
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच भारतीय वायुसेना ने एक बड़ा सैन्य अभ्यास शुरू कर दिया है। इस युद्धाभ्यास का नाम ‘आक्रमण’ रखा गया है, जिसमें भारतीय वायुसेना की अग्रिम पंक्ति के लड़ाकू विमानों और प्रमुख स्क्वाड्रनों को शामिल किया गया है। यह अभ्यास व्यापक स्तर पर किया जा रहा है और इसका मकसद भारतीय वायुसेना की युद्ध क्षमता को परखना और बढ़ाना है।
राफेल विमानों की अग्रिम भूमिका
इस अभ्यास में सबसे खास बात यह है कि इसमें भारत के सबसे उन्नत और आधुनिक राफेल लड़ाकू विमान प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं। भारतीय वायुसेना के पास इस समय दो राफेल स्क्वाड्रन हैं — एक अंबाला (हरियाणा) में और दूसरी हाशिमारा (पश्चिम बंगाल) में तैनात है। इन विमानों को अब तक कई अभियानों में सीमित रूप से ही प्रयोग में लाया गया था, लेकिन इस बार उन्हें बड़े पैमाने पर एक ऐसे अभ्यास में तैनात किया गया है जो वास्तविक युद्ध की स्थिति से कम नहीं है।
अभ्यास का उद्देश्य: युद्ध जैसी स्थिति में तैयार रहना
‘आक्रमण’ अभ्यास का मुख्य उद्देश्य भारतीय वायुसेना के पायलटों को वास्तविक युद्ध जैसे हालात में उड़ानें भरने, लक्ष्य पर अचूक हमला करने, और जमीनी तथा पर्वतीय लक्ष्यों को भेदने की तैयारी कराना है। अभ्यास के दौरान पायलटों को लंबी दूरी की उड़ानों में भी भाग लेना पड़ रहा है जिससे उनकी रणनीतिक और तकनीकी क्षमता में सुधार हो सके।
यह अभ्यास सिर्फ तकनीकी अभ्यास नहीं है, बल्कि इसमें मनोवैज्ञानिक और रणनीतिक पहलुओं पर भी ध्यान दिया गया है। पायलटों को सीमित समय में निर्णय लेने, बदलते मौसम और युद्ध स्थिति में त्वरित प्रतिक्रिया देने की ट्रेनिंग दी जा रही है।
पूर्वी सेक्टर से भी पहुंचे विमान
इस अभ्यास में देश के पूर्वी क्षेत्रों से भी लड़ाकू और ट्रांसपोर्ट विमान मंगवाए गए हैं। इन विमानों को पर्वतीय क्षेत्रों में अभ्यास के लिए विशेष रूप से तैनात किया गया है। इस प्रकार, पूरे देश के हवाई अड्डों और बेस से विमानों की भागीदारी इस युद्धाभ्यास को और अधिक व्यापक बनाती है।
एयर हेडक्वार्टर्स की निगरानी में हो रहा अभ्यास
‘आक्रमण’ युद्धाभ्यास की गंभीरता को देखते हुए यह अभ्यास एयर हेडक्वार्टर्स की सीधी निगरानी में किया जा रहा है। वायुसेना के शीर्ष पायलट और अधिकारी इस अभ्यास का हिस्सा हैं और अनुभवी प्रशिक्षकों की देखरेख में हर गतिविधि पर बारीकी से नजर रखी जा रही है।
भारतीय वायुसेना के सूत्रों के मुताबिक, यह अभ्यास न केवल वायुसेना की मौजूदा क्षमताओं को परखने का मौका है, बल्कि यह यह दिखाता है कि भारत किसी भी चुनौती का जवाब देने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
पहलगाम आतंकी हमला: तनाव की जड़
यह युद्धाभ्यास उस समय शुरू किया गया है जब भारत-पाकिस्तान संबंधों में फिर से तनाव देखने को मिला है। मंगलवार, 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पर्यटन स्थल पहलगाम के बैसरन मैदान में आतंकियों ने निर्दोष पर्यटकों पर हमला कर दिया। इस हमले में 25 भारतीय नागरिकों और एक नेपाली नागरिक की मौत हो गई, जबकि कई अन्य घायल हैं।
इस नृशंस हमले के बाद देशभर में आक्रोश फैल गया और सरकार ने तुरंत कड़ा रुख अपनाया। इस घटना के पीछे सीमा पार से प्रायोजित आतंकवाद की भूमिका मानी जा रही है। भारतीय खुफिया एजेंसियों की शुरुआती रिपोर्ट्स के अनुसार, इस हमले की योजना पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों ने बनाई थी।
वायुसेना का इतिहास: जवाब देने की परंपरा
भारतीय वायुसेना इससे पहले भी 2019 में पुलवामा आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के बालाकोट में की गई एयर स्ट्राइक में अहम भूमिका निभा चुकी है। उस समय मिराज-2000 विमानों का उपयोग कर आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया गया था।
उसके बाद से भारतीय वायुसेना ने अपने बेड़े में कई आधुनिक और ‘फोर्स मल्टीप्लायर’ उपकरण शामिल किए हैं। इनमें राफेल लड़ाकू विमान, एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम, अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर और नेट्राजी जैसी निगरानी प्रणालियां शामिल हैं। यह सभी उपकरण वायुसेना की ऑपरेशनल क्षमता को कई गुना बढ़ा चुके हैं।