
उत्तराखंड के दूरस्थ और दुर्गम गांवों में रहने वाले लोगों के लिए एक बड़ी राहत की खबर है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को मुख्यमंत्री कैंप कार्यालय से “डॉक्टर आपके द्वार” योजना के तहत मोबाइल मेडिकल यूनिट्स की निःशुल्क सेवा का शुभारंभ किया। इस योजना के तहत आधुनिक सुविधाओं से लैस मेडिकल वैनों को राज्य के विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों में भेजा जाएगा, जहां पर स्थानीय लोगों को घर बैठे चिकित्सा सुविधा मिलेगी।
स्वास्थ्य सेवा को गांव तक पहुंचाने की पहल
मुख्यमंत्री धामी ने इन मोबाइल मेडिकल यूनिट्स को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया और कहा कि यह सेवा प्रदेश के दुर्गम अंचलों में रहने वाले नागरिकों को “सरल, सुलभ और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं” उपलब्ध कराएगी। उन्होंने कहा, “हमारा संकल्प है कि समाज के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति तक बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाई जाएं। ‘डॉक्टर आपके द्वार’ योजना स्वस्थ उत्तराखंड के हमारे सपने की दिशा में एक बड़ा कदम है।”
यह सेवा राज्य सरकार की सार्वजनिक-निजी भागीदारी (CSR) मॉडल के तहत शुरू की गई है, जिसके अंतर्गत विभिन्न कंपनियों और सामाजिक संगठनों ने अपनी भागीदारी दी है।
मोबाइल मेडिकल यूनिट: चलती फिरती अस्पताल
इन मोबाइल मेडिकल यूनिट्स को पूरी तरह से चिकित्सकीय उपकरणों से सुसज्जित किया गया है। इनमें प्राथमिक उपचार से लेकर सामान्य बीमारियों की जांच, दवाइयों का वितरण, और आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाएं भी उपलब्ध होंगी। प्रत्येक वैन में एक अनुभवी डॉक्टर, नर्स, फार्मासिस्ट और एक तकनीशियन की टीम होगी।
इस सेवा की खास बात यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को अब इलाज के लिए पहाड़ों से शहरों की ओर पलायन नहीं करना पड़ेगा। राज्य सरकार का कहना है कि इन यूनिट्स की सहायता से मरीजों को एक कॉल पर ही उनके गांव में इलाज की सुविधा मिलेगी।
क्यों जरूरी थी यह योजना?
उत्तराखंड एक पर्वतीय राज्य है, जहां अधिकांश आबादी ग्रामीण और दूरस्थ इलाकों में निवास करती है। यहां स्वास्थ्य सेवाएं सीमित हैं और भौगोलिक कठिनाइयों के कारण लोगों को आपातकालीन चिकित्सा सहायता तक पहुंचने में गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
राज्य के स्वास्थ्य विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश के 50% से अधिक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (PHCs) में पर्याप्त डॉक्टर नहीं हैं और 30% केंद्रों में बुनियादी सुविधाएं भी नहीं उपलब्ध हैं। गांवों में रहने वाले लोगों को इलाज के लिए 20 से 50 किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ता है।
इस परिस्थिति को देखते हुए, “डॉक्टर आपके द्वार” योजना को एक परिवर्तनकारी पहल के रूप में देखा जा रहा है।
मुख्यमंत्री की प्राथमिकता में ग्रामीण स्वास्थ्य
पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में उत्तराखंड सरकार ने ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं को अपनी शीर्ष प्राथमिकताओं में रखा है। इससे पहले भी सरकार ने “हेल्थ एट डोरस्टेप” और “108 आपातकालीन सेवा” जैसी योजनाओं को मजबूती से लागू किया है।
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में यह भी कहा, “हमने महसूस किया है कि पहाड़ों पर सबसे बड़ी परेशानी स्वास्थ्य सेवाओं की होती है। यदि हम डॉक्टरों और दवाइयों को ही लोगों के दरवाजे तक ले जाएं, तो लोगों की जिंदगी आसान हो सकती है।”
कैसे काम करेगी ‘डॉक्टर आपके द्वार’ योजना?
- सेवा का संचालन: योजना का संचालन राज्य के स्वास्थ्य विभाग द्वारा किया जाएगा, जिसमें CSR भागीदारों की तकनीकी और वित्तीय मदद होगी।
- स्थान चयन: दूर-दराज के गांवों की पहचान कर प्राथमिकता के आधार पर सेवा दी जाएगी।
- हेल्पलाइन नंबर: ग्रामीण क्षेत्र के नागरिक हेल्पलाइन नंबर या ऐप के माध्यम से सेवा का अनुरोध कर सकेंगे।
- मेडिकल वैन की उपलब्धता: एक कॉल या डिजिटल अनुरोध पर वैन गांव में पहुंचकर मरीजों की जांच और इलाज करेगी।
- रिपोर्टिंग और फॉलोअप: मरीजों का रिकॉर्ड डिजिटल फॉर्मेट में सुरक्षित किया जाएगा ताकि अगली बार उन्हें उसी आधार पर फॉलोअप सेवाएं मिल सकें।