
नेशनल हेराल्ड मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोपपत्र दायर किया है। यह आरोपपत्र दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में दायर किया गया है और इस पर 25 अप्रैल 2025 को सुनवाई होगी। ईडी ने यह कार्रवाई धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 की धारा 44 और 45 के तहत की है।
चार्जशीट में गांधी परिवार के दो प्रमुख सदस्यों के अलावा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सैम पित्रोदा, सुमन दुबे समेत कई अन्य नेताओं के नाम भी शामिल हैं। यह पहला मौका है जब सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ किसी मामले में औपचारिक चार्जशीट दाखिल की गई है। विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने कहा है कि “अभियोजन पक्ष की वर्तमान शिकायत पर संज्ञान के पहलू पर अगली बार 25 अप्रैल को विचार किया जाएगा, जब ईडी और जांच अधिकारी (IO) के विशेष वकील केस डायरी को अदालत में प्रस्तुत करेंगे।”
क्या है नेशनल हेराल्ड मामला?
नेशनल हेराल्ड अखबार की स्थापना 1938 में स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने की थी। इस अखबार को एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) द्वारा प्रकाशित किया जाता था। स्वतंत्रता आंदोलन की आवाज माने जाने वाला यह अखबार साल 2008 में आर्थिक संकट के चलते बंद हो गया। इसी बिंदु से इस विवाद की शुरुआत मानी जाती है।
इसके दो साल बाद, 2010 में एक नई कंपनी “यंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड” (YIL) की स्थापना की गई, जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी की बराबर-बराबर यानी 38-38% की हिस्सेदारी बताई गई। इस कंपनी का उद्देश्य गैर-लाभकारी बताया गया, लेकिन आरोप यह है कि YIL ने AJL की 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियों को मात्र 50 लाख रुपये में अपने कब्जे में ले लिया।
कहां से शुरू हुई जांच?
इस मामले में सबसे पहले बीजेपी नेता और राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने 2012 में अदालत में याचिका दाखिल कर आरोप लगाया था कि गांधी परिवार ने धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए संपत्ति हड़पने का काम किया है। उनकी शिकायत के आधार पर दिल्ली की एक मेट्रोपॉलिटन अदालत ने 2014 में इस मामले में जांच के आदेश दिए।
इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने PMLA के तहत एजेएल और यंग इंडिया के खिलाफ जांच शुरू की। जांच के दौरान ईडी ने पाया कि इन दोनों संस्थाओं के माध्यम से गांधी परिवार ने गैरकानूनी तरीके से करोड़ों की संपत्तियों पर नियंत्रण किया है।
751.9 करोड़ रुपये की संपत्तियां जब्त
जांच के क्रम में ईडी ने अब तक यंग इंडिया और एजेएल की कुल 751.9 करोड़ रुपये की संपत्तियों को जब्त कर लिया है। इनमें दिल्ली के बहादुर शाह जफर मार्ग स्थित हेराल्ड हाउस सहित मुंबई, लखनऊ और पटना में स्थित संपत्तियां शामिल हैं। ईडी का दावा है कि इन संपत्तियों का उपयोग व्यावसायिक गतिविधियों के लिए किया जा रहा था, जबकि इन्हें केवल पत्रकारिता और सार्वजनिक उपयोग के लिए आरक्षित किया गया था।
राजनीतिक भूचाल के संकेत
ईडी की इस कार्रवाई को लेकर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी नेताओं का कहना है कि यह “राजनीतिक प्रतिशोध” का हिस्सा है और केंद्र सरकार विपक्ष को दबाने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। वहीं, भाजपा ने इसे कानून के शासन की जीत बताया है और कहा है कि “कोई भी कानून से ऊपर नहीं है।”
कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता ने कहा, “यह गांधी परिवार की छवि खराब करने और विपक्ष को कमजोर करने की एक सोची-समझी साजिश है। हम अदालत में अपना पक्ष मजबूती से रखेंगे और न्यायपालिका से पूर्ण विश्वास रखते हैं।”
चार्जशीट में क्या कहा गया है?
ईडी द्वारा दाखिल की गई चार्जशीट में यह बताया गया है कि यंग इंडिया कंपनी को जानबूझकर केवल एक उद्देश्य से बनाया गया—AJL की संपत्तियों को कब्जे में लेने के लिए। दस्तावेज़ों के अनुसार, YIL ने AJL के 90 करोड़ रुपये के कर्ज को माफ करते हुए कंपनी की 100% हिस्सेदारी मात्र 50 लाख रुपये में हासिल कर ली, जो कि मनी लॉन्ड्रिंग और धोखाधड़ी की श्रेणी में आता है।
25 अप्रैल को अगली सुनवाई
अब इस मामले में अगली सुनवाई 25 अप्रैल को राउज एवेन्यू कोर्ट में होगी। अदालत उस दिन यह निर्णय लेगी कि आरोपों पर संज्ञान लिया जाए या नहीं। साथ ही ईडी और जांच अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे केस डायरी और संबंधित दस्तावेज अदालत के समक्ष प्रस्तुत करें।