
देशभर में गर्मी से जूझ रहे लोगों को राहत की खबर आई है। मौसम विभाग ने पुष्टि की है कि केरल में शनिवार को मानसून ने दस्तक दे दी है, जिससे देश में वर्षा ऋतु की आधिकारिक शुरुआत हो गई है। दक्षिण भारत में मानसून का समय पर पहुंचना देश के अन्य हिस्सों में भी जल्द ही बारिश की शुरुआत का संकेत है।
उधर, उत्तराखंड में इस बार मानसून सामान्य से अधिक सक्रिय रहने वाला है। मौसम विज्ञान केंद्र द्वारा जारी पूर्वानुमान के अनुसार, राज्य में इस वर्ष औसत से अधिक बारिश की संभावना जताई गई है। खासकर पर्वतीय जिलों में कई बार तेज बारिश के दौर आने की आशंका है, जो स्थानीय प्रशासन और आम जनता के लिए चिंता का विषय बन सकती है।
मानसून की एंट्री पर नजर
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने शनिवार को घोषणा की कि मानसून दक्षिण-पश्चिमी तट से टकरा चुका है और केरल में आधिकारिक रूप से प्रवेश कर गया है। यह देश की कृषि व्यवस्था और जल आपूर्ति के लिहाज से एक महत्वपूर्ण संकेत है, क्योंकि देश की बड़ी आबादी मानसूनी वर्षा पर निर्भर करती है।
मौसम विभाग के अधिकारियों ने बताया कि समुद्र में हवा की दिशा, नमी, बादलों की स्थिति और अन्य तकनीकी मानकों के आधार पर यह पुष्टि हुई कि मानसून केरल पहुंच गया है। आमतौर पर मानसून 1 जून के आसपास केरल पहुंचता है, लेकिन इस बार यह थोड़ा पहले यानी 25 मई को ही आ गया, जो किसानों के लिए शुभ संकेत माना जा रहा है।
उत्तराखंड में सामान्य से अधिक बारिश के आसार
मौसम विज्ञान केंद्र, देहरादून के अनुसार, उत्तराखंड में इस बार 10 जून से 20 जून के बीच मानसून के प्रवेश करने की संभावना है। इसके बाद बारिश का दौर तीव्र हो सकता है। मौसम वैज्ञानिक रोहित थपलियाल ने जानकारी दी कि जून से सितंबर तक देशभर में सामान्य से अधिक वर्षा हो सकती है, और इसका असर उत्तराखंड में विशेष रूप से देखा जा सकता है।
उन्होंने कहा, “उत्तराखंड में खासकर पर्वतीय जिलों में कई बार तेज बारिश की घटनाएं हो सकती हैं, जो भूस्खलन, सड़कें बाधित होने और नदियों के जलस्तर बढ़ने जैसी समस्याएं उत्पन्न कर सकती हैं।”
बीते 24 दिनों में रिकॉर्ड बारिश
मौसम विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो उत्तराखंड में पिछले 24 दिनों में सामान्य से 59% अधिक बारिश रिकॉर्ड की गई है। यह एक अहम संकेत है कि मानसून से पहले ही वातावरण में नमी और असमय वर्षा की सक्रियता बढ़ी हुई है। इससे यह भी संकेत मिलता है कि मानसून आते ही वर्षा की तीव्रता में तेजी आ सकती है।
विशेष रूप से टिहरी, रुद्रप्रयाग, पिथौरागढ़ और चमोली जैसे पर्वतीय जिलों में बीते वर्षों में मानसून के दौरान भारी नुकसान हुआ है। ऐसे में इस वर्ष की संभावित अधिक बारिश से पहले ही NDRF, SDRF और आपदा प्रबंधन विभाग को सतर्क रहने की आवश्यकता है।
प्रशासन को अलर्ट रहने की सलाह
मौसम विभाग द्वारा जारी पूर्वानुमान के मद्देनजर उत्तराखंड प्रशासन को आपदा प्रबंधन की तैयारियों को समय रहते पुख्ता करने की सलाह दी गई है। बारिश से संबंधित संभावित खतरों के तहत भूस्खलन संभावित क्षेत्रों की पहचान, सुरक्षित स्थानों की व्यवस्था, और आपातकालीन सेवाओं को सक्रिय करने की कवायद अभी से शुरू करनी होगी।
इस बीच, राज्य के पर्वतीय इलाकों में रहने वाले लोगों को भी सावधानी बरतने की सलाह दी गई है। बारिश के दौरान अनावश्यक यात्रा से बचने, नदियों और झीलों के पास न जाने और प्रशासन की चेतावनियों का पालन करने की अपील की गई है।
कृषि पर असर: वरदान भी, चुनौती भी
कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि यदि बारिश का वितरण संतुलित रहा, तो यह फसलों के लिए वरदान साबित हो सकती है। लेकिन अत्यधिक बारिश या अचानक तेज बारिश होने पर फसलों को नुकसान हो सकता है, खासकर पहाड़ी क्षेत्रों में जहां सिंचाई संसाधन सीमित हैं और भूमि कटाव की समस्या बढ़ जाती है।
कृषि विज्ञान केंद्रों को किसानों के साथ संपर्क बनाकर मौसम आधारित सलाह देने की प्रक्रिया तेज करनी होगी, ताकि फसलों की बुआई और सिंचाई की योजना बेहतर बनाई जा सके।
आने वाले दिनों में और पूर्वानुमान
मौसम विभाग के अनुसार, मानसून के आगे बढ़ने और उसकी गतिविधियों को लेकर आने वाले दिनों में और भी विस्तृत पूर्वानुमान जारी किए जाएंगे। ये पूर्वानुमान राज्य और जिलेवार होंगे, जिससे स्थानीय प्रशासन और आम लोग ज्यादा सटीक जानकारी के आधार पर निर्णय ले सकें।