
देवभूमि उत्तराखंड, जहां धर्म और आस्था की जड़ें हजारों वर्षों से जुड़ी हुई हैं, वहां अब सनातन धर्म की आड़ लेकर ठगी करने वाले छद्मवेशधारियों पर शिकंजा कसा जाएगा। राज्य सरकार ने इस दिशा में ‘ऑपरेशन कालनेमि’ नाम से विशेष अभियान शुरू करने का फैसला लिया है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को अधिकारियों को इस अभियान के तहत राज्यभर में सक्रिय नकली बाबाओं, पाखंडियों और ठगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए। उन्होंने साफ कहा कि सनातन धर्म की छवि धूमिल करने वालों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा।
क्या है ‘ऑपरेशन कालनेमि’?
यह विशेष अभियान उन असामाजिक तत्वों के विरुद्ध कार्रवाई के लिए शुरू किया गया है, जो स्वयं को साधु-संत या धार्मिक व्यक्ति के रूप में प्रस्तुत कर लोगों, विशेषकर महिलाओं और बुजुर्गों को ठगने का कार्य कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि ये लोग ठीक उसी तरह समाज को गुमराह कर रहे हैं, जैसे पुराणों में वर्णित असुर ‘कालनेमि’ ने साधु का रूप धरकर लोगों को भ्रमित किया था।
सीएम ने कहा, “हमारा उद्देश्य धार्मिक परंपराओं की रक्षा करना है, न कि ढोंग और पाखंड को सहन करना। सनातन संस्कृति त्याग, सत्य और सेवा पर आधारित है। इसकी आड़ में अपराध करने वालों के लिए उत्तराखंड में कोई जगह नहीं है।”
पृष्ठभूमि: क्यों पड़ा ऑपरेशन कालनेमि शुरू करने का फैसला?
बीते कुछ वर्षों में उत्तराखंड के कई जिलों से नकली साधुओं द्वारा लोगों को धोखा देने, जादू-टोने के नाम पर भयभीत कर पैसे ऐंठने, महिलाओं से दैहिक शोषण करने, संपत्ति हड़पने और यहां तक कि मनोवैज्ञानिक रूप से नियंत्रण करने जैसे मामले सामने आए हैं। प्रमुख घटनाएं, हरिद्वार में एक स्वयंभू बाबा द्वारा महिलाओं को झाड़-फूंक के बहाने अकेले में बुलाकर छेड़छाड़ करने का मामला। ऋषिकेश में विदेशी श्रद्धालुओं से भारी रकम लेकर तथाकथित ‘मोक्ष यात्रा’ कराने का झांसा। नैनीताल और पौड़ी में जड़ी-बूटी और तंत्र-मंत्र के नाम पर ग्रामीणों को धोखा देकर लाखों की ठगी।
इन घटनाओं से केवल लोगों की भावनाएं आहत नहीं हुईं, बल्कि सनातन धर्म की साख पर भी सवाल खड़े हो गए। यह अभियान उन सभी मामलों को गंभीरता से लेकर समाज में व्याप्त इस धार्मिक-आवरण वाले अपराध के विरुद्ध निर्णायक कार्रवाई करेगा।
मुख्यमंत्री ने क्यों दी कालनेमि की उपमा?
मुख्यमंत्री धामी ने अपने संबोधन में कहा कि पुराणों में जिस ‘कालनेमि’ ने साधु का रूप धारण कर रामभक्त हनुमान को भ्रमित करने का प्रयास किया था, उसी प्रकार के ‘आधुनिक कालनेमि’ आज समाज में सक्रिय हैं। उन्होंने कहा, “सनातन धर्म को सिर्फ कर्मकांड नहीं, जीवन का मार्गदर्शन देने वाली परंपरा माना गया है। हमें ऐसे असामाजिक तत्वों को चिन्हित कर समाज को उनके प्रभाव से मुक्त करना होगा।”