उत्तराखंड की मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने राज्य में नशे की समस्या से निपटने के लिए बड़े कदम उठाए हैं। सोमवार को आयोजित नार्को को-ऑर्डिनेशन सेंटर (एनकॉर्ड) की बैठक में रतूड़ी ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए कि वे अपने-अपने जिलों में एक-एक नशा मुक्ति केंद्र अनिवार्य रूप से स्थापित करें। इसके अलावा, नशा मुक्ति केंद्रों के लिए अलग से बजट मद भी बनाने को कहा गया है।
मुख्य सचिव ने यह भी बताया कि नशे के खिलाफ जागरूकता अभियान को और तेज किया जाएगा, ताकि समाज के हर वर्ग तक यह संदेश पहुंच सके। इस बैठक में नशे के खिलाफ अब तक की कार्रवाई का लेखा-जोखा भी प्रस्तुत किया गया, और रतूड़ी ने इससे संबंधित कई दिशा निर्देश जारी किए।
मुख्य सचिव का सख्त संदेश: ‘नशे को जड़ से उखाड़ने के लिए हर दिशा में कड़े कदम उठाए जाएं’
राधा रतूड़ी ने कहा कि नशे को समाज से पूरी तरह समाप्त करने के लिए राज्य सरकार को और कड़े कदम उठाने होंगे। उन्होंने सभी सरकारी स्कूलों और कॉलेजों के साथ-साथ निजी स्कूलों और कॉलेजों में भी एंटी ड्रग्स कमेटी की अनिवार्यता पर जोर दिया। इसके तहत सभी शैक्षिक संस्थानों में इस कमेटी का गठन किया जाएगा ताकि छात्रों को नशे से बचाया जा सके और इसके प्रभावों से अवगत कराया जा सके।
उन्होंने एंटी ड्रग ई-प्लीज (ऑनलाइन शपथ) के दायरे को बढ़ाने के भी निर्देश दिए। अब तक 2.5 लाख से अधिक लोगों को इस ऑनलाइन शपथ से जोड़ा गया है। रतूड़ी ने कहा कि इस शपथ अभियान को और तेज किया जाएगा ताकि राज्यभर में नशे के खिलाफ एक मजबूत जन जागरूकता अभियान चलाया जा सके।
शैक्षिक संस्थानों में नशे के खिलाफ सख्त कदम
मुख्य सचिव ने कहा कि न केवल सरकारी स्कूलों, बल्कि निजी शैक्षिक संस्थानों में भी ड्रग्स कमेटी का गठन अनिवार्य किया जाए। इसके अलावा, उन्होंने इस दिशा में समाजिक और सांस्कृतिक संस्थाओं के साथ एमओयू (मेमोरंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग) करने के निर्देश दिए, ताकि नशे को जड़ से उखाड़ने में हर वर्ग का सहयोग सुनिश्चित किया जा सके।
इसके अतिरिक्त, रतूड़ी ने कहा कि एनजीओ और अन्य संगठनों के साथ मिलकर यह सुनिश्चित किया जाए कि शैक्षिक संस्थान ड्रग फ्री हों। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि किसी जिले में लापरवाही बरती जाती है तो उस जिले के अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
उत्तराखंड का नशे के खिलाफ कदम: छठे स्थान पर है राज्य
मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने इस बैठक में यह भी बताया कि वर्तमान में उत्तराखंड नशे के खिलाफ की गई कार्रवाई में छठे स्थान पर है। रतूड़ी ने नशे के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने के लिए किए गए प्रयासों की सराहना की, लेकिन साथ ही कहा कि इसमें और तेज़ी लाने की आवश्यकता है।
राज्य में नशे की समस्या को गंभीरता से लिया जा रहा है, और सरकार न केवल शैक्षिक संस्थानों में बल्कि हर वर्ग में इसके खिलाफ जागरूकता फैलाने की दिशा में लगातार प्रयास कर रही है।
एनकॉर्ड की बैठक में गंभीर कदम
एनकॉर्ड की बैठक में राधा रतूड़ी ने सभी जिलाधिकारियों को सख्त निर्देश दिए कि हर महीने एनकॉर्ड की बैठक अनिवार्य रूप से आयोजित की जाए। इस बैठक में नशे के खिलाफ चलाए गए अभियानों का मूल्यांकन किया जाएगा, और यदि किसी जिले में यह बैठक आयोजित नहीं होती है तो संबंधित जिलाधिकारियों के खिलाफ प्रतिकूल प्रविष्टि दर्ज की जाएगी।
रतूड़ी ने बताया कि अब तक पांच जिलों, जिसमें देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर, चमोली और चंपावत शामिल हैं, में इस साल एनकॉर्ड की बैठक नहीं हुई है। इन जिलों के अधिकारियों को मुख्य सचिव ने फटकार भी लगाई और कहा कि यह स्थिति स्वीकार्य नहीं है।
दवाओं का नशे के रूप में दुरुपयोग: सख्त निगरानी के निर्देश
मुख्य सचिव ने बैठक के दौरान मेडिकल स्टोरों पर दवाओं के नशे के रूप में दुरुपयोग की समस्या पर भी गंभीर चिंता जताई। उन्होंने सभी मेडिकल स्टोरों पर सख्त निगरानी रखने के निर्देश दिए। इसके तहत हर मेडिकल स्टोर पर सीसीटीवी कैमरे लगवाए जाएंगे ताकि दवाओं के गलत उपयोग पर कड़ी नजर रखी जा सके।
इसके साथ ही रतूड़ी ने यह भी कहा कि दवाओं की बिक्री और उपयोग के रिकॉर्ड का डिजिटलाइजेशन किया जाए, ताकि किसी भी प्रकार के अनियमितता को समय रहते पकड़ा जा सके।
समग्र दृष्टिकोण: नशे के खिलाफ सामूहिक प्रयास
राधा रतूड़ी ने बैठक में यह भी कहा कि नशे के खिलाफ काम करने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है। केवल सरकार ही नहीं, बल्कि समाज के हर वर्ग को इसमें सक्रिय भूमिका निभानी होगी। इसके लिए एनजीओ, समाजिक संगठनों, मीडिया और अन्य संस्थाओं को भी साथ मिलकर काम करने का आह्वान किया गया।
मुख्य सचिव ने कहा कि जब तक नशे के खिलाफ पूरे समाज को एकजुट होकर काम करने का संकल्प नहीं होगा, तब तक इस पर प्रभावी नियंत्रण नहीं पाया जा सकता है। सरकार इस दिशा में हर संभव प्रयास करेगी, लेकिन समाज की भागीदारी भी अनिवार्य है।