
भारत और मॉरीशस के संबंधों में एक नए अध्याय की शुरुआत होने जा रही है। मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीनचंद्र रामगुलाम 11 सितंबर को अपनी भारत यात्रा के दौरान काशी (वाराणसी) पहुंचेंगे, जहां वे पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे। यह ऐतिहासिक बैठक व्यापार, तकनीकी नवाचार, पर्यटन और सांस्कृतिक सहयोग जैसे अहम क्षेत्रों को मजबूती देने पर केंद्रित होगी।
रामगुलाम की भारत यात्रा 9 सितंबर से 15 सितंबर तक निर्धारित है, लेकिन इसका सबसे महत्वपूर्ण चरण काशी में होगा। यह पहला अवसर होगा जब मॉरीशस का कोई प्रधानमंत्री काशी में भारत के प्रधानमंत्री के साथ औपचारिक द्विपक्षीय वार्ता करेगा।
काशी में स्वागत की भव्य तैयारी
11 सितंबर को मॉरीशस के प्रधानमंत्री के आगमन को लेकर प्रशासनिक स्तर पर तैयारियाँ जोरों पर हैं। बाबतपुर एयरपोर्ट पर उनका गार्ड ऑफ ऑनर और पारंपरिक सांस्कृतिक स्वागत किया जाएगा। उत्तर प्रदेश सरकार ने इस अवसर को यादगार बनाने के लिए राज्य के सर्वश्रेष्ठ सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति की योजना बनाई है।
उनके स्वागत की जिम्मेदारी वाराणसी मंडलायुक्त एस. राजलिंगम को सौंपी गई है, जिन्हें केंद्र सरकार द्वारा नोडल अधिकारी नामित किया गया है। उन्होंने कहा, “11 सितंबर को मॉरीशस के प्रधानमंत्री काशी पहुंचेंगे। मिनट-टू-मिनट कार्यक्रम अभी नहीं मिला है, लेकिन हम सभी तैयारियों को अंतिम रूप दे रहे हैं।”
मोदी-रामगुलाम की पहली द्विपक्षीय बैठक
मॉरीशस और भारत के बीच ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और रणनीतिक संबंध लंबे समय से रहे हैं, लेकिन यह पहली बार है जब दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों के बीच काशी की धरती पर द्विपक्षीय बैठक होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नवीनचंद्र रामगुलाम के बीच यह वार्ता कई मायनों में महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
रात्रिभोज में शामिल होंगे राज्य के दिग्गज
11 सितंबर की शाम उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से विशेष रात्रिभोज का आयोजन किया जाएगा, जिसमें केंद्र सरकार और राज्य सरकार के कई मंत्री भी उपस्थित रहेंगे। यह रात्रिभोज राजनयिक शिष्टाचार के साथ-साथ मेहमानों को भारतीय संस्कृति का अनुभव कराने का माध्यम भी होगा।
स्थलों के चयन और कार्यक्रम की तैयारी शुरू
वाराणसी प्रशासन और प्रदेश सरकार अब मॉरीशस प्रधानमंत्री की यात्रा को सुगम और प्रभावशाली बनाने के लिए स्थलों के चयन और कार्यक्रमों की रूपरेखा तय कर रही है। केंद्रीय प्रोटोकॉल के अनुसार सुरक्षा, यातायात, मीडिया कवरेज और नागरिक सुविधाओं की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
गंगा घाटों को विशेष रूप से सजाया जाएगा, वहीं सभी स्थलों पर साफ-सफाई और सौंदर्यीकरण का काम युद्धस्तर पर शुरू हो चुका है। यह काशी के लिए एक बार फिर वैश्विक फोकस में आने का अवसर है।
भारत-मॉरीशस: गहरे सांस्कृतिक रिश्ते
भारत और मॉरीशस के संबंध केवल राजनीतिक या आर्थिक नहीं हैं, बल्कि संस्कृति, धर्म, और विरासत से गहराई से जुड़े हैं। मॉरीशस की बड़ी आबादी भारतीय मूल की है, विशेष रूप से उत्तर भारत से। ऐसे में प्रधानमंत्री रामगुलाम की काशी यात्रा न केवल एक औपचारिक दौरा है, बल्कि यह भारतीय मूल के लोगों के लिए गर्व का क्षण भी है।
भारत ने मॉरीशस के साथ हमेशा मजबूत संबंध बनाए रखे हैं — चाहे वह आपदा के समय सहयोग हो, तकनीकी सहायता हो या सांस्कृतिक विनिमय। काशी में होने वाली यह बैठक दोनों देशों के रिश्तों को और प्रगाढ़ बनाने का अवसर होगी।
2023 में भी काशी पहुंचे थे मॉरीशस के पूर्व प्रधानमंत्री
यह पहली बार नहीं है जब काशी को मॉरीशस के शीर्ष नेतृत्व की मेजबानी का मौका मिल रहा है। 11 सितंबर 2023 को तत्कालीन प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ काशी आए थे और उन्होंने दशाश्वमेध घाट पर अपने पारिवारिक सदस्य की अस्थियाँ विसर्जित की थीं। वह यात्रा व्यक्तिगत भावनात्मक जुड़ाव का प्रतीक थी, जबकि नवीनचंद्र रामगुलाम की यह यात्रा राजनीतिक, सांस्कृतिक और आर्थिक तीनों ही दृष्टियों से बेहद महत्वपूर्ण है।