
पंजाब की सियासत एक बार फिर गरमाने वाली है, क्योंकि लुधियाना पश्चिम विधानसभा सीट पर उपचुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है। भारत निर्वाचन आयोग ने रविवार को जानकारी दी कि यह उपचुनाव 19 जून को आयोजित किया जाएगा, जबकि मतगणना 23 जून को होगी। इस सीट पर उपचुनाव की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि आप विधायक गुरप्रीत बस्सी गोगी के निधन के चलते यह सीट जनवरी 2025 में रिक्त हो गई थी।
चुनाव कार्यक्रम की पूरी जानकारी
आयोग के मुताबिक, नामांकन प्रक्रिया 26 मई से शुरू हो रही है। उम्मीदवार 2 जून तक अपने नामांकन पत्र दाखिल कर सकते हैं। नामांकन पत्रों की जांच 3 जून को की जाएगी, और यदि कोई उम्मीदवार नाम वापस लेना चाहता है, तो उसके लिए अंतिम तिथि 5 जून निर्धारित की गई है।
चुनाव आयोग के इस ऐलान के साथ ही राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं। लुधियाना पश्चिम सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय होता नजर आ रहा है, जहां आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल आमने-सामने हैं, जबकि भाजपा की चुप्पी अभी भी चुनावी हलकों में चर्चाओं का विषय बनी हुई है।
कौन-कौन हैं मैदान में?
इस बार के उपचुनाव में पहला दांव आप (AAP) ने खेला है। पार्टी ने अपने राज्यसभा सदस्य संजीव अरोड़ा को उम्मीदवार घोषित किया है। संजीव अरोड़ा लुधियाना के उद्यमी पृष्ठभूमि से आते हैं और राज्यसभा में सक्रिय भूमिका निभा चुके हैं। आप के लिए यह उपचुनाव काफी अहम है क्योंकि पार्टी यहां सत्ता में है और सीट को बरकरार रखने का दबाव उस पर साफ नजर आता है।
वहीं कांग्रेस पार्टी ने इस उपचुनाव में बड़ा चेहरा उतारा है। पार्टी ने पूर्व मंत्री और वरिष्ठ नेता भारत भूषण आशु को मैदान में उतारा है। आशु लुधियाना की राजनीति में एक जाना-पहचाना नाम हैं और उनके जनसंपर्क व पुराने कार्यकाल को देखते हुए कांग्रेस इस बार कड़ी टक्कर देने की तैयारी में है।
शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने भी इस बार एक नए चेहरे पर भरोसा जताया है। पार्टी ने परुपकार सिंह घुम्मन को अपना उम्मीदवार बनाया है। अकाली दल इस सीट को दोबारा पार्टी के प्रभाव क्षेत्र में लाने की कोशिश कर रही है।
हालांकि भाजपा (BJP) ने अभी तक अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है। लेकिन पार्टी के स्थानीय और केंद्रीय नेतृत्व की बैठकें चल रही हैं और माना जा रहा है कि जल्द ही नाम की घोषणा की जा सकती है।
क्या AAP बचा पाएगी यह सीट?
गुरप्रीत बस्सी गोगी के निधन से खाली हुई यह सीट आम आदमी पार्टी के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन चुकी है। पार्टी के लिए यह सीट इसलिए भी अहम है क्योंकि 2022 में पंजाब में सत्ता में आने के बाद AAP ने लुधियाना जैसे शहरी क्षेत्र में भी अपनी पकड़ मजबूत की थी।
हालांकि, हालिया घटनाक्रम आप की स्थिति को चुनौतीपूर्ण बनाता है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में AAP को झटका लगा, वहीं लोकसभा चुनाव 2024 में लुधियाना लोकसभा सीट पर पार्टी को तीसरे स्थान से ही संतोष करना पड़ा। कांग्रेस के अमरिंदर सिंह राजा वडिंग ने यहां से भाजपा के रवनीत सिंह बिट्टू को हराया, जबकि AAP के उम्मीदवार अशोक पाराशर उर्फ पप्पी को करारी हार मिली।
यह चुनाव परिणाम AAP के लिए खतरे की घंटी माने जा रहे हैं। पार्टी के विरोधी अब इस बात को उठा रहे हैं कि आम आदमी पार्टी ने पंजाब में लोगों की अपेक्षाओं पर पूरी तरह खरा नहीं उतरा।
कांग्रेस का आत्मविश्वास चरम पर
लोकसभा चुनावों में शानदार प्रदर्शन के बाद कांग्रेस आत्मविश्वास से लबरेज है। राजा वडिंग की जीत ने पार्टी के पुराने जनाधार को फिर से मजबूत किया है और भारत भूषण आशु जैसे अनुभवी नेता को टिकट देना इस रणनीति का हिस्सा है। पार्टी को उम्मीद है कि शहरी मतदाता जो पहले ‘आप’ की ओर आकर्षित हुआ था, अब फिर से कांग्रेस की ओर रुख कर सकता है।
अकाली दल की रणनीति पर सबकी नजर
शिरोमणि अकाली दल इस चुनाव में अपनी खोई हुई जमीन वापस हासिल करने की कोशिश में है। हालांकि बीते विधानसभा और लोकसभा चुनावों में पार्टी को निराशा हाथ लगी, लेकिन उपचुनाव में वह पूरी ताकत से उतर रही है। परुपकार सिंह घुम्मन को टिकट देकर पार्टी ने युवाओं और नए चेहरों पर भरोसा जताया है।