
हिमालय की वादियों में स्थित पावन गंगोत्री धाम के कपाट एक बार फिर श्रद्धालुओं के लिए खुलने जा रहे हैं। मंगलवार को दोपहर 11:57 बजे शुभ अभिजीत मुहूर्त में मां गंगा की भोगमूर्ति विग्रह डोली उत्तराखंड के उत्तरकाशी जनपद के मुखबा गांव से धार्मिक विधि-विधान और उत्सव के वातावरण में गंगोत्री धाम के लिए रवाना हुई। इस अवसर पर समूचा क्षेत्र शंख, ढोल-दमाऊं और जयकारों की गूंज से गूंज उठा।
गांव से डोली के प्रस्थान के समय उपस्थित श्रद्धालुओं और ग्रामीणों ने मां गंगा को विदाई देने के लिए बेटी की तरह कल्यो और फाफरे का भोग अर्पित किया। गंगोत्री धाम की यह यात्रा लगभग 25 किलोमीटर पैदल मार्ग की होती है। मंगलवार की रात मां गंगा की डोली भैरो घाटी में विश्राम करेगी और बुधवार सुबह अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर गंगोत्री धाम पहुंचेगी। सुबह 10:30 बजे विधिवत पूजा-अर्चना और वैदिक मंत्रोच्चार के साथ गंगोत्री मंदिर के कपाट छह माह के लिए श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए जाएंगे।
सांस्कृतिक उल्लास और आस्था का संगम
डोली यात्रा के शुभारंभ के समय वातावरण पूरी तरह भक्ति और उल्लास से ओतप्रोत था। स्थानीय वाद्य यंत्रों, सेना के बैंड और परंपरागत जयकारों ने डोली यात्रा को एक दिव्य और अनुपम अनुभव बना दिया। गाजे-बाजे के साथ मां गंगा की डोली को मुखबा गांव से रवाना किया गया, जो हर साल की तरह अब गंगोत्री धाम तक पैदल यात्रा करेगी।
मां गंगा की डोली के साथ समेश्वर देवता की देवडोली भी रवाना हुई, जो परंपरागत रूप से देवी को धाम तक विदा करने जाती है। तीर्थ पुरोहित राजेश सेमवाल ने बताया कि यह यात्रा हर साल गांववासियों के लिए बेटी की विदाई जैसा भावनात्मक क्षण होता है।
गंगोत्री धाम की सजावट और यात्रियों की तैयारी
गंगोत्री धाम में चारधाम यात्रा के स्वागत के लिए तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। मंदिर परिसर से लेकर बाजार तक सब कुछ भक्ति और रंगों से सजा हुआ है। स्थानीय प्रशासन द्वारा यात्रा को सुगम बनाने के लिए रहने, भोजन, चिकित्सा और मार्गदर्शन की सुविधाएं सुनिश्चित की गई हैं।
धाम में श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था भी कड़ी कर दी गई है। पुलिस और अर्धसैनिक बलों की तैनाती के साथ ही स्थानीय स्वयंसेवी संगठन भी तीर्थयात्रियों की मदद में जुट गए हैं। इसके अलावा पर्यावरण सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए प्लास्टिक पर प्रतिबंध और स्वच्छता अभियान भी चलाया जा रहा है।
भक्तों के लिए विशेष महत्व रखती है यह यात्रा
अक्षय तृतीया का पर्व हिन्दू धर्म में अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन से ही गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ के कपाट क्रमशः खुलते हैं और चारधाम यात्रा की शुरुआत होती है। मां गंगा की डोली का गंगोत्री धाम पहुंचना इस यात्रा का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
भक्तों का मानना है कि अक्षय तृतीया के दिन गंगा स्नान करने से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है और अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि हर साल लाखों श्रद्धालु देशभर से गंगोत्री पहुंचते हैं।
भैरव घाटी में विश्राम और यात्रा का अगला चरण
मंगलवार शाम को मां गंगा की डोली भैरव घाटी पहुंचेगी, जहां वह भैरव मंदिर में रात्रि विश्राम करेगी। इस विश्राम स्थल का धार्मिक महत्व भी है, क्योंकि मान्यता है कि भैरव देव मां गंगा की यात्रा की रक्षा करते हैं।
बुधवार सुबह तड़के, डोली श्रद्धालुओं के साथ अंतिम चरण की यात्रा पर गंगोत्री धाम की ओर प्रस्थान करेगी। करीब 10:30 बजे मंदिर के कपाट खोले जाएंगे और मां गंगा की मूर्ति को मंदिर में विधिवत स्थापित किया जाएगा। इसके साथ ही श्रद्धालुओं के लिए गंगोत्री मंदिर दर्शन हेतु 6 महीने तक खुला रहेगा।