
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के 97 दिन बाद भारतीय सेना को बड़ी कामयाबी मिली है। सोमवार को श्रीनगर के लिडवास इलाके में हुए एक भीषण मुठभेड़ में सेना ने ‘ऑपरेशन महादेव’ के तहत तीन पाकिस्तानी आतंकियों को मार गिराया। चिनार कॉर्प्स ने पुष्टि की है कि यह कार्रवाई उसी आतंकी नेटवर्क के खिलाफ की गई है जो 22 अप्रैल को बैसरन घाटी में हुए हमले के लिए जिम्मेदार था।
मारे गए आतंकियों में हाशिम मूसा उर्फ सुलेमान और यासिर शामिल हैं, जो पहलगाम हमले में शामिल बताए जा रहे हैं। हालांकि, सेना ने आतंकियों की पहचान की पुष्टि करने के लिए समय मांगा है और कहा है कि शाम तक मीडिया को विस्तृत जानकारी दी जाएगी।
पहलगाम का दर्दनाक हमला: एक झकझोर देने वाला नरसंहार
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर की शांत वादियों में स्थित बैसरन घाटी में उस समय चीख-पुकार मच गई जब तीन heavily armed आतंकियों ने पर्यटकों पर अंधाधुंध फायरिंग कर दी। यह हमला धार्मिक पहचान के आधार पर किया गया था, जिससे देशभर में गुस्से की लहर दौड़ गई।
हमले में 26 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें से अधिकांश पर्यटक थे, और 16 अन्य गंभीर रूप से घायल हुए थे। यह हमला देश की आतंरिक सुरक्षा व्यवस्था के लिए एक चेतावनी बनकर सामने आया। उसी दिन से इस हमले के गुनहगारों की तलाश में सुरक्षा एजेंसियों ने व्यापक अभियान छेड़ दिया था।
ऑपरेशन महादेव: आतंकियों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई
सोमवार सुबह खुफिया जानकारी के आधार पर सेना ने लिडवास इलाके में एक सर्च ऑपरेशन शुरू किया। सुबह लगभग 5:30 बजे पहली बार गोलियों की आवाज सुनाई दी। इसके बाद सेना और CRPF की टीमों ने इलाके की घेराबंदी कर दी। करीब चार घंटे चले ऑपरेशन के बाद तीन आतंकियों को मार गिराया गया। चिनार कॉर्प्स की ओर से जारी बयान में बताया गया कि ऑपरेशन महादेव विशेष रूप से उस आतंकी नेटवर्क के खिलाफ चलाया गया, जो पहलगाम हमले का जिम्मेदार था।
मारे गए आतंकी: कौन थे ये तीन चेहरे?
मारे गए आतंकियों में निम्नलिखित नाम सामने आए हैं,हाशिम मूसा उर्फ सुलेमान – पाकिस्तान का नागरिक, और माने जा रहे मास्टरमाइंड। पाकिस्तानी सेना की स्पेशल सर्विस यूनिट (SSG) से ट्रेनिंग प्राप्त।यासिर – पाकिस्तान का ही रहने वाला और सुलेमान का करीबी सहयोगी, जिसने हमले की योजना में भागीदारी की थी। अली उर्फ तल्हा भाई – एक और पाकिस्तानी आतंकी, जिस पर पहले से 20 लाख रुपये का इनाम घोषित था। गौरतलब है कि सुलेमान और अली को हमले के तुरंत बाद NIA और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने Most Wanted घोषित किया था।
बरामद हथियार: सबूतों से भरा मौत का सामान
मुठभेड़ के बाद सेना को भारी मात्रा में हथियार और विस्फोटक सामग्री मिली है, जिसमें शामिल हैं:
- एक अमेरिकी M4 कार्बाइन
- दो AK-47 राइफलें
- 17 राइफल ग्रेनेड
- बड़ी मात्रा में कारतूस और हैंड ग्रेनेड
- इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, सैटेलाइट फोन और संदिग्ध दस्तावेज
बरामद सामान इस बात की पुष्टि करता है कि आतंकियों को न केवल हथियारबंद किया गया था, बल्कि उन्हें रणनीतिक और तकनीकी तौर पर भी तैयार किया गया था।
पूरे इलाके में सुरक्षा कड़ी, सर्च ऑपरेशन जारी
ऑपरेशन के बाद से श्रीनगर के लिडवास और आस-पास के इलाकों में भारी सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है। DGP जम्मू-कश्मीर और सेना के उच्च अधिकारी खुद ऑपरेशन की निगरानी कर रहे हैं। इस बात की भी आशंका है कि इलाके में और आतंकी छिपे हो सकते हैं, जिसके चलते तलाशी अभियान अभी जारी है।
पहलगाम हमले की पृष्ठभूमि: कौन थे आदिल, मूसा और अली?
24 अप्रैल को अनंतनाग पुलिस ने हमले के दो दिन बाद तीन आतंकियों के स्केच जारी किए थे। उनके नाम थे:
- आदिल हुसैन ठोकर – अनंतनाग का स्थानीय निवासी
- हाशिम मूसा उर्फ सुलेमान – पाकिस्तानी नागरिक
- अली उर्फ तल्हा भाई – पाकिस्तान निवासी
आदिल हुसैन की गिरफ्तारी की खबरें पहले आ चुकी हैं, जबकि मूसा और अली की तलाश में लंबे समय से अभियान चल रहा था। ऐसा माना जा रहा है कि ऑपरेशन महादेव में मारे गए आतंकी इन्हीं में से दो हैं।
NIA की भूमिका और हालिया गिरफ्तारी
कुछ सप्ताह पहले राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने दो संदिग्धों को गिरफ्तार किया था। इनसे पूछताछ में पहलगाम हमले से जुड़े कई सुराग मिले थे। सूत्रों के अनुसार इन्हीं से मिले इनपुट के आधार पर लिडवास इलाके में ऑपरेशन महादेव की योजना बनाई गई थी।
हालांकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि गिरफ्तार संदिग्धों द्वारा जिन आतंकियों के नाम बताए गए थे, वे वही हैं जो मुठभेड़ में मारे गए या नहीं। लेकिन प्रारंभिक जानकारी से लगता है कि यही आतंकी उस हमले के प्रमुख साजिशकर्ता थे।