
पंजाब में चार विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनावों के नतीजे आने से पहले ही मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने राज्य की वित्तीय स्थिति को सुधारने के लिए कई अहम कदम उठाने की योजना बनाई है। सरकार का उद्देश्य इस दिशा में कदम उठाकर अपने कामकाज को पटरी पर लाना और प्रदेश की वित्तीय स्थिति को सुदृढ़ करना है।
औद्योगिक क्षेत्र में बिजली शुल्क में बढ़ोतरी से 800 से 900 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आमदनी की उम्मीद
पंजाब सरकार ने औद्योगिक क्षेत्र में बिजली शुल्क में बढ़ोतरी का निर्णय लिया है, जिसे सरकार के वित्तीय सुधारों का एक अहम हिस्सा माना जा रहा है। इस फैसले से सरकार को अतिरिक्त 800 से 900 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होने की उम्मीद है। यह कदम खासतौर पर राज्य की वित्तीय स्थिति को सुधारने और राज्य के विकास के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
आप सरकार के सत्ता में आने के बाद से ही औद्योगिक क्षेत्र की बिजली की दरों में इजाफा नहीं किया गया था, हालांकि, 2022 में सत्ता में आने के समय यह निर्णय लिया गया था कि बिजली शुल्क में तीन प्रतिशत का इजाफा किया जाएगा। अब वित्तीय विभाग ने इसके लिए एक प्रस्ताव तैयार किया है, जो उपचुनाव के बाद होने वाली मंत्रिमंडल की बैठक में पेश किया जाएगा।
इस कदम के जरिए पंजाब सरकार राज्य के राजस्व में सुधार करना चाहती है ताकि वित्तीय दिक्कतों का समाधान किया जा सके। यह कदम खासकर राज्य के बढ़ते वित्तीय घाटे को कम करने और सरकार के विकास कार्यों के लिए संसाधन जुटाने के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
सुखना वाइल्ड लाइफ सैंक्चुअरी के आसपास तीन किलोमीटर का ईको सेंसिटिव जोन (ईएसजेड) बनाने का प्रस्ताव
पंजाब सरकार अब पर्यावरण संरक्षण को लेकर भी अहम कदम उठा रही है। सुखना वाइल्ड लाइफ सैंक्चुअरी के आसपास तीन किलोमीटर के दायरे में ईको सेंसिटिव जोन (ईएसजेड) बनाने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। पहले इस क्षेत्र के आसपास केवल 100 मीटर के दायरे में ही ईको सेंसिटिव जोन की स्थापना की अनुमति दी गई थी, लेकिन पर्यावरण मंत्रालय ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के आधार पर पंजाब सरकार ने इस दायरे को बढ़ाकर तीन किलोमीटर करने का फैसला किया है।
अगर पंजाब सरकार इस प्रस्ताव को मंजूरी देती है तो यह कदम सुखना वाइल्ड लाइफ सैंक्चुअरी के आसपास के क्षेत्र में पर्यावरणीय सुरक्षा को बढ़ाएगा। इसके साथ ही इन क्षेत्रों में किसी भी प्रकार के निर्माण कार्य, व्यावसायिक गतिविधियां या परियोजनाएं शुरू करने से पहले सरकार की मंजूरी आवश्यक होगी। इसके दायरे में नयागांव, कांसल, करोरा, नाडा और न्यू चंडीगढ़ के कुछ हिस्से भी आ सकते हैं।
इस बदलाव से कई रिहायशी प्रोजेक्टों को बाधित किया जा सकता है और इन क्षेत्रों में हाई राइज बिल्डिंग्स के निर्माण पर पूरी तरह से रोक लग सकती है। ऐसे में इस फैसले का सीधा असर इन क्षेत्रों में रहने वाले लगभग एक से डेढ़ लाख लोगों पर पड़ेगा।
प्राइवेट रियल एस्टेट प्रोजेक्टों में ईडब्ल्यूएस हाउसिंग के लिए आरक्षित भूमि की नीलामी
इसके अलावा, पंजाब सरकार अब प्राइवेट रियल एस्टेट प्रोजेक्टों में ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) श्रेणी के लिए आरक्षित भूमि की नीलामी करने जा रही है। इस फैसले के तहत ईडब्ल्यूएस श्रेणी के लिए आरक्षित भूमि को अब प्राइवेट रियल एस्टेट मालिकों द्वारा सरकार से पुनः खरीदी जा सकेगी।
इस कदम का सीधा असर प्रदेश के 40 से अधिक बड़े प्रोजेक्टों पर पड़ सकता है जिनमें मोहाली, लुधियाना और जालंधर जैसे प्रमुख शहरों में स्थित प्रोजेक्ट शामिल हैं। इन प्रोजेक्टों में पहले से ही ईडब्ल्यूएस के लिए भूमि आरक्षित की गई थी, लेकिन अब यह भूमि प्राइवेट रियल एस्टेट कंपनियों द्वारा नीलाम की जा सकेगी। यह कदम सरकार के लिए एक अच्छा वित्तीय उपाय हो सकता है, लेकिन इसे लेकर कुछ विरोध भी हो सकता है क्योंकि इससे जरूरतमंदों को सस्ती आवासीय भूमि प्राप्त करने में कठिनाई हो सकती है। हालांकि, सरकार का कहना है कि यह कदम प्रदेश के रियल एस्टेट सेक्टर को भी पुनर्जीवित करने के लिए उठाया गया है और इससे राज्य के विकास में गति आएगी।