छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में युवा पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या के मामले में एक बड़ी सफलता सामने आई है। एसआईटी (विशेष जांच दल) की टीम ने आरोपी ठेकेदार सुरेश चंद्राकर को हैदराबाद से गिरफ्तार कर लिया है। गिरफ्तार सुरेश चंद्राकर को अब बीजापुर लाया जा रहा है, जहां पुलिस मामले की आगे की जांच करेगी। वहीं इस हत्याकांड में शामिल अन्य आरोपी, जिनमें सुरेश चंद्राकर के रिश्तेदार रितेश चंद्राकर, दिनेश चंद्राकर और महेंद्र रामटेके पहले ही गिरफ्तार हो चुके हैं और जेल भेजे जा चुके हैं। मुकेश चंद्राकर की हत्या के मामले में एसआईटी ने अपनी जांच तेज कर दी है और सुरेश चंद्राकर के बैंक खाते और अन्य संपत्तियों पर कार्रवाई की गई है। इसके अलावा, सुरेश चंद्राकर की पत्नी को भी कांकेर जिले से गिरफ्तार कर लिया गया है।
हत्या के बाद क्या हुआ था?
पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या का मामला एक भ्रष्टाचार के खुलासे से जुड़ा हुआ है। मुकेश ने हाल ही में सड़क निर्माण में हुए 120 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार की रिपोर्ट प्रकाशित की थी जिसके बाद ठेकेदार सुरेश चंद्राकर और उनके परिवार के सदस्य उसके निशाने पर थे।
हत्या की पूरी कहानी
1 जनवरी 2025 को रात के समय, मुकेश चंद्राकर को रितेश चंद्राकर ने बीजापुर के चट्टानपारा स्थित सुरेश चंद्राकर के फार्महाउस बुलाया था। यहां रितेश ने मुकेश से कहा कि उनके काम में रुकावट डालने की बजाय उन्हें सहयोग देना चाहिए। इस बात पर दोनों के बीच विवाद हुआ और रितेश चंद्राकर ने महेंद्र रामटेके के साथ मिलकर मुकेश चंद्राकर की लोहे की रॉड से बेरहमी से पिटाई की। हमले के दौरान मुकेश की सिर, छाती, पेट और पीठ पर कई वार किए गए, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई।
इसके बाद, मुकेश के शव को पास के सेप्टिक टैंक में फेंक दिया गया और उसे स्लैब से ढक दिया गया, ताकि शव को जल्दी से छिपाया जा सके।
फरार आरोपी की गिरफ्तारी
हत्या के बाद, रितेश चंद्राकर ने मुकेश चंद्राकर की हत्या के बारे में जानकारी दी और अपनी गाड़ी को रायपुर एयरपोर्ट के पास पार्क कर दिया। फिर, दिल्ली की ओर भाग गया। वहीं, सुरेश चंद्राकर ने अपनी गाड़ी से हैदराबाद भागने का प्रयास किया। लेकिन एसआईटी की टीम ने सुरेश चंद्राकर को आखिरकार हैदराबाद से गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस ने सुरेश चंद्राकर के बैंक खातों को सीज कर लिया है, ताकि वह कोई डिजिटल लेन-देन न कर सके। इसके अलावा, प्रशासन ने सुरेश चंद्राकर के अवैध कब्जे वाली भूमि पर भी जेसीबी से अवैध निर्माण को ध्वस्त कर दिया है।
माओवादियों का बयान
मुकेश चंद्राकर की हत्या के मामले में माओवादियों ने भी एक प्रेस नोट जारी किया है, जिसमें उन्होंने इस घटना की निंदा की और इसके लिए खेद व्यक्त किया। माओवादियों ने पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या की जांच की मांग की है और यह आरोप लगाया है कि मुकेश ने अपनी रिपोर्ट में घटिया सड़कों के निर्माण का खुलासा किया था, जिससे ठेकेदार और उनके रिश्तेदारों को नुकसान हुआ था।
प्रशासन की कार्रवाई
घटना के बाद, प्रशासन ने सुरेश चंद्राकर के फार्म हाउस और उसके द्वारा अवैध रूप से कब्जाए गए सरकारी जमीन को खाली करवा लिया। गंगालूर सड़कों पर स्थित सुरेश चंद्राकर की पांच एकड़ जमीन पर भी अवैध कब्जा था, जिस पर प्रशासन ने बुलडोजर चलाया और अवैध निर्माण को ध्वस्त किया।
सुरेश चंद्राकर के द्वारा किए गए अवैध अतिक्रमण पर प्रशासन का कड़ा रुख रहा। वन विभाग ने भी अपनी टीम भेजी और बीजापुर स्थित वन विभाग की जमीन से सुरेश चंद्राकर द्वारा किया गया अतिक्रमण हटाया।
राजनीतिक पहलू
इस मामले में छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने बयान देते हुए कहा कि पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या में कांग्रेस नेता सुरेश चंद्राकर का नाम सामने आया है। उन्होंने कहा कि सुरेश चंद्राकर ने हत्या के बाद रितेश चंद्राकर, दिनेश चंद्राकर, और महेंद्र रामटेके जैसे लोगों के साथ मिलकर इस हत्या को अंजाम दिया था।
विजय शर्मा ने कहा, “हमने एसआईटी का गठन किया है और हम स्पीडी ट्रायल के लिए पूरी कोशिश करेंगे। हम इस हत्या के मामले को न केवल गंभीरता से देख रहे हैं बल्कि आरोपी को जल्द से जल्द न्याय दिलाने के लिए कदम उठा रहे हैं।”
पत्रकार मुकेश चंद्राकर की भूमिका
मुकेश चंद्राकर ने अपनी पत्रकारिता के दौरान सरकारी सड़क निर्माण में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का खुलासा किया था। उनकी रिपोर्ट ने कई ठेकेदारों और उनके रिश्तेदारों को बैकफुट पर ला दिया था। यह रिपोर्ट बीजापुर जिले में सड़क निर्माण परियोजनाओं से जुड़े 120 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार की जांच को लेकर एक बड़ी चेतावनी थी। मुकेश चंद्राकर का यह कदम भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़ी आवाज के रूप में सामने आया था लेकिन दुर्भाग्यवश यह कदम उनकी जान के लिए खतरे का कारण बन गया।