
पंजाब की राजनीति में एक बार फिर एक अहम मोड़ पर नजरें टिकी हैं, जहां लुधियाना पश्चिम विधानसभा सीट पर गुरुवार, 19 जून को उपचुनाव संपन्न हुआ। इस बार मतदान प्रतिशत सिर्फ 51.33% रहा, जो कि 2022 के विधानसभा चुनाव में दर्ज किए गए 64% मतदान के मुकाबले काफी कम है। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, मतदान सुबह 7 बजे शुरू होकर शाम 6 बजे तक चला, लेकिन अपेक्षित उत्साह मतदाताओं में देखने को नहीं मिला।
अब सारा ध्यान 23 जून को होने वाली मतगणना पर केंद्रित है, जब यह तय होगा कि यह सीट किसके हिस्से में जाती है — सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी, विपक्षी कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी, या शिरोमणि अकाली दल।
क्यों महत्वपूर्ण है यह उपचुनाव?
इस उपचुनाव को सिर्फ एक सीट की लड़ाई नहीं, बल्कि राजनीतिक प्रतिष्ठा की परीक्षा के तौर पर देखा जा रहा है। यह उपचुनाव जनवरी 2025 में आप विधायक गुरप्रीत बस्सी गोगी के निधन के कारण कराया जा रहा है। गोगी ने 2022 में कांग्रेस के कद्दावर नेता भारत भूषण आशु को हराकर यह सीट आम आदमी पार्टी के पक्ष में की थी।
अब देखना यह है कि क्या आम आदमी पार्टी इस सीट को बरकरार रख पाएगी या कांग्रेस अपनी खोई हुई जमीन फिर से हासिल करेगी। इसके अलावा बीजेपी और अकाली दल भी अपने-अपने आधार को मजबूत करने की जद्दोजहद में हैं।
कम मतदान: चिंता की वजह या रणनीतिक संकेत?
चुनाव आयोग के मुख्य अधिकारी सिबिन सी ने जानकारी दी कि 51.33% मतदान हुआ, जो कि अपेक्षा से कम है। विशेषज्ञ इसे मतदाताओं की उदासीनता, विकास कार्यों से असंतोष, या राजनीतिक भ्रम का संकेत मान रहे हैं। कुल 1,75,469 मतदाताओं में से लगभग आधे ही वोट डालने पहुंचे। इनमें 85,371 महिलाएं, 10 थर्ड जेंडर और बाकी पुरुष मतदाता शामिल हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कम मतदान से कोई अप्रत्याशित परिणाम निकल सकता है, जो किसी भी पार्टी के लिए झटका या वरदान साबित हो सकता है।
आप के लिए अग्निपरीक्षा
यह उपचुनाव आम आदमी पार्टी और खासतौर पर मुख्यमंत्री भगवंत मान के लिए एक ‘अग्निपरीक्षा’ है। पार्टी ने यहां से अपने राज्यसभा सांसद संजीव अरोड़ा को उम्मीदवार बनाया है। अरोड़ा लुधियाना के उद्योगपति और सामाजिक कार्यकर्ता हैं, जो ‘कृष्ण प्राण ब्रेस्ट कैंसर चैरिटेबल ट्रस्ट’ भी संचालित करते हैं।
संजीव अरोड़ा ने मतदान से पहले गुरुद्वारे, मंदिर और दरगाह जाकर मत्था टेका और परिवार के साथ वोट डालने पहुंचे। भगवंत मान की सरकार पर लुधियाना में पर्याप्त विकास न करने और उद्योगों को नजरअंदाज करने के आरोप लगे हैं, ऐसे में यह सीट बचा पाना ‘आप’ के लिए आसान नहीं होगा।
कांग्रेस की वापसी की कोशिश
कांग्रेस ने एक बार फिर भारत भूषण आशु पर भरोसा जताया है, जो दो बार इस सीट से विधायक रह चुके हैं और पार्टी के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं। आशु को 2022 में गोगी से हार का सामना करना पड़ा था। इस बार वह अपने पुराने अनुभव और क्षेत्रीय प्रभाव के बल पर वापसी की कोशिश में हैं। कांग्रेस ने चुनाव प्रचार में आम आदमी पार्टी की नीतियों को विफल बताते हुए बेरोजगारी, महंगाई और भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाया।
बीजेपी की सधी हुई चाल
भाजपा ने इस उपचुनाव में वरिष्ठ नेता जीवन गुप्ता को मैदान में उतारा है। वह पार्टी की प्रदेश कोर कमेटी के सदस्य और पूर्व में महासचिव रह चुके हैं। भाजपा ने इस बार विकास, राष्ट्रवाद और स्थायित्वपूर्ण शासन के मुद्दों को सामने रखा।
हालांकि पंजाब में भाजपा की सीधी पकड़ उतनी मजबूत नहीं है, लेकिन 2024 लोकसभा चुनाव में मिली आंशिक सफलता के बाद पार्टी यहां नए सिरे से अपनी जड़ें मजबूत करने की कोशिश में है।
अकाली दल का पुनर्निर्माण प्रयास
शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने वकील और लुधियाना बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष परोपकार सिंह घुम्मण को उम्मीदवार बनाया है। अकाली दल इस उपचुनाव के जरिए खुद को फिर से राज्य की राजनीति में प्रासंगिक साबित करने की कोशिश में है।
हाल के वर्षों में अकाली दल को लगातार हार का सामना करना पड़ा है, लेकिन पार्टी नेतृत्व को उम्मीद है कि पारंपरिक सिख वोट बैंक उन्हें फिर से मजबूती देगा।
मुख्यमंत्री की अपील और रणनीति
मतदान शुरू होने से पहले मुख्यमंत्री भगवंत मान ने ट्वीट कर जनता से वोट डालने की अपील की थी। उन्होंने कहा था, “अपने क्षेत्र के विकास और समृद्धि के लिए वोट जरूर डालें। यह आपका अधिकार और कर्तव्य दोनों है।”
आप के प्रचार अभियान में भगवंत मान ने खुद कई रैलियां कीं और स्थानीय मुद्दों को सामने लाया। उन्होंने बिजली मुफ्त, स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार और स्कूल शिक्षा में आमूलचूल बदलाव जैसे ‘दिल्ली मॉडल’ को ही दोहराया।
वोटिंग डे: शांतिपूर्ण रहा चुनाव, पर मतदाता ठंडे रहे
चुनाव आयोग के अनुसार मतदान शांतिपूर्ण रहा और कहीं से भी किसी बड़ी गड़बड़ी की खबर नहीं मिली। सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद थी। हालांकि, राजनीतिक दलों ने मतदाताओं की कम भागीदारी पर चिंता जताई।
आप, कांग्रेस, भाजपा, और अकाली दल — चारों प्रमुख दलों के उम्मीदवारों ने अपने-अपने परिवार के साथ मतदान किया और जीत का दावा किया।
23 जून: किसके नाम होगी लुधियाना पश्चिम सीट?
अब सभी की निगाहें 23 जून पर टिकी हैं, जब यह स्पष्ट होगा कि पंजाब की राजनीति में कौन सी पार्टी एक कदम आगे बढ़ती है। क्या आम आदमी पार्टी सीट बरकरार रख पाएगी या कांग्रेस पुराना गढ़ वापस लेगी? या फिर भाजपा और अकाली दल कोई चौंकाने वाला प्रदर्शन करेंगे?