
कोलकाता के प्रतिष्ठित साउथ कोलकाता लॉ कॉलेज में प्रथम वर्ष की छात्रा से हुए सामूहिक दुष्कर्म के सनसनीखेज मामले ने पूरे राज्य को हिलाकर रख दिया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए कोलकाता पुलिस ने शनिवार को एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया है, जिसकी अगुवाई एसीपी प्रदीप कुमार घोषाल करेंगे। SIT का गठन न केवल पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए किया गया है, बल्कि पूरे मामले में संस्थानिक चूक और जिम्मेदारों की भूमिका की भी गहन जांच की जाएगी।
चौथा आरोपी गिरफ्तार, कुल गिरफ्तारियां हुईं चार
शनिवार को पुलिस ने इस मामले में कॉलेज के एक सुरक्षा गार्ड को गिरफ्तार किया, जो घटना के समय परिसर में तैनात था। इससे पहले तीन अन्य आरोपियों को गुरुवार को ही गिरफ्तार किया जा चुका है। कोलकाता पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सुरक्षा गार्ड को पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया गया क्योंकि उसने अपने जवाबों में लगातार अस्पष्टता दिखाई और सीसीटीवी फुटेज से उसकी मौजूदगी की पुष्टि भी हुई थी। “गार्ड ने यह स्पष्ट नहीं किया कि उसने समय रहते क्यों कोई कार्रवाई नहीं की, क्यों आरोपियों को नहीं रोका, और किन निर्देशों पर वह अपनी ड्यूटी पोस्ट से हट गया,” — पुलिस अधिकारी।
क्या थी घटना?
घटना बुधवार, 25 जून की शाम 7:30 बजे से 10:30 बजे के बीच की है। पीड़िता, जो कि कॉलेज की लॉ प्रथम वर्ष की छात्रा है, परीक्षा फॉर्म भरने कॉलेज आई थी। आरोप है कि उसे जबरन यूनियन रूम में रोका गया और उसके साथ तीन लोगों ने मिलकर बलात्कार किया।
पीड़िता के अनुसार, मुख्य आरोपी एक पूर्व छात्र और वकील, जो पहले से आपराधिक पृष्ठभूमि रखता है, ने विवाह का प्रस्ताव ठुकराने पर यह घिनौना कृत्य अंजाम दिया। दो अन्य आरोपी मौजूदा छात्र हैं, जिन्होंने इस कृत्य की मोबाइल पर वीडियो रिकॉर्डिंग भी की।
सुरक्षा गार्ड की भूमिका संदिग्ध, लापरवाही या संलिप्तता?
पुलिस की प्रारंभिक जांच में यह सामने आया है कि घटना के समय कॉलेज परिसर में तैनात सुरक्षा गार्ड मौके पर मौजूद था, लेकिन उसने कोई सक्रिय हस्तक्षेप नहीं किया। न ही उसने किसी प्रकार की पुलिस को सूचना दी और न ही पीड़िता को सहायता दी। “गार्ड के जवाब अस्पष्ट हैं, और उसके कमरे से अनुपस्थित होने की परिस्थितियाँ जांच के घेरे में हैं। यदि उसने जानबूझकर आंखें मूंद लीं, तो यह सीधे-सीधे संलिप्तता की श्रेणी में आएगा।” — SIT सदस्य अधिकारी।
SIT का गठन: जांच में तेजी, जिम्मेदारों की भूमिका भी होगी स्पष्ट
कोलकाता पुलिस ने पांच सदस्यीय SIT का गठन करते हुए कहा कि अब इस केस की तेजी से और पारदर्शी जांच की जाएगी। SIT की टीम न केवल घटना में शामिल सभी आरोपियों की भूमिका, बल्कि कॉलेज प्रशासन की ओर से हुई संस्थानिक विफलताओं की भी जांच करेगी। “हम हर उस व्यक्ति की भूमिका की जांच करेंगे, जिसने इस घिनौने कृत्य को रोकने के लिए समय पर कदम नहीं उठाए, चाहे वह कॉलेज स्टाफ हो या सुरक्षाकर्मी।” — प्रदीप कुमार घोषाल, SIT प्रमुख
मेडिकल जांच से सामूहिक दुष्कर्म की पुष्टि
पुलिस ने पीड़िता की मेडिकल जांच करवाई, जिसमें सामूहिक बलात्कार की पुष्टि हुई है। पुलिस ने कहा है कि आरोपी के खिलाफ रेप, आपराधिक षड्यंत्र, धमकी, और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया है।
फोन से मिले वीडियो फुटेज को फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है।
पीड़िता की शिकायत: “गार्ड ने मेरी मदद नहीं की”
पीड़िता ने अपनी लिखित शिकायत में कहा है कि घटना के दौरान उसने सुरक्षा गार्ड से सहायता मांगी थी, लेकिन उसने अनदेखी कर दी। “गार्ड ने न केवल मुझे रोका नहीं, बल्कि जैसे ही मैंने मदद के लिए पुकारा, वह वहां से चला गया। मैं अकेली थी और कोई मेरी मदद को नहीं आया।” — पीड़िता की शिकायत का अंश यह बयान सुरक्षा गार्ड की भूमिका को और भी ज्यादा संदेह के घेरे में लाता है। पुलिस यह भी पता लगा रही है कि क्या गार्ड को किसी ने निर्देश देकर वहां से हटाया था।
कॉलेज प्रशासन पर भी सवाल
घटना के बाद कॉलेज प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल उठने लगे हैं। लॉ कॉलेज जैसे गंभीर और पेशेवर शिक्षण संस्थान में यूनियन रूम जैसे स्थान पर छात्रों का इस तरह का अपराध करना, सुरक्षा प्रणाली की खामियों को उजागर करता है।
कॉलेज की प्रिंसिपल और प्रबंधन अब पुलिस के सवालों के घेरे में हैं —
- क्या सुरक्षा गार्डों को उचित ट्रेनिंग दी गई थी?
- क्यों परिसर में इतनी देर रात तक छात्रों की मौजूदगी पर नियंत्रण नहीं था?
- यूनियन रूम की निगरानी क्यों नहीं की जाती?
विपक्ष और महिला संगठन का आक्रोश
घटना के सामने आने के बाद महिला अधिकार संगठनों और विपक्षी दलों ने कड़ा विरोध जताया है। राज्य महिला आयोग ने स्वतः संज्ञान लेते हुए कॉलेज प्रशासन और पुलिस से जवाब तलब किया है।
CPI(M) नेता वृंदा करात ने कहा, “यह केवल एक आपराधिक घटना नहीं, बल्कि हमारे शैक्षिक संस्थानों में बढ़ती पितृसत्तात्मक और हिंसक मानसिकता की झलक है। राज्य सरकार और पुलिस को जवाब देना होगा।”
मुख्यमंत्री ने मांगी रिपोर्ट
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस घटना पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए DGP से 48 घंटे के भीतर रिपोर्ट मांगी है। उन्होंने कहा कि “दोषियों को किसी भी कीमत पर नहीं बख्शा जाएगा।”