएं शामिल हैं। 90 से अधिक लोग घायल हुए हैं, जिनमें से कुछ की हालत गंभीर बताई जा रही है। करूर जिला अस्पताल, इरोड मेडिकल कॉलेज और त्रिची के अस्पतालों में घायलों का इलाज चल रहा है।
मुआवजा और राजनीतिक प्रतिक्रिया
राज्य सरकार ने मृतकों के परिजनों को 10-10 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है। घायलों को मुफ्त इलाज और आवश्यक आर्थिक सहायता दी जा रही है। मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने हादसे को “चिंताजनक और बेहद दुखद” करार दिया। उन्होंने यह भी कहा कि “प्रशासनिक स्तर पर अगर कोई चूक हुई है, तो जिम्मेदारों पर कार्रवाई की जाएगी।”
विजय का बयान: “दिल टूट गया है”
इस हादसे के बाद विजय ने एक बयान जारी करते हुए गहरा दुख जताया। उन्होंने कहा, “इस त्रासदी से मेरा दिल टूट गया है। यह असहनीय और अकथनीय पीड़ा है। मैं मृतकों के परिवारों के प्रति अपनी संवेदना प्रकट करता हूं और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करता हूं।” विजय ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी इस पूरे मामले की स्वतंत्र जांच की मांग करेगी और भविष्य में भीड़ प्रबंधन को प्राथमिकता देगी।