
महाराष्ट्र की राजनीति और प्रशासनिक ढांचे में एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है। राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) ने उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया है। इसके साथ ही अब महाराष्ट्र को जल्द ही एक नया राज्यपाल मिलने की संभावना है। यह जानकारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने रविवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी।
इस घोषणा से राज्य की सियासत में हलचल मच गई है और अब चर्चा का विषय यह बन गया है कि सीपी राधाकृष्णन की जगह कौन लेगा। केंद्र सरकार के सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं राधाकृष्णन के नाम पर अंतिम मुहर लगाई है, जो उनकी योग्यता और अनुभव पर भरोसे को दर्शाता है।
सीपी राधाकृष्णन: एक अनुशासित, समर्पित और अनुभवी राजनीतिज्ञ
सीपी राधाकृष्णन को भारतीय राजनीति में एक शांत, सौम्य और सिद्धांतों के प्रति प्रतिबद्ध नेता के रूप में जाना जाता है। 4 मई 1957 को तमिलनाडु के तिरुपुर में जन्मे राधाकृष्णन ने व्यवसाय प्रशासन में स्नातक की डिग्री प्राप्त की।
उनका राजनीतिक सफर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से शुरू हुआ। वे वर्ष 1974 में भारतीय जनसंघ (भाजपा का पूर्ववर्ती संगठन) की राज्य कार्यकारिणी समिति के सदस्य बने और यहीं से उनके लंबे राजनीतिक करियर की शुरुआत हुई।
राधाकृष्णन ने 1996 में तमिलनाडु भाजपा के सचिव के रूप में कार्यभार संभाला और दो बार, 1998 और 1999 में कोयंबटूर से लोकसभा सांसद चुने गए। 2004 में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा को संसदीय प्रतिनिधिमंडल के हिस्से के रूप में संबोधित किया — यह उनकी अंतरराष्ट्रीय समझ और संवाद कौशल को दर्शाता है।
वे 2004 से 2007 तक तमिलनाडु भाजपा के अध्यक्ष भी रहे। इस दौरान उन्होंने सामाजिक और सांस्कृतिक मुद्दों पर गंभीर सक्रियता दिखाई और 19,000 किलोमीटर लंबी रथ यात्रा कर नदी जोड़ो परियोजना, आतंकवाद विरोध, समान नागरिक संहिता, नशा मुक्ति और अस्पृश्यता जैसे ज्वलंत विषयों पर जनजागृति अभियान चलाया।
राज्यपाल के रूप में राधाकृष्णन की भूमिका
सीपी राधाकृष्णन को फरवरी 2023 में झारखंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया था। वहां उन्होंने संविधान की मर्यादा, राज्य सरकार के साथ संवाद, और शैक्षणिक संस्थानों के सुदृढ़ीकरण जैसे कई विषयों पर सक्रिय भूमिका निभाई।
इसके बाद फरवरी 2024 में, उन्हें महाराष्ट्र का 24वां राज्यपाल नियुक्त किया गया। राज्यपाल के रूप में उनके कार्यकाल को संतुलित और गरिमामय माना गया है। उन्होंने राजनीतिक दलों के बीच समन्वय बनाए रखा और राज्य में प्रशासनिक स्थिरता सुनिश्चित की। महाराष्ट्र जैसे राजनीतिक रूप से संवेदनशील राज्य में राज्यपाल की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। सीपी राधाकृष्णन ने यह भूमिका अत्यंत संतुलित दृष्टिकोण और निष्पक्षता के साथ निभाई, जिससे उन्हें केंद्र का विश्वास लगातार मिलता रहा।
राजनीतिक विश्लेषण: क्यों चुना गया राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद के लिए?
विशेषज्ञों का मानना है कि राधाकृष्णन की गंभीर राजनीतिक समझ, संविधान के प्रति निष्ठा, और राष्ट्रीय एकता पर आधारित सोच उन्हें उपराष्ट्रपति जैसे गरिमामय पद के लिए उपयुक्त उम्मीदवार बनाती है।
उपराष्ट्रपति पद केवल प्रतीकात्मक नहीं होता, बल्कि वह राज्यसभा के सभापति के तौर पर भी अहम भूमिका निभाता है। राधाकृष्णन का संयमित व्यवहार और संवाद कौशल उन्हें इस संवैधानिक भूमिका के लिए एक आदर्श उम्मीदवार बनाता है।
बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार, “राधाकृष्णन का चयन इस बात का संकेत है कि एनडीए अब अनुभवी और स्वच्छ छवि वाले नेताओं को संवैधानिक पदों पर प्राथमिकता दे रहा है। उनका राजनीतिक अनुभव, विशेषकर संघ और संसद दोनों में, उन्हें अद्वितीय बनाता है।”
महाराष्ट्र को मिलेगा नया राज्यपाल
राधाकृष्णन के उपराष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल होने के साथ ही यह तय है कि महाराष्ट्र को नया राज्यपाल मिलेगा। यह नियुक्ति आने वाले कुछ हफ्तों में की जा सकती है। सूत्रों के अनुसार, केंद्र सरकार किसी वरिष्ठ और अनुभवी नेता को इस पद की जिम्मेदारी दे सकती है, जो महाराष्ट्र की राजनीतिक और सामाजिक परिस्थितियों को गहराई से समझता हो।
कई पूर्व नौकरशाहों, पूर्व मुख्यमंत्रियों और पूर्व लोकसभा/राज्यसभा सदस्यों के नाम चर्चा में हैं। इस पद के लिए संभावित नामों में मुकुल रोहतगी, राधामोहन सिंह, मनोज सिन्हा और सुमित्रा महाजन जैसे नेताओं के नाम भी सामने आ रहे हैं, हालांकि आधिकारिक पुष्टि अभी नहीं हुई है।