राज्य की बात: भारतीय अर्थव्यवस्था ने वैश्विक आर्थिक परिदृश्य के बावजूद जोखिमों और अनिश्चितताओं का सामना करते हुए अपने विकास की गति को बनाए रखने का संकेत दिया है। 2023-24 में 7 फीसदी से अधिक विकास की आशा की जा रही है, जो एक सकारात्मक परिणाम हो सकता है, खासकर कोविड-19 महामारी के प्रभावों के बावजूद।
एक आर्थिक समीक्षा के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था ने घरेलू मांग के कारण पिछले तीन वर्षों में 7% से अधिक की विकास दर तक पहुंच गई है। घरेलू मांग और सरकार द्वारा किए गए आर्थिक सुधारों के परिणामस्वरूप देश में आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि हो रही है।
आर्थिक समीक्षा में यह भी दावा किया गया है कि भारत 2025 में भी 7% से अधिक की दर से विकास कर सकता है, जो देश के लोगों के जीवन स्तर को उच्च करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने इस संकेत को “भविष्य के लिए अच्छा संकेत” बताया है और सांख्यिकी कार्यालय द्वारा भी 2023-24 में 7.3% की गति से अर्थव्यवस्था का विकास हो सकता है।
महत्वपूर्ण बात यह है कि घरेलू मांग की मजबूती ने अर्थव्यवस्था को सहारा दिया है, और पिछले दस सालों में सरकार द्वारा लागू किए गए आर्थिक सुधारों ने उत्पत्ति को बढ़ावा दिया है। भौतिक और डिजिटल बुनियादी ढांचे में निवेश और विनिर्माण को प्रोत्साहन देने वाले उपायों से आपूर्ति पक्ष को मजबूती मिली है, जिससे आर्थिक गतिविधियों में सकारात्मक रूप से वृद्धि हो रही है।
मौजूदा दौर में केवल भूराजनीतिक संघर्षों की वजह से बढ़ा जोखिम चिंता का विषय बना हुआ है, लेकिन समीक्षा में कहा गया है कि प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में कौशल विकास, सीखने की प्रवृत्ति का विकास, स्वास्थ्य, ऊर्जा सुरक्षा, एमएसएमई की कठिनाइयों में कमी और श्रम बल में लिंग संतुलन जैसे विषयों में सुधार की जरूरत है।