
पंजाब में एक बार फिर से प्रशासनिक ढांचे में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। सरकार ने शुक्रवार को तीन वरिष्ठ IAS अधिकारियों का ट्रांसफर करते हुए अलग-अलग विभागों में नई जिम्मेदारियाँ सौंपी हैं। इस फेरबदल का उद्देश्य राज्य प्रशासन को और अधिक प्रभावी बनाना तथा विभिन्न विभागों में नीतियों के क्रियान्वयन में तेजी लाना बताया जा रहा है।
सरकारी आदेश के अनुसार ट्रांसफर किए गए तीनों अधिकारी राज्य के महत्वपूर्ण प्रशासनिक पदों पर कार्यरत रहे हैं, और अब उन्हें नई जिम्मेदारियों के तहत अलग-अलग विभागों की कमान सौंपी गई है। फेरबदल की यह कार्रवाई एक सुनियोजित रणनीति का हिस्सा मानी जा रही है, जिसे सरकार ने प्रशासनिक दक्षता को बढ़ाने के उद्देश्य से लागू किया है।
किस अधिकारी को कहाँ भेजा गया?
राज्य सरकार की ओर से जारी आदेश में जिन तीन IAS अधिकारियों का ट्रांसफर किया गया है, उनमें शामिल हैं:
1. डी.के. तिवारी (IAS, 1994 बैच)
अब तक परिवहन विभाग के प्रमुख के तौर पर कार्यरत रहे डी.के. तिवारी को संसदीय कार्य विभाग में भेजा गया है।
यह विभाग विधानसभा सत्रों, विधायी प्रक्रियाओं और मंत्रिमंडल के समन्वय कार्यों का संचालन करता है। तिवारी की प्रशासनिक समझ और कार्य अनुभव को देखते हुए यह जिम्मेदारी उन्हें दी गई है। तिवारी पंजाब प्रशासन के सबसे वरिष्ठ और अनुभवी अधिकारियों में से एक माने जाते हैं।
2. वरुण रूजम (IAS, 2004 बैच)
वरुण रूजम को आबकारी आयुक्त और कर आयुक्त, पंजाब के पद से हटाकर अब परिवहन विभाग में प्रशासनिक सचिव के रूप में नियुक्त किया गया है।
साथ ही उन्हें आबकारी और कर विभाग का आयुक्त भी बनाए रखा गया है, यानी अब वह इन दोनों विभागों के संयुक्त प्रमुख होंगे।
यह जिम्मेदारी उन्हें इसलिए दी गई है ताकि राज्य के राजस्व से जुड़े विभागों के बीच बेहतर तालमेल स्थापित हो सके।
3. कमल किशोर यादव (IAS, 2005 बैच)
कमल किशोर यादव को अब तीन महत्वपूर्ण विभागों का प्रशासनिक सचिव नियुक्त किया गया है।
उद्योग एवं वाणिज्य विभाग
निवेश प्रोत्साहन विभाग
सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग प्रोत्साहन विभाग
यादव की नियुक्ति को राज्य में उद्योगिकरण और निवेश को गति देने की रणनीति के तहत अहम माना जा रहा है। उनके नेतृत्व में सरकार को उम्मीद है कि पंजाब में आईटी और स्टार्टअप इकोसिस्टम को भी मजबूती मिलेगी।
क्या है फेरबदल का उद्देश्य?
सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि यह बदलाव किसी एक घटना या कारण से प्रेरित नहीं है, बल्कि यह एक नियमित प्रशासनिक प्रक्रिया का हिस्सा है जिसका मकसद अधिकारियों की योग्यता के अनुसार उन्हें सही विभाग में तैनात करना है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया,
“इन तीनों अधिकारियों का ट्रैक रिकॉर्ड बेहद प्रभावशाली रहा है। सरकार चाहती है कि इनके अनुभव और कार्यशैली का लाभ राज्य के उन विभागों को मिले जो आर्थिक, औद्योगिक और प्रशासनिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।”
राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में चर्चाएं
यह फेरबदल भले ही एक नियमित प्रक्रिया के रूप में प्रस्तुत किया गया हो, लेकिन राजनीतिक और नौकरशाही गलियारों में इस बदलाव को लेकर कई चर्चाएं हो रही हैं। विशेष रूप से डीके तिवारी को परिवहन विभाग से हटाकर संसदीय कार्य विभाग में भेजे जाने को लेकर कुछ हलकों में इसे नीतिगत बदलाव से जोड़कर देखा जा रहा है।
वहीं वरुण रूजम और कमल किशोर यादव की नई नियुक्तियों को “प्रमोशन के रूप में देखा जा रहा है”, क्योंकि दोनों को राज्य के अत्यधिक सक्रिय और राजस्व-संबंधी विभागों में प्रमुख जिम्मेदारियाँ दी गई हैं।
परिवहन और आबकारी विभाग पर विशेष फोकस
इस फेरबदल से यह भी स्पष्ट हो रहा है कि सरकार अब परिवहन और आबकारी/कर विभाग पर विशेष ध्यान देना चाहती है। ये दोनों विभाग न केवल राजस्व के बड़े स्रोत हैं, बल्कि आम जनता से सीधे जुड़े हुए भी हैं।
वरुण रूजम को इन दोनों विभागों का संयुक्त प्रभार सौंपना दर्शाता है कि सरकार इन विभागों में नए सुधार और डिजिटलीकरण को लेकर गंभीर है। इससे पहले रूजम ने फील्ड पोस्टिंग्स और फाइनेंस से जुड़े कई जटिल कार्यों को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है।
उद्योग और आईटी सेक्टर में सरकार की योजना
कमल किशोर यादव की तीनहरी नियुक्ति इस बात का संकेत है कि सरकार पंजाब को निवेश और आईटी हब के रूप में विकसित करना चाहती है। हाल ही में सरकार ने “इन्वेस्ट पंजाब” मिशन के तहत कई विदेशी निवेशकों से मुलाकात की थी, और अब यादव की नियुक्ति से इस दिशा में गति लाने की उम्मीद की जा रही है।
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