सिर पर पक्की छत का सपना हर किसी का होता है, लेकिन उच्च निर्माण लागत और महंगी ज़मीन के कारण लाखों लोग इस सपने को पूरा नहीं कर पाते। उत्तराखंड सरकार ने अब इस समस्या का समाधान ढूंढ़ते हुए राज्य के निर्धन और निम्न आय वर्ग के परिवारों के लिए किफायती आवास योजना शुरू की है, जिसके तहत 16 हजार घरों का निर्माण किया जा रहा है। इस योजना में राज्य आवास विकास परिषद और मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) की महत्वपूर्ण भूमिका है।
उत्तराखंड में किफायती घरों का निर्माण
उत्तराखंड आवास विकास परिषद ने राज्य बनने के बाद पहली बार अपनी आवासीय परियोजनाओं पर बड़े पैमाने पर काम शुरू किया है। इन परियोजनाओं का उद्देश्य राज्य के उन परिवारों को घर मुहैया कराना है, जिनकी सालाना आय तीन लाख रुपए से कम है। इन घरों को विशेष रूप से उन लोगों के लिए डिज़ाइन किया गया है जो एक पक्के घर का सपना देखते हैं लेकिन निर्माण की भारी लागत के कारण इसे पूरा नहीं कर पाते।
उत्तराखंड आवास विकास परिषद वर्तमान में 15 परियोजनाओं पर काम कर रही है, जिनमें कुल 12,856 आवासों का निर्माण किया जा रहा है। इसके अलावा, अन्य पांच परियोजनाओं के तहत 3,104 आवासों का निर्माण प्राधिकरणों द्वारा किया जा रहा है। इन घरों के निर्माण में निजी निवेशकों की भी अहम भूमिका है, जो इन परियोजनाओं को वित्तीय रूप से समर्थन दे रहे हैं।
अपर आयुक्त आवास पीसी दुम्का के मुताबिक, अब तक निजी भागीदारी से 1,760 घरों का निर्माण पूरा हो चुका है और इन घरों को लाभार्थियों के हवाले किया जा चुका है। इसके साथ ही 14,635 घरों का आबंटन भी किया जा चुका है। शेष परियोजनाओं को मार्च 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
कैसे मिलता है किफायती घर?
इस योजना के तहत घरों की कीमत में विशेष छूट दी जाती है। निजी निवेशक द्वारा तैयार किए गए इन घरों की कुल लागत लगभग छह लाख रुपए होती है। लेकिन, केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं के माध्यम से लाभार्थियों को तीन लाख पचास हजार रुपए तक की सहायता मिलती है। इस तरह से लाभार्थी को महज ढाई लाख रुपए की लागत में पक्का घर मिल जाता है। घरों के निर्माण और जमीन की लागत का समस्त खर्च निजी निवेशक द्वारा उठाया जाता है।
इसके अलावा, लाभार्थियों को घर की खरीद के लिए आसान होम लोन भी उपलब्ध कराए जाते हैं, जिससे वे आसानी से अपनी नई घर की किश्तें चुका सकते हैं। इस योजना के तहत, वे परिवार पात्र होते हैं जिनकी वार्षिक आय तीन लाख रुपए से कम हो और जो 15 जून 2015 से पहले उत्तराखंड के निवासी रहे हों।
एमडीडीए की किफायती आवास परियोजनाएं
मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) ने भी इस योजना के तहत कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर काम किया है। एमडीडीए की तीन परियोजनाएं, जो ट्रांसपोर्ट नगर, तरला आमवाला और धौलास में स्थित हैं, पहले ही पूरी हो चुकी हैं या पूरी होने वाली हैं।
- ट्रांसपोर्ट नगर (224 फ्लैट): यह परियोजना पहले ही पूरी हो चुकी है और लाभार्थियों को फ्लैट की चाबी सौंप दी गई है।
- तरला आमवाला (240 फ्लैट): इस परियोजना को भी पूरी तरह से तैयार कर लिया गया है और जल्द ही लाभार्थियों को घर मिलेंगे।
- धौलास (240 फ्लैट): यह परियोजना मार्च 2025 तक पूरी होने की उम्मीद है।
एमडीडीए के उपाध्यक्ष बंशीधर तिवारी ने बताया कि इन परियोजनाओं के लिए लाभार्थियों का चयन पारदर्शिता के साथ किया गया है और तय समय सीमा के भीतर सभी को फ्लैट की चाबी सौंप दी जाएगी।
राज्य सरकार की भूमिका और मुख्यमंत्री का संदेश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई प्रधानमंत्री आवास योजना का उद्देश्य भी अंत्योदय की दिशा में काम करना है यानी उन गरीब परिवारों को पक्का घर देना जिनके पास खुद का घर नहीं है। उत्तराखंड में आवास विकास प्राधिकरण ने इस उद्देश्य को पूरा करने में अहम भूमिका निभाई है।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस योजना की सराहना करते हुए कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने आवासहीन परिवारों के लिए पीएम आवास योजना लागू की है और उत्तराखंड में आवास विकास प्राधिकरण ने इस लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। राज्य सरकार इस प्रकार की योजनाओं को बढ़ावा दे रही है ताकि राज्य के गरीब और निम्न आय वर्ग के परिवारों को अपने जीवन स्तर में सुधार करने का अवसर मिले।”
मुख्यमंत्री धामी ने यह भी बताया कि सरकार लगातार कोशिश कर रही है कि राज्य के हर नागरिक को उनके सपनों का घर मिले। इसके लिए उत्तराखंड सरकार ने आवासीय योजनाओं में व्यापक सुधार किए हैं और आगे भी इन योजनाओं को और ज्यादा प्रभावी बनाने के लिए विभिन्न कदम उठाए जा रहे हैं।