
उत्तराखंड की समृद्ध भाषाई और साहित्यिक विरासत को संरक्षित करने और आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को उत्तराखंड भाषा संस्थान की सचिवालय में आयोजित साधारण सभा एवं प्रबंध कार्यकारिणी समिति की बैठक में कई महत्त्वपूर्ण घोषणाएं कीं। इन घोषणाओं के तहत राज्य में स्थानीय बोलियों और साहित्य को बढ़ावा देने के लिए अनेक योजनाओं की शुरुआत की जाएगी।
हर हफ्ते स्कूलों में स्थानीय भाषा में भाषण और निबंध प्रतियोगिता
मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य के स्कूलों में सप्ताह में एक दिन स्थानीय बोली-भाषा में भाषण और निबंध प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी। इसका उद्देश्य बच्चों में भाषाई विविधता के प्रति जागरूकता पैदा करना और उन्हें अपनी मातृभाषा से जोड़कर रखना है। धामी ने कहा, “हमारी भाषाएं केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति और पहचान की अभिव्यक्ति हैं। यदि हम उन्हें नहीं सहेजेंगे, तो वे आने वाले वर्षों में विलुप्त हो सकती हैं।”
इस योजना के तहत गढ़वाली, कुमाऊंनी, जौनसारी, रं, भोटिया जैसी भाषाओं में बच्चों को अपने विचार प्रस्तुत करने के अवसर मिलेंगे। यह न केवल भाषाई विकास को प्रोत्साहित करेगा, बल्कि विद्यार्थियों में आत्मविश्वास भी बढ़ाएगा।
पुरस्कार राशि में वृद्धि: ‘उत्तराखंड साहित्य भूषण पुरस्कार’ अब ₹5.51 लाख
उत्तराखंड सरकार ने राज्य के प्रतिष्ठित “उत्तराखंड साहित्य भूषण पुरस्कार” की राशि को पाँच लाख से बढ़ाकर पाँच लाख इक्यावन हजार रुपये कर दिया है। साथ ही, मुख्यमंत्री ने दीर्घकालीन साहित्य सेवी सम्मान की भी घोषणा की, जिसकी राशि ₹5 लाख तय की गई है। यह सम्मान उन साहित्यकारों को दिया जाएगा, जिन्होंने दशकों तक उत्तराखंड की भाषा और साहित्य सेवा में उल्लेखनीय योगदान दिया है।
डिजिटल संरक्षण और ई-लाइब्रेरी की स्थापना
भाषाओं के डिजिटल संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की बोलियों, लोक कथाओं, लोकगीतों और पारंपरिक साहित्य को डिजिटल स्वरूप में संरक्षित किया जाएगा। इसके लिए एक व्यापक ई-लाइब्रेरी की स्थापना की जाएगी। इसके अंतर्गत लोक कथाओं के संकलन को ऑडियो-विज़ुअल स्वरूप में तैयार कर जनता तक पहुँचाया जाएगा।
ई-लाइब्रेरी न केवल पाठकों के लिए संसाधनों का बड़ा स्रोत बनेगी, बल्कि शोधकर्ताओं और विद्यार्थियों के लिए भी उपयोगी होगी। मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिया कि स्थानीय लोक कथाओं और गीतों के ऑडियो-विज़ुअल डॉक्युमेंटेशन पर विशेष ध्यान दिया जाए।
भाषाई मानचित्र और साहित्य महोत्सव की योजना
राज्य की बोलियों के प्रसार और संरचना को समझने के लिए उत्तराखंड का एक भाषाई मानचित्र (Linguistic Map) तैयार किया जाएगा। इसमें प्रदेश की विभिन्न बोलियों और उनके क्षेत्रीय विस्तार को दर्शाया जाएगा। इसके साथ ही, उत्तराखंड भाषा एवं साहित्य को राष्ट्रीय मंच पर प्रस्तुत करने के लिए भव्य साहित्य महोत्सवों का आयोजन होगा, जिनमें देशभर से प्रतिष्ठित साहित्यकारों को आमंत्रित किया जाएगा।
‘बुक, न कि बुके’ अभियान का आह्वान
मुख्यमंत्री ने एक अनोखी और प्रेरणादायक अपील की—”प्रदेशवासी उपहार में बुके के स्थान पर बुक (पुस्तक) देने की परंपरा को अपनाएं।” उन्होंने कहा कि एक फूल मुरझा जाता है, लेकिन एक किताब पीढ़ियों तक ज्ञान और प्रेरणा का स्रोत बनी रहती है। इस पहल का उद्देश्य राज्य में पठन-पाठन संस्कृति को बढ़ावा देना है।
युवा कलमकारों के लिए प्रतियोगिता
राज्य में युवा रचनाकारों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से दो आयु वर्ग—18 से 24 वर्ष और 25 से 35 वर्ष के बीच—‘युवा कलमकार प्रतियोगिता’ आयोजित की जाएगी। इस प्रतियोगिता से युवा लेखकों को अपने साहित्यिक कौशल को निखारने और मंच प्राप्त करने का अवसर मिलेगा।
दूरस्थ क्षेत्रों में सचल पुस्तकालय और प्रकाशकों का सहयोग
राज्य के दूरस्थ इलाकों तक साहित्य और ज्ञान की पहुँच सुनिश्चित करने के लिए सचल पुस्तकालयों (Mobile Libraries) की व्यवस्था की जाएगी। साथ ही, पाठकों को विविध विषयों पर गुणवत्तापूर्ण साहित्य उपलब्ध कराने हेतु बड़े प्रकाशकों का सहयोग लिया जाएगा।
बच्चों के लिए स्थानीय बोलियों में शैक्षिक वीडियो
भाषा संस्थान ने बच्चों में स्थानीय भाषाओं के प्रति रुचि जगाने के लिए लघु वीडियो तैयार करने का भी निर्णय लिया है। ये वीडियो न केवल मनोरंजक होंगे, बल्कि उनमें भाषा सीखने और स्थानीय संस्कृति से जुड़ने की सामग्री होगी। इससे नई पीढ़ी के बीच भाषाई जड़ों की समझ को बल मिलेगा।
‘बाकणा’ पंडवाणी गायन का अभिलेखीकरण
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि जौनसार-बावर क्षेत्र में पौराणिक काल से प्रचलित पंडवाणी गायन परंपरा ‘बाकणा’ को संरक्षित किया जाएगा। इसके लिए इसका अभिलेखीकरण (Documentation) किया जाएगा। यह परंपरा धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत समृद्ध है, लेकिन धीरे-धीरे विलुप्त होती जा रही है।