
उत्तराखंड के शहरी क्षेत्रों में कूड़ा प्रबंधन को प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। अब प्रदेश के सभी नगर निकायों में कूड़ा एकत्र करने वाले वाहनों की निगरानी जीपीएस सिस्टम से की जाएगी। शहरी विकास सचिव नितेश झा ने इस संबंध में निर्देश जारी कर दिए हैं, जिससे आने वाले महीनों में शहरी साफ-सफाई व्यवस्था में आमूलचूल बदलाव देखने को मिल सकता है।
फिलहाल देहरादून, हल्द्वानी, काशीपुर और कुछ अन्य नगर निगमों में स्थानीय स्तर पर जीपीएस के जरिए निगरानी की व्यवस्था जरूर है, लेकिन वह प्रणाली सीमित, असंगठित और तकनीकी रूप से कमजोर है। अब इस प्रयास को राज्यव्यापी स्तर पर सुदृढ़ और केंद्रीकृत तरीके से लागू किया जाएगा।
सभी वाहनों पर लगेगा व्हीकल लोकेशन ट्रेसिंग सिस्टम
शहरी विकास सचिव नितेश झा ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि प्रदेश के सभी नगर निकाय अपने कूड़ा उठाने वाले वाहनों पर व्हीकल लोकेशन ट्रेसिंग सिस्टम (VLTS) लगाएंगे। इसके लिए एक विशेष सॉफ्टवेयर एनआईसी (नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर) की मदद से तैयार किया जाएगा, जो सभी निकायों को एक केंद्रीकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म से जोड़ेगा।
इस कदम से राज्य के शहरी विकास निदेशालय, स्थानीय निकाय और नगर निगमों को हर वाहन की रियल टाइम मॉनिटरिंग करने की सुविधा मिलेगी। इससे न केवल स्वच्छता अभियानों की गति बढ़ेगी बल्कि जवाबदेही भी सुनिश्चित होगी।
रियल टाइम मॉनिटरिंग से खत्म होगी लापरवाही
अभी तक की व्यवस्था में नगर निकाय अपने स्तर से अलग-अलग प्रयास कर रहे थे, लेकिन इनका समन्वय नहीं था। कई बार शिकायतें आती थीं कि कूड़ा एकत्र करने वाली गाड़ियां समय पर नहीं पहुंचतीं या कुछ वार्डों को नजरअंदाज कर देती हैं। नतीजतन, स्वच्छ भारत मिशन के लक्ष्य प्रभावित हो रहे थे।
GPS तकनीक के माध्यम से अब अधिकारियों को हर वाहन की सटीक लोकेशन, गति और कार्य निष्पादन का विवरण मिल सकेगा। अगर कोई वाहन किसी निर्धारित रूट या वार्ड से नहीं गुजरता, तो उसकी जानकारी तुरंत संबंधित निकाय को मिल जाएगी। इससे कर्मचारियों की जवाबदेही तय होगी और लापरवाही पर सीधे कार्रवाई संभव होगी।
कुछ नगर निकाय पहले ही उठा चुके हैं पहल
हालांकि राज्यव्यापी योजना अब शुरू हो रही है, लेकिन कुछ नगर निकायों ने पहले से ही GPS मॉनिटरिंग की दिशा में कदम बढ़ा दिए थे: हल्द्वानी नगर निगम ने पहले ही अपनी 80 कूड़ा उठाने वाली गाड़ियों में GPS डिवाइस लगवा दिए हैं। काशीपुर नगर निगम ने भी वाहनों में GPS लगाकर स्थानीय स्तर पर मॉनिटरिंग शुरू कर दी है। देहरादून नगर निगम भी कूड़ा गाड़ियों की ट्रैकिंग कर रहा है, जिससे कर्मचारी की कार्यशैली पर निगरानी रखी जा सके।
इन प्रयासों ने दिखाया है कि जब निगरानी तकनीकी रूप से सशक्त होती है तो सेवा की गुणवत्ता में स्वतः सुधार आता है। अब यही मॉडल पूरे उत्तराखंड में लागू किया जाएगा।