
उत्तराखंड सरकार ने राज्य में स्वरोजगार को बढ़ावा देने और बेरोजगारी की चुनौती से निपटने के लिए एक नई मुख्यमंत्री स्वरोजगार नीति का प्रस्ताव तैयार किया है। इस नई नीति में छोटे कारोबारियों के लिए ऋण सीमा को वर्तमान 50 हजार रुपये से बढ़ाकर दो लाख रुपये तक करने की योजना है, यानी अब चार गुना अधिक ऋण उपलब्ध कराया जाएगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर उद्योग विभाग द्वारा तैयार इस नीति को जल्द ही राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में चर्चा के लिए रखा जाएगा।
उद्योग विभाग के सचिव विनय शंकर पांडेय ने बताया कि वर्तमान में संचालित मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना (MSY) और मुख्यमंत्री स्वरोजगार अति सूक्ष्म (नैनो) योजना को समायोजित कर नई नीति बनाई गई है। इस कदम का उद्देश्य स्वरोजगार को एक संगठित ढांचे के तहत अधिक प्रभावी बनाना है, जिससे अधिक से अधिक युवाओं को आत्मनिर्भरता की राह पर अग्रसर किया जा सके।
स्वरोजगार की दिशा में एक सशक्त पहल
कोविड-19 महामारी के दौरान राज्य सरकार ने स्वरोजगार को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना और नैनो योजना की शुरुआत की थी। इन योजनाओं के अंतर्गत हजारों लोगों को ऋण और सब्सिडी प्रदान कर आत्मनिर्भर बनने का अवसर दिया गया।
मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के अंतर्गत 10 से 25 लाख रुपये तक के ऋण पर 15 से 25 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जाती है। वहीं, अति सूक्ष्म स्वरोजगार योजना (नैनो योजना) में 50 हजार रुपये तक के ऋण पर 25 से 35 प्रतिशत तक की सब्सिडी मिलती रही है।
लेकिन अब सरकार ने इन दोनों योजनाओं को मिलाकर एक एकीकृत और व्यापक स्वरोजगार नीति तैयार की है, जिससे न केवल प्रक्रियाएं सरल होंगी, बल्कि लाभार्थियों की संख्या और प्रभाव क्षेत्र में भी वृद्धि होगी।
नई नीति के तहत ऋण सीमा में बड़ा बदलाव
नई प्रस्तावित नीति में छोटे व्यापारियों को दो लाख रुपये तक का ऋण उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जा रही है, जो वर्तमान में 50 हजार रुपये तक सीमित है। इससे स्थानीय स्तर पर व्यापार शुरू करने वाले युवाओं, महिलाओं, कारीगरों और ग्रामीण उद्यमियों को बड़ा लाभ होगा।
इस नीति के तहत अगले पांच वर्षों में 50,000 लोगों को स्वरोजगार से जोड़ने का लक्ष्य तय किया गया है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार, नई नीति राज्य की भौगोलिक और सामाजिक विविधता को ध्यान में रखकर बनाई गई है, जिससे यह पहाड़ों से लेकर मैदानी क्षेत्रों तक समान रूप से प्रभावी हो सके।
सब्सिडी का ढांचा और क्षेत्रीय श्रेणियां
नई नीति में सब्सिडी की दर को भी क्षेत्रीय श्रेणी के आधार पर विभाजित किया गया है, जिससे पिछड़े और दुर्गम क्षेत्रों को विशेष प्रोत्साहन मिल सके:
निवेश राशि (प्रोजेक्ट लागत) | A और B श्रेणी क्षेत्र | C और D श्रेणी क्षेत्र |
---|---|---|
दो लाख रुपये तक | 30% | 25% |
दो से 10 लाख रुपये तक | 25% | 20% |
10 से 25 लाख रुपये तक | 20% | 15% |
इसका अर्थ है कि अधिक कठिनाई वाले क्षेत्रों में उद्यम स्थापित करने वालों को अधिक सब्सिडी दी जाएगी, जिससे राज्य के संतुलित विकास को बल मिलेगा।
महिलाओं और ग्रामीण उद्यमियों को अतिरिक्त लाभ
नई नीति में महिला उद्यमियों को 5 प्रतिशत अतिरिक्त सब्सिडी का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा, जो लोग ग्रामीण क्षेत्रों या नगर पंचायत क्षेत्रों में अपना कारोबार शुरू करेंगे, उन्हें भी अतिरिक्त लाभ मिलेगा।
साथ ही, “एक जिला-एक उत्पाद” योजना या GI टैग (भौगोलिक संकेत) प्राप्त उत्पादों के निर्माण को बढ़ावा देने वाले उद्यमों को भी अतिरिक्त सब्सिडी दी जाएगी। यह प्रावधान स्थानीय परंपरागत शिल्प, हस्तशिल्प और कृषि उत्पादों को बाजार से जोड़ने में मदद करेगा।
योजना का अब तक का प्रभाव
2020 से जनवरी 2025 के बीच मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत 31,715 लोगों को विभिन्न क्षेत्रों में स्वरोजगार के लिए ऋण मुहैया कराया गया है, जिससे प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से 95 हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिला है।
वहीं नैनो योजना के तहत 4,658 लाभार्थियों को छोटे व्यवसायों के लिए सहायता प्रदान की गई, जिससे स्थानीय स्तर पर स्वरोजगार के अवसर बढ़े हैं।
जल्द होगी कैबिनेट में प्रस्तुति
उद्योग सचिव विनय शंकर पांडेय ने कहा कि नई नीति को शासन स्तर पर परीक्षण किया जा रहा है और जल्द ही इसे कैबिनेट की बैठक में मंजूरी के लिए प्रस्तुत किया जाएगा। इस नीति से न केवल शहरी, बल्कि दूरस्थ ग्रामीण और पर्वतीय क्षेत्रों में भी स्वरोजगार की नई संभावनाएं खुलेंगी।