
उत्तराखंड के यमुनोत्री धाम की तीर्थयात्रा एक बार फिर प्राकृतिक आपदा की चपेट में आ गई है। जानकीचट्टी-यमुनोत्री पैदल मार्ग पर स्थित भैरव मंदिर के पास सोमवार देर शाम हुए भारी भूस्खलन ने यात्रा मार्ग को पूरी तरह बाधित कर दिया है। इस हादसे में दो श्रद्धालु लापता हो गए हैं और उनकी खोजबीन लगातार जारी है। प्रशासन ने फिलहाल यमुनोत्री धाम की आवाजाही पूरी तरह से रोक दी है।
प्राकृतिक आपदा के आगे ठहरी श्रद्धा की रफ्तार
उत्तरकाशी जिले में हो रही लगातार बारिश के कारण पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन की घटनाएं बढ़ रही हैं। जानकीचट्टी से यमुनोत्री धाम तक का मार्ग करीब 6 किलोमीटर लंबा है, जो तीर्थयात्रियों द्वारा पैदल तय किया जाता है। इसी मार्ग पर स्थित भैरव मंदिर के पास भारी भूस्खलन हुआ, जिससे बड़ी मात्रा में मलबा और पत्थर रास्ते पर आ गिरे। हादसे के बाद दो श्रद्धालुओं के लापता होने की खबर ने पूरे इलाके में चिंता बढ़ा दी है।
यात्रा फिलहाल स्थगित, श्रद्धालु फंसे
भूस्खलन की घटना के तुरंत बाद प्रशासन ने यमुनोत्री की ओर जाने वाले सभी रास्तों को बंद कर दिया। बड़कोट, दुबाटा बैंड, गंगनानी, खराड़ी और पालीगाड़ जैसे प्रमुख पड़ावों पर सैकड़ों श्रद्धालुओं को रोका गया है। इन स्थानों पर प्रशासन द्वारा उन्हें सुरक्षित रूप से ठहराने की व्यवस्था की जा रही है।
जानकारी के मुताबिक, करीब 1,500 से अधिक श्रद्धालु विभिन्न स्थानों पर फंसे हुए हैं और 300 से ज्यादा वाहन मार्ग खुलने का इंतजार कर रहे हैं। मौसम की स्थिति और पहाड़ी इलाके की संवेदनशीलता को देखते हुए राहत और बचाव कार्यों में विशेष सतर्कता बरती जा रही है।
प्रशासनिक अमला सतर्क, बचाव कार्य युद्धस्तर पर
घटना की सूचना मिलते ही प्रशासनिक अमला सक्रिय हो गया। उपजिलाधिकारी बृजेश कुमार तिवारी ने बताया कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है। “भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र अत्यंत संवेदनशील है। हमने यात्रियों को सुरक्षित स्थानों पर रोका है और लगातार बचाव कार्य जारी है।”
राजस्व, पुलिस और SDRF की टीमें घटनास्थल पर तैनात हैं और लापता श्रद्धालुओं की तलाश में जुटी हुई हैं। ड्रोन और खोजी कुत्तों की मदद से भी खोजबीन तेज की जा रही है। मलबा हटाने के लिए भारी मशीनें बुलाई गई हैं, लेकिन दुर्गम पहाड़ी रास्ते के कारण काम में देरी हो रही है।
भंडेली गाड़ वैकल्पिक मार्ग भी जोखिम भरा
विकल्प के तौर पर इस्तेमाल होने वाला भंडेली गाड़-यमुनोत्री पैदल मार्ग भी फिलहाल सुरक्षित नहीं है। यह लगभग 2.5 किमी का ट्रैक है, लेकिन हालिया बारिश के कारण यहां भी पगडंडी की स्थिति कमजोर हो गई है। प्रशासन ने इस मार्ग का प्रयोग न करने की सलाह दी है और सभी यात्रियों से धैर्य बनाए रखने की अपील की है।
विधायक संजय डोभाल मौके पर पहुंचे, राहत कार्यों का लिया जायजा
यमुनोत्री विधायक संजय डोभाल भी घटनास्थल पर पहुंचे और हालात का जायजा लिया। उन्होंने बचाव कार्यों की प्रगति का निरीक्षण किया और प्रशासन को निर्देश दिए कि लापता श्रद्धालुओं की तलाश में कोई कसर न छोड़ी जाए।
डोभाल ने बताया, “हमारे लिए हर श्रद्धालु की जान कीमती है। राहत कार्यों में तेजी लाई जा रही है और जरूरत पड़ने पर हेलीकॉप्टर सेवाओं की भी मांग की जाएगी।” उन्होंने स्थानीय लोगों और यात्रा मार्ग पर सेवा दे रहे संगठनों से भी सहयोग की अपील की।
श्रद्धालुओं से धैर्य और सहयोग की अपील
प्रशासन ने यात्रियों से संयम और धैर्य बनाए रखने की अपील की है। उत्तरकाशी जिला प्रशासन ने एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है, जिससे श्रद्धालुओं के परिजन स्थिति की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
धार्मिक संगठनों और स्थानीय सेवाभावी संस्थाओं ने यात्रियों के लिए भोजन, जल और अस्थायी आवास की व्यवस्था करना शुरू कर दिया है। बड़कोट और गंगनानी जैसे प्रमुख पड़ावों पर मेडिकल टीमें तैनात की गई हैं, ताकि किसी भी आपात स्थिति में तत्काल सहायता उपलब्ध कराई जा सके।