
इस साल नवरात्रि का पर्व 3 अक्टूबर से आरंभ हो रहा है और इसका समापन 12 अक्टूबर को नवमी के दिन होगा। नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है। इस अवसर पर श्रद्धालु घरों और मंदिरों में मां दुर्गा की आराधना करते हैं, विशेषकर पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा का विशेष महत्व होता है।
नवरात्रि की पृष्ठभूमि
नवरात्रि, जिसे ‘नव दुर्गा पूजा’ भी कहा जाता है, का आयोजन हर साल माता दुर्गा की आराधना के लिए किया जाता है। यह पर्व विशेष रूप से शक्ति, समर्पण और भक्ति का प्रतीक है। नवरात्रि का पर्व धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दौरान लोग व्रत रखते हैं, उपवासी रहते हैं और माता के प्रति अपनी भक्ति प्रकट करते हैं।
मां शैलपुत्री का रूप
शास्त्रों में मां दुर्गा के शैलपुत्री रूप की पूजा नवरात्रि के पहले दिन का अनिवार्य हिस्सा है। मां शैलपुत्री को पर्वतों की देवी माना जाता है और यह उनका पहला रूप है। यह मान्यता है कि मां शैलपुत्री अपने भक्तों के संकट को दूर करती हैं और उन्हें शक्ति एवं साहस प्रदान करती हैं।
पूजा विधि: कैसे करें मां शैलपुत्री की आराधना
नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा करने के लिए कुछ विशेष विधियों का पालन किया जाता है।
सुबह की तैयारी
नवरात्रि के पहले दिन, श्रद्धालुओं को सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए। इसके बाद उन्हें नए वस्त्र धारण कर मंदिर या पूजा स्थल को साफ करना चाहिए। साफ-सफाई के बाद पूजा का आरंभ करना शुभ माना जाता है।
कलश स्थापन और दीप जलाना
पूजा के शुभ मुहूर्त में कलश स्थापन करना आवश्यक होता है। कलश को गंगाजल या पवित्र जल से भरकर उसमें आम के पत्ते डालकर स्थापित किया जाता है। इसके बाद दीपक जलाकर मां के समक्ष रखकर पूजा का आरंभ करें।
भोग का महत्व
मां शैलपुत्री को सफेद रंग अत्यंत प्रिय माना जाता है, इसलिए नवरात्रि के पहले दिन उन्हें सफेद रंग की मिठाइयों का भोग लगाना शुभ माना जाता है। इसमें बर्फी, दूध से बनी खीर, रबड़ी आदि चीजें शामिल होती हैं।
इसके अलावा, ऐसा माना जाता है कि मां शैलपुत्री को गाय के घी से बने भोग सबसे ज्यादा प्रिय हैं। अगर संभव हो तो उन्हें गाय के घी से बने बादाम के हलवे का भोग अवश्य लगाएं। मान्यता है कि इन चीजों का भोग लगाने से मां शैलपुत्री जल्दी प्रसन्न होती हैं।
पूजा के दौरान मंत्र
पूजा के दौरान मां शैलपुत्री के मंत्रों का उच्चारण करना भी महत्वपूर्ण है। “ॐ शैलपुत्र्यै नमः” इस मंत्र का जाप श्रद्धा और भक्ति के साथ किया जाना चाहिए। इससे मां की कृपा प्राप्त होती है और भक्तों की इच्छाएं पूर्ण होती हैं।
नवरात्रि का सामाजिक महत्व
नवरात्रि केवल धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह समाज में एकता और भाईचारे का प्रतीक भी है। इस दौरान लोग एक-दूसरे के साथ मिलकर त्योहार मनाते हैं, नृत्य करते हैं और माता की भक्ति में लीन होते हैं। नवरात्रि के दौरान गरबा और डांडिया जैसे पारंपरिक नृत्य भी बड़े धूमधाम से किए जाते हैं।
संकल्प और व्रत
नवरात्रि के दौरान व्रत रखने की परंपरा भी बहुत प्रचलित है। लोग इस दौरान अपने मन की शुद्धता के साथ व्रत रखते हैं और मां दुर्गा से आशीर्वाद मांगते हैं। यह समय आत्म-निरीक्षण और आत्म-शुद्धि का भी होता है।
माता शैलपुत्री की कृपा से होने वाले लाभ
मां शैलपुत्री की पूजा से भक्तों को अनेक लाभ होते हैं। माना जाता है कि जो भक्त सच्चे मन से उनकी पूजा करता है, उसे शक्ति, साहस और आत्मविश्वास की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, पूजा से सकारात्मक ऊर्जा और मानसिक शांति भी प्राप्त होती है।