
उत्तराखंड मदरसा शिक्षा परिषद के अध्यक्ष मुफ़्ती शमून क़ासमी ने मंगलवार को दिल्ली में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की। इस महत्वपूर्ण भेंट के दौरान उनके साथ शिक्षाविदों, बुद्धिजीवियों और सूफी संतों का एक प्रतिनिधिमंडल भी मौजूद रहा। बैठक में भारत की सुरक्षा रणनीति, आतंकवाद के खिलाफ सैन्य कार्रवाई और मदरसा शिक्षा में देशभक्ति से जुड़े विषयों को शामिल करने जैसे मुद्दों पर विस्तृत चर्चा हुई।
मुफ़्ती क़ासमी ने रक्षा मंत्री को हाल ही में संपन्न ऑपरेशन सिंदूर की सफलता पर बधाई दी और इस अभियान को भारत की सुरक्षा नीति की ऐतिहासिक उपलब्धि बताया। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के कुशल नेतृत्व में भारत की सेनाओं ने जिस साहस और रणनीति के साथ पाकिस्तान स्थित आतंकी ठिकानों पर प्रहार किया है, वह न केवल आतंकवाद के खिलाफ एक सशक्त संदेश है, बल्कि इससे वैश्विक स्तर पर भारत की प्रतिष्ठा में वृद्धि हुई है।”
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की रणनीति की सराहना
मुफ़्ती क़ासमी ने आगे कहा कि ऑपरेशन सिंदूर केवल सैन्य कार्रवाई नहीं बल्कि एक रणनीतिक संदेश भी है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि भारत अब आतंकी हमलों का जवाब देने में संकोच नहीं करता। उन्होंने बताया कि इस ऑपरेशन से भारत की विदेश नीति और रक्षा नीति को वैश्विक मंचों पर समर्थन मिला है। कई अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा विश्लेषकों ने भी भारतीय सेना की तत्परता और सटीक कार्रवाई की प्रशंसा की है।
शहीदों के परिजनों के लिए विशेष आर्थिक सहायता की मांग
रक्षा मंत्री से मुलाकात के दौरान मुफ़्ती क़ासमी ने एक अहम मांग भी रखी। उन्होंने आग्रह किया कि ऑपरेशन सिंदूर में शहीद हुए सैनिकों और जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तानी हमलों में मारे गए आम नागरिकों के परिजनों को विशेष आर्थिक सहायता और पुनर्वास की सुविधा दी जाए।
उन्होंने कहा, “जो जवान देश की रक्षा करते हुए शहीद हुए हैं, उनके परिवारों के प्रति हमारा कर्तव्य है कि उन्हें हर संभव सहायता प्रदान की जाए। साथ ही, आतंकवाद की चपेट में आए निर्दोष नागरिकों के परिवार भी हमारी संवेदना और सहयोग के पात्र हैं।”
मदरसा शिक्षा में बदलाव की दिशा में पहल
मुफ़्ती क़ासमी ने यह भी जानकारी दी कि उत्तराखंड मदरसा बोर्ड अपने पाठ्यक्रम में ऑपरेशन सिंदूर को शामिल करने पर विचार कर रहा है। इस निर्णय का उद्देश्य है कि मदरसा छात्रों को देश की रक्षा नीतियों और सैन्य उपलब्धियों के प्रति जागरूक किया जाए।
उन्होंने कहा, “मदरसे केवल धार्मिक शिक्षा का केंद्र नहीं हैं, बल्कि वे समाज को जागरूक नागरिक देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। यदि छात्रों को यह बताया जाए कि देश की रक्षा के लिए सेना किस प्रकार कार्य करती है, तो उनके भीतर भी राष्ट्रभक्ति की भावना मजबूत होगी।”
धार्मिक और शैक्षिक संस्थानों की देशभक्ति में भूमिका
मुफ़्ती क़ासमी की इस पहल को धार्मिक और शैक्षिक संस्थानों की नई सोच के रूप में देखा जा रहा है। परंपरागत रूप से मदरसे धार्मिक शिक्षा तक सीमित माने जाते थे, लेकिन अब इनमें सामाजिक और राष्ट्रीय विषयों को भी शामिल करने की सोच सामने आ रही है। इससे न केवल छात्रों का दृष्टिकोण व्यापक होगा, बल्कि देश के प्रति उनकी जिम्मेदारी की समझ भी गहरी होगी।
प्रतिनिधिमंडल में शामिल बुद्धिजीवियों और सूफी संतों ने भी इस विचार का समर्थन करते हुए कहा कि भारत की एकता, अखंडता और सुरक्षा में सभी वर्गों की समान भागीदारी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई किसी एक धर्म या समाज की नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्र की है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जताया समर्थन
बैठक के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी प्रतिनिधिमंडल के सुझावों की सराहना की। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार सभी शहीदों के परिजनों को सहायता देने के लिए प्रतिबद्ध है और समाज के सभी वर्गों की भागीदारी से ही देश मजबूत होगा।
रक्षा मंत्री ने मुफ़्ती क़ासमी द्वारा मदरसा शिक्षा में सैन्य जागरूकता जैसे विषयों को शामिल करने के प्रस्ताव को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखा। उन्होंने कहा कि यदि धार्मिक शिक्षा में राष्ट्रीय चेतना और समसामयिक विषयों को समाहित किया जाए, तो यह नई पीढ़ी के निर्माण में सहायक होगा।