
राज्य कर विभाग में सीमावर्ती क्षेत्रों में जीएसटी चोरी की रोकथाम के लिए तैनात की गई मोबाइल टीमों को अब समाप्त करने की तैयारी की जा रही है। शासन स्तर पर इस दिशा में गंभीरता से विचार शुरू हो गया है और विभाग से इस संबंध में औपचारिक प्रस्ताव मांगा गया है। सरकार की योजना है कि जीएसटी चोरी की जांच और निगरानी का काम अब विभाग के आंतरिक ऑडिट विंग के माध्यम से और अधिक प्रभावी ढंग से किया जाए।
राज्य में वर्तमान समय में 11 मोबाइल टीमें कार्यरत हैं, जो मुख्य रूप से राज्य की सीमाओं पर बिना बिल के प्रवेश करने वाले माल की जांच और निगरानी के लिए तैनात की गई हैं। इन टीमों में सहायक आयुक्त, उपायुक्त, राज्य कर अधिकारी और निरीक्षक स्तर के अधिकारी शामिल होते हैं। लेकिन हालिया जीएसटी समीक्षा बैठक में यह पाया गया कि इन मोबाइल टीमों के संचालन से राजस्व में कोई विशेष वृद्धि नहीं हो रही है।
मोबाइल टीमों की उपयोगिता पर सवाल
शासन स्तर पर हुई समीक्षा में इस बात पर बल दिया गया कि वर्तमान में जो कार्य मोबाइल टीमें कर रही हैं, उसे संभागीय कार्यालयों के माध्यम से भी किया जा सकता है। समीक्षा में यह निष्कर्ष निकाला गया कि मोबाइल टीमों के लिए अलग से संसाधन लगाने की आवश्यकता नहीं रह गई है, और इनकी उपयोगिता अब सीमित हो गई है।
वित्त सचिव दिलीप जावलकर ने इस मुद्दे पर बयान देते हुए कहा, “हम अन्य राज्यों की तर्ज पर अपने राज्य कर विभाग में ऑडिट विंग को सशक्त करने की दिशा में काम कर रहे हैं। वर्तमान में हमारे ऑडिट विंग के माध्यम से जीएसटी रिकवरी अपेक्षाकृत कम है, लेकिन इसमें वृद्धि की काफी संभावनाएं हैं। इसलिए विभाग से कहा गया है कि मोबाइल टीमों को समाप्त करने संबंधी प्रस्ताव भेजें, जिसे शासन स्तर पर विचार के बाद अंतिम निर्णय लिया जाएगा।”
सीमावर्ती क्षेत्रों की मोबाइल टीमों की वर्तमान स्थिति
विभागीय सूत्रों के अनुसार, राज्य की अलग-अलग सीमावर्ती जिलों में स्थापित इन मोबाइल टीमों का मुख्य कार्य बाहरी राज्यों से आने वाले बिना बिल के माल की जांच करना, फर्जी बिलिंग की पहचान करना और त्वरित कार्रवाई करना है। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों के आंकड़ों से पता चला है कि मोबाइल टीमों के माध्यम से राजस्व संग्रहण में कोई विशेष सकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा है।
इसकी तुलना में विभागीय ऑडिट विंग से प्राप्त सूचनाएं और जांच परिणाम अधिक ठोस और दीर्घकालिक असर डालने वाले साबित हुए हैं। ऐसे में अब सरकार का रुख इस ओर है कि जिन अधिकारियों को मोबाइल टीमों में लगाया गया है, उन्हें वापस बुलाकर ऑडिट विंग, जांच इकाई या अन्य तकनीकी कार्यों में लगाया जाए।
अधिकारियों की तैनाती में बदलाव संभव
यदि प्रस्ताव पारित होता है, तो मोबाइल टीमों में तैनात वरिष्ठ और अनुभवी अधिकारियों को नई जिम्मेदारियों के साथ विभाग के आंतरिक तंत्र में समाहित किया जाएगा। विभाग के भीतर इसको लेकर तैयारियां भी शुरू कर दी गई हैं। अधिकारियों को अलग-अलग यूनिट्स में तैनात कर उनके अनुभव का लाभ लेने की योजना है।
इससे विभागीय कार्यप्रणाली में न केवल दक्षता बढ़ेगी, बल्कि संसाधनों का अधिक प्रभावी उपयोग भी संभव होगा। इससे विभाग के पास मौजूद सीमित मानव संसाधन का अधिक कुशल तरीके से उपयोग सुनिश्चित हो सकेगा।
ऑडिट विंग का होगा पुनर्गठन
राज्य सरकार अब इस दिशा में गंभीर है कि कर चोरी की रोकथाम के लिए सतही जांच के बजाय डेटा विश्लेषण, गहन ऑडिट और तकनीकी निगरानी को प्राथमिकता दी जाए। इसके लिए ऑडिट विंग का पुनर्गठन प्रस्तावित किया गया है।
नवीनतम सूचना प्रौद्योगिकी उपकरणों, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आधारित डेटा एनालिसिस, और माल के डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम की सहायता से ऑडिट विंग को सशक्त बनाने की योजना है। इससे न केवल जीएसटी की पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि कर अपवंचन के मामलों की समय रहते पहचान करना भी आसान होगा।
जीएसटी चोरी पर सरकार की नीति में बदलाव
इस कदम को जीएसटी चोरी की रोकथाम के लिए सरकार की व्यापक रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। वित्त विभाग अब यह मानता है कि केवल सीमा पर जांच की व्यवस्था पर्याप्त नहीं है। जरूरत इस बात की है कि पूरे सप्लाई चेन पर निगरानी रखी जाए और करदाताओं के व्यवहार का विस्तृत विश्लेषण कर गड़बड़ियों की पहचान की जाए।
इसके तहत अब ऐसे करदाताओं की जांच प्राथमिकता पर की जाएगी जो बार-बार रिटर्न फाइल करने में चूक करते हैं, जिनका इनपुट टैक्स क्रेडिट संदिग्ध है, या जिनके लेन-देन अचानक बढ़े हैं