उत्तराखंड के सीढ़ीदार खेतों में परंपरागत रूप से उगाए जाने वाले एक अनाज, मंडुआ, को अब नया जीवन मिल रहा है। कुछ समय पहले तक इसे उपेक्षित रखा गया था, लेकिन अब यह हाथों-हाथ बिक रहा है। राज्य सरकार की योजनाओं और प्रोत्साहन के कारण इस फसल की मांग में जबरदस्त वृद्धि देखी जा रही है। इस साल, उत्तराखंड सरकार ने सहकारी और किसान संघों के माध्यम से किसानों से 3100 मीट्रिक टन से अधिक मंडुआ खरीदा है। साथ ही, सरकार ने किसानों को मंडुआ पर ₹4200 प्रति कुंतल का समर्थन मूल्य भी दिया है।
उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में मंडुआ (या रागी) एक महत्वपूर्ण परंपरागत अनाज के रूप में उगाया जाता है। इसे पोषण से भरपूर माना जाता है और पहाड़ी इलाकों में यह एक प्रमुख खाद्य सामग्री है। हालांकि पिछले कुछ वर्षों में मंडुआ की खेती को सरकार से अपेक्षित समर्थन न मिलने और बाजार में इसकी सही कीमत न मिलने के कारण यह उपेक्षित होने लगा था। किसानों ने भी इस फसल से मोह भंग करना शुरू कर दिया था। लेकिन अब राज्य और केंद्र सरकार की तरफ से मिलेट्स (अनाजों) को बढ़ावा देने की दिशा में ठोस कदम उठाए गए हैं। इस बदलाव ने मंडुआ की खेती को फिर से किसानों के लिए लाभकारी बना दिया है।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, “हमारा उद्देश्य उत्तराखंड के किसानों को प्रोत्साहित करना है, ताकि वे अपनी परंपरागत फसलों के साथ-साथ नवाचार के लिए भी प्रेरित हों। मंडुआ की खेती के प्रति बढ़ते रुझान से न केवल किसानों की आय बढ़ेगी, बल्कि यह राज्य की कृषि नीति को भी मजबूती प्रदान करेगा। हम अगले कुछ वर्षों में मंडुआ के उत्पादन को और बढ़ाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मिलेट्स को बढ़ावा देने के लिए 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष घोषित किया गया, जिसके बाद उत्तराखंड राज्य सरकार ने भी किसानों को प्रोत्साहन देने के लिए कई कदम उठाए।
सबसे पहले 2022 में उत्तराखंड सरकार ने मंडुआ को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत शामिल किया और इसे न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीदने की प्रक्रिया शुरू की। इसके बाद सरकार ने मंडुआ के प्रसंस्करण और वितरण के लिए व्यापक योजना बनाई, जिसमें सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS), मिड डे मील, और आंगनवाड़ी केंद्रों पर इस अनाज का उपयोग किया गया। इसके अलावा, राज्य सरकार ने स्टेट मिलेट मिशन भी शुरू किया, जिसके तहत मिलेट्स के उत्पादों के प्रचार-प्रसार के साथ-साथ किसानों को इस फसल के प्रति आकर्षित किया गया।
सरकार ने मंडुआ उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए किसानों को बीज और खाद पर 80 प्रतिशत तक सब्सिडी दी। इससे किसानों का आर्थिक बोझ घटा और मंडुआ की खेती को अधिक लाभकारी बनाया गया।
मंडुआ की खरीद को सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार ने एक अभिनव कदम उठाया। पहले जहां मंडुआ खरीदने के लिए केवल 23 केंद्र थे, अब यह संख्या बढ़कर 270 हो गई है। इन केंद्रों के माध्यम से दूरदराज के क्षेत्रों से भी मंडुआ की खरीद की जा रही है। बहुउद्देशीय प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों और किसान उत्पादक संगठनों के सहयोग से विभिन्न स्थानों पर संग्रह केंद्र स्थापित किए गए हैं।
इस साल उत्तराखंड के किसानों से 3100.17 मीट्रिक टन मंडुआ की खरीद की गई। इसके लिए किसानों को ₹42.46 प्रति किलो के समर्थन मूल्य पर भुगतान किया गया। सरकार ने मंडुआ खरीद में सहयोग देने के लिए किसान संघों को 150 रुपए प्रति कुंतल और कृषि सहकारी समितियों को प्रति केंद्र 50,000 रुपए की प्रोत्साहन राशि प्रदान की। इसके अलावा, यह सुनिश्चित किया गया कि केंद्रों के माध्यम से किए गए भुगतान को 72 घंटे के भीतर किया जाए।
उत्तराखंड में मंडुआ के समर्थन मूल्य में पिछले कुछ वर्षों में एक महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है। 2021-22 में मंडुआ का समर्थन मूल्य ₹2500 प्रति कुंतल था, जो अब ₹4200 प्रति कुंतल हो गया है। इस प्रकार, दो साल के अंतराल में समर्थन मूल्य में 68 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यह वृद्धि किसानों के लिए एक बड़ी राहत साबित हुई है, क्योंकि यह उन्हें मंडुआ की खेती को लाभकारी बनाने के लिए प्रेरित करती है।
इस वृद्धि का प्रभाव मंडुआ उत्पादन पर भी देखा जा रहा है क्योंकि अब किसानों को अपने उत्पाद का उचित मूल्य मिल रहा है और उनकी आय में भी सुधार हुआ है।
मंडुआ (रागी) को पोषण से भरपूर अनाज माना जाता है। इसमें उच्च मात्रा में कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन, और अन्य आवश्यक मिनरल्स होते हैं, जो मानव शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं। इसके अलावा, मंडुआ एक आर्गेनिक अनाज है जो पहाड़ी क्षेत्रों की उपजाऊ भूमि पर प्राकृतिक रूप से उगता है और पर्यावरण के लिए भी लाभकारी है। यह अन्य अनाजों के मुकाबले कम पानी की आवश्यकता वाला है, जिससे इसे पर्यावरण के दृष्टिकोण से भी एक स्थायी विकल्प माना जाता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मिलेट्स के प्रचार-प्रसार के बाद मंडुआ की मांग देशभर में बढ़ी है। इसके स्वास्थ्य लाभ और पोषण के कारण अब यह न केवल उत्तराखंड, बल्कि पूरे देश में एक लोकप्रिय और पसंदीदा अनाज बनता जा रहा है।