
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने 10 अप्रैल को दिल्ली की एक विशेष अदालत में एक चौंकाने वाला दावा किया कि अमेरिका से प्रत्यर्पित आतंकी तहव्वुर हुसैन राणा ने न केवल 2008 के मुंबई हमले की साजिश में अहम भूमिका निभाई थी, बल्कि उसने भारत के अन्य प्रमुख शहरों में भी उसी तरह के हमलों की योजना बना रखी थी। यह खुलासा सुनवाई के दौरान हुआ, जहां एनआईए ने विशेष न्यायाधीश चंद्रजीत सिंह के समक्ष तहव्वुर राणा को पेश किया।
एनआईए का दावा: मुंबई जैसा हमला और शहरों में भी करने की थी योजना
एनआईए ने अदालत को बताया कि तहव्वुर राणा लश्कर-ए-तैयबा के नेटवर्क का एक महत्वपूर्ण सदस्य है, जिसने 2008 के मुंबई हमले जैसी और घटनाओं को अंजाम देने की योजना बनाई थी। एजेंसी ने कोर्ट को बताया कि इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि राणा ने भारत के कई शहरों में लक्षित हमलों की रणनीति पर काम किया था।
एनआईए के अनुसार, इस विस्तृत षड्यंत्र का पर्दाफाश करने के लिए राणा से गहन पूछताछ आवश्यक है। एजेंसी ने तर्क दिया कि वह राणा को उन स्थानों पर भी ले जाएगी जहां आतंकी हमले की योजना बनाई गई थी या संभावित रूप से हमले होने थे। इसके पीछे मकसद यह है कि घटनास्थल को रिक्रिएट करके उसके बयान और जमीनी हकीकत को मिलाया जा सके।
अदालत का आदेश: मेडिकल जांच और वकील से मुलाकात की अनुमति
विशेष जज चंद्रजीत सिंह ने सुनवाई के बाद तहव्वुर राणा को 18 दिन की एनआईए हिरासत में भेज दिया। साथ ही उन्होंने एनआईए को सख्त निर्देश दिए:
- हर 24 घंटे में राणा की मेडिकल जांच कराना अनिवार्य होगा, ताकि उसकी सेहत की निगरानी की जा सके।
- राणा को वैकल्पिक दिनों पर अपने वकील से मिलने की अनुमति दी जाएगी, लेकिन यह मुलाकात एनआईए अधिकारियों की मौजूदगी में ही होगी।
- एनआईए अधिकारी इस दौरान कुछ दूरी पर खड़ा रहेगा, जिससे वह बातचीत को सुन सके, लेकिन वकील की गोपनीयता का हनन न हो।
एनआईए की टीम में बड़े अधिकारी शामिल
इस सुनवाई के दौरान एनआईए के डीआईजी, एक आईजी स्तर के अधिकारी, और दिल्ली पुलिस के पांच डीसीपी अदालत में मौजूद रहे। इससे स्पष्ट है कि मामला कितना संवेदनशील और उच्चस्तरीय है। तहव्वुर राणा को गुरुवार को अमेरिका से भारत लाया गया था। यह प्रत्यर्पण भारत की एक बड़ी कूटनीतिक जीत के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि अमेरिका में राणा के खिलाफ पहले ही कानूनी कार्यवाही चल चुकी थी।
2008 का मुंबई हमला: एक दर्दनाक याद
2008 के मुंबई आतंकी हमले ने देश को झकझोर कर रख दिया था।
26/11 के हमले में 166 लोग मारे गए थे और सैकड़ों लोग घायल हुए थे। इन हमलों में मुंबई पुलिस के तीन वरिष्ठ अधिकारी — हेमंत करकरे, विजय सालस्कर और अशोक काम्टे — शहीद हुए थे। पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने इस सुनियोजित हमले को अंजाम दिया था।
हमलावर समुद्र के रास्ते भारत में घुसे थे और मुंबई के ताज होटल, ओबेरॉय ट्राइडेंट, नरीमन हाउस, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (CST) जैसे स्थानों को निशाना बनाया था।
इन आतंकियों में से एकमात्र जीवित पकड़ा गया आतंकी अजमल कसाब था, जिसे 2012 में फांसी दे दी गई।
कौन है तहव्वुर राणा?
तहव्वुर राणा एक पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है, जिसने अमेरिका में कई वर्षों तक निवास किया।
राणा पर आरोप है कि उसने अपने सहयोगी डेविड कोलमैन हेडली के साथ मिलकर मुंबई हमलों की योजना बनाने में सक्रिय भूमिका निभाई थी। हेडली पहले ही अमेरिकी अदालत में अपना गुनाह कबूल कर चुका है और राणा के खिलाफ भी वहां मुकदमा चला।
एनआईए का मानना है कि राणा ने न केवल हेडली की मदद की बल्कि उसे भारत आने, संभावित टारगेट्स की रेकी करने, और फिर इन जानकारियों को लश्कर-ए-तैयबा को देने के लिए प्रोत्साहित भी किया।
भारत की कूटनीतिक जीत
तहव्वुर राणा का अमेरिका से भारत प्रत्यर्पित होना एक लंबी कानूनी लड़ाई के बाद संभव हो पाया। भारत ने अमेरिकी प्रशासन के साथ इस विषय पर लगातार संवाद बनाए रखा और पर्याप्त सबूत पेश किए कि राणा का भारत में मुकदमा चलना जरूरी है। अमेरिकी अदालत की अनुमति के बाद, उसे प्रत्यर्पित किया गया।
यह घटना भारत की विदेश नीति और न्यायिक प्रणाली की सफलता का प्रतीक है, क्योंकि इससे यह स्पष्ट संदेश गया है कि भारत अब आतंक के दोषियों को सजा दिलवाने के लिए अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी मजबूती से खड़ा हो रहा है।