
स्वतंत्रता दिवस के दिन दिल्ली के ऐतिहासिक हुमायूं के मकबरे में एक दर्दनाक हादसा सामने आया है। दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के निज़ामुद्दीन इलाके में स्थित इस विश्व धरोहर स्थल में शुक्रवार को फतेह शाह दरगाह का एक हिस्सा अचानक ढह गया, जिसमें छह लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए।
दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के जिलाधिकारी डॉ. श्रवण बागरिया ने छह लोगों की मौत की पुष्टि की है। यह हादसा उस समय हुआ जब बारिश के चलते कुछ लोग दरगाह के पास ठहरे हुए थे। अचानक दरगाह के पीछे का हिस्सा गिर गया और लोग मलबे में दब गए। राहत और बचाव कार्य में 10-12 लोगों को बाहर निकाला गया, जिनमें से पांच की हालत गंभीर बताई गई है। घायलों को फौरन एम्स और लोक नायक जयप्रकाश (LNJP) अस्पताल में भर्ती कराया गया।
कमजोर संरचना बनी हादसे का कारण: फायर डिपार्टमेंट
फायर डिपार्टमेंट के वरिष्ठ अधिकारी मुकेश वर्मा ने बताया कि हादसे में दरगाह के दो कमरे पूरी तरह ढह गए। उनका कहना है, “संरचना काफी पुरानी और कमजोर थी। लगातार बारिश ने स्थिति और भी बिगाड़ दी। राहत और बचाव अभियान अब पूरा हो चुका है और मलबा हटा लिया गया है।”
अधिकारी ने यह भी जोड़ा कि ऐसी पुरानी इमारतों की समय-समय पर जांच बेहद जरूरी है, खासकर तब जब वे सार्वजनिक रूप से खुली होती हैं और ऐतिहासिक महत्व रखती हैं।
“मेरी बेटी का क्या होगा?” – पीड़ित परिवार का दर्द
इस दर्दनाक हादसे में मारे गए मोईन नामक व्यक्ति के ससुर ने मीडिया से बातचीत में अपना दुख साझा करते हुए कहा, “मोईन कपड़े की दुकान पर काम करता था। शायद वह दरगाह में नमाज पढ़ने गया होगा। उसकी दो छोटी बेटियां हैं। मेरी बेटी का क्या होगा? उसने मुझे फोन करके बताया कि छत गिर गई है और उसकी हालत बहुत खराब है।”
इस तरह की पीड़ादायक घटनाएं न सिर्फ मृतकों के परिवारों को, बल्कि पूरे समाज को झकझोर कर रख देती हैं। सवाल यह उठता है कि क्या ऐसे ऐतिहासिक स्थलों पर पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम हैं?
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के तहत आता है मकबरा
हुमायूं का मकबरा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की देखरेख में आता है। यह जगह न केवल भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण अध्याय है, बल्कि यूनेस्को द्वारा घोषित एक विश्व धरोहर स्थल भी है। ऐसे में इस हादसे ने ASI की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
क्या दरगाह की संरचनात्मक स्थिति की समय-समय पर जांच की गई थी? क्या बारिश के मौसम में सुरक्षात्मक उपाय अपनाए गए थे? क्या वहां पर्याप्त चेतावनी चिन्ह लगे थे? इन तमाम सवालों का जवाब अभी अधर में है।
हुमायूं का मकबरा: एक ऐतिहासिक धरोहर
दिल्ली के निजामुद्दीन पूर्व इलाके में स्थित हुमायूं का मकबरा न केवल दिल्ली की, बल्कि भारत की सबसे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक इमारतों में से एक है। इसका निर्माण मुगल सम्राट हुमायूं की पहली पत्नी बेगा बेगम (हाजी बेगम) ने 1569-70 के बीच करवाया था। इसकी वास्तुकला फारसी शैली से प्रेरित है, जिसे मिर्क मिर्जा गियास और उनके बेटे सय्यद मुहम्मद ने डिज़ाइन किया था।
यह मकबरा भारतीय उपमहाद्वीप का पहला बगीचा-मकबरा (Garden Tomb) माना जाता है, जो मुगल वास्तुकला की शुरुआत का प्रतीक है। इस मकबरे का निर्माण लाल बलुआ पत्थर और संगमरमर से हुआ है, जो इसे और भी आकर्षक बनाता है। इसके परिसर में कई अन्य छोटे-छोटे मकबरे और स्मारक भी हैं, जिनमें ईसा खान नियाज़ी का मकबरा प्रमुख है।
पहले भी हो चुके हैं छोटे हादसे
हालांकि इस तरह की बड़ी दुर्घटना पहली बार हुई है, लेकिन मकबरे के परिसर में समय-समय पर छोटे हादसों की खबरें आती रही हैं। दीवारों का टूटना, प्लास्टर का गिरना या संरचनात्मक क्षति जैसी घटनाएं पहले भी देखने को मिली हैं, लेकिन इस बार की घटना ने सभी को चौंका दिया है।
यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल होने के बावजूद लापरवाही?
1993 में हुमायूं का मकबरा यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था। इसके बाद से यहां संरक्षण और पुनर्स्थापन का कार्य जारी रहा है। बावजूद इसके, फतेह शाह दरगाह जैसी सहायक संरचनाओं पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया, ऐसा आरोप अब सामने आने लगे हैं।
विरासत संरक्षण में लगे विशेषज्ञों का कहना है कि “मुख्य इमारत की सजावट और रखरखाव पर तो ध्यान दिया जाता है, लेकिन सहायक संरचनाएं अक्सर उपेक्षित रह जाती हैं। यही उपेक्षा इस हादसे की एक बड़ी वजह बन सकती है।”