
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के संस्थापक लालू प्रसाद यादव को पार्टी के 13वें कार्यकाल के लिए औपचारिक रूप से राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिया गया है। हालांकि उनके निर्विरोध चुने जाने के कारण यह केवल औपचारिकता भर थी, लेकिन शुक्रवार को पटना के होटल मौर्या में आयोजित राजद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में इस प्रक्रिया को औपचारिक रूप से पूरा कर लिया गया। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में दीप प्रज्वलन के साथ बैठक की शुरुआत हुई, जिसमें लालू यादव के साथ राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव और अन्य प्रमुख नेता मौजूद थे।
यह राजनीतिक घटनाक्रम ऐसे समय में हो रहा है, जब बिहार में विधानसभा चुनाव की आहट तेज होती जा रही है और राजद ने तेजस्वी यादव को अगले मुख्यमंत्री के रूप में पेश करने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके अलावा, मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर पार्टी ने आंदोलन का बिगुल भी फूंक दिया है।
पार्टी की रणनीतिक बैठक में रखे गए कई प्रस्ताव
बैठक में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मंगनीलाल मंडल ने स्वागत भाषण दिया, जबकि राष्ट्रीय प्रधान महासचिव अब्दुल बारी सिद्दीकी ने सांगठनिक प्रतिवेदन पेश किया। इसके साथ ही शिवचंद्र राम ने राजनीतिक प्रस्ताव, आलोक कुमार मेहता ने सामाजिक प्रस्ताव, इसराइल मंसूरी ने आर्थिक प्रस्ताव और मनोज कुमार झा ने विदेश नीति संबंधी प्रस्ताव रखे। कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रीय सहायक निर्वाचन पदाधिकारी चित्तरंजन गगन ने किया।
लालू यादव की वापसी: नेतृत्व का पुनः संकल्प
बैठक में औपचारिक रूप से लालू यादव को फिर से राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने की घोषणा हुई। वे लगातार 13वीं बार इस पद पर चुने गए हैं, जिससे पार्टी में उनकी पकड़ और नेतृत्व की भूमिका फिर एक बार स्पष्ट हो गई है। शनिवार, 5 जुलाई को बापू सभागार में होने वाली पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में उन्हें निर्विरोध चुने जाने का प्रमाणपत्र सौंपा जाएगा। इसके बाद उनका पहला खुला अधिवेशन भी आयोजित किया जाएगा, जिसकी अध्यक्षता वे स्वयं करेंगे।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, लालू प्रसाद यादव की इस वापसी को 2025 बिहार विधानसभा चुनाव की रणनीति की धुरी माना जा रहा है। पार्टी को उम्मीद है कि लालू की लोकप्रियता और तेजस्वी यादव की सक्रियता के सहारे आगामी चुनावों में जनता का विश्वास हासिल किया जा सकेगा।
चुनाव आयोग के मतदाता सूची पुनरीक्षण का विरोध
राजद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में चुनाव आयोग के विशेष गहन मतदाता सूची पुनरीक्षण कार्यक्रम का कड़ा विरोध किया गया। लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव ने इस मुद्दे को चुनावी साजिश करार दिया। तेजस्वी ने कहा: “यह पुनरीक्षण गरीबों, दलितों, अति पिछड़ों, अनुसूचित जातियों, जनजातियों और अल्पसंख्यकों को वोट देने के अधिकार से वंचित करने की सोची-समझी साजिश है।” उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग का यह कदम संविधान और लोकतंत्र विरोधी है, और इसे हर हाल में जमीन पर विरोध के जरिये नाकाम किया जाएगा।
9 जुलाई को चक्काजाम और प्रदर्शन का ऐलान
हालांकि तेजस्वी यादव बैठक में शारीरिक रूप से मौजूद नहीं थे, लेकिन उन्होंने फेसबुक लाइव के जरिए पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों को संबोधित किया और ऐलान किया कि:
“9 जुलाई को चक्काजाम कर राज्यव्यापी प्रदर्शन किया जाएगा, जिसमें मतदाता सूची के पुनरीक्षण के विरोध में राजद अपनी आवाज़ बुलंद करेगा।”
तेजस्वी के इस आक्रामक रुख से साफ है कि राजद अब इस मुद्दे को लेकर सड़क से सदन तक संघर्ष करने की रणनीति पर काम कर रहा है।
चुनाव आयोग से मिला महागठबंधन का प्रतिनिधिमंडल
बैठक के बाद तेजस्वी यादव के नेतृत्व में महागठबंधन के एक प्रतिनिधिमंडल ने बिहार के मुख्य चुनाव पदाधिकारी से मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल में राजद के साथ-साथ अन्य सहयोगी दलों के नेता भी शामिल थे। प्रतिनिधियों ने आयोग को सौंपे ज्ञापन में कहा कि मतदाता सूची का यह विशेष गहन पुनरीक्षण अव्यवहारिक और पक्षपातपूर्ण है। इसमें गरीब और पिछड़े वर्ग के लोगों के नाम हटाए जाने की आशंका है। आधार कार्ड, राशन कार्ड, मनरेगा कार्ड जैसे दस्तावेजों को वैध पहचान पत्र के रूप में मान्यता दी जाए।
यह मुलाकात पार्टी की रणनीति का हिस्सा मानी जा रही है, जिसके तहत राजद चुनाव आयोग पर संवैधानिक दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है ताकि उसके मतदाता वर्ग के अधिकार सुरक्षित रह सकें।
बदलाव का मूड और तेजस्वी को आगे करने की तैयारी
बैठक के दौरान लालू प्रसाद यादव ने यह भी कहा कि बिहार की जनता अब बदलाव का मूड बना चुकी है। उन्होंने तेजस्वी यादव की 17 महीने की उपमुख्यमंत्री कार्यकाल की प्रशंसा करते हुए कहा: “तेजस्वी ने अल्पकाल में जो कार्य किए, वे मिसाल हैं। अब समय है कि उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में मौका मिले।” राजद अब तेजस्वी यादव को 2025 के चुनाव में मुख्यमंत्री पद के चेहरे के रूप में घोषित कर चुकी है। यह साफ करता है कि पार्टी संगठन और रणनीति अब तेजस्वी के नेतृत्व में आगे बढ़ेगी, जबकि लालू यादव मार्गदर्शक और चेहरा बने रहेंगे।