देव भूमि उत्तराखंड, जिसे देवी-देवताओं की भूमि माना जाता है, यहां कई रहस्यमय कथाएं प्रचलित हैं। लेकिन आज हम आपको एक अद्भुत प्रथा ‘गडयाऊ’ के बारे में बताएंगे, जो आत्माओं के दर्द और उनकी मुक्ति का एक अनूठा माध्यम है। गडयाऊ प्रथा उन आत्माओं के लिए आयोजित की जाती है जो यमलोक और पृथ्वी लोक के बीच उलझी हुई हैं, विशेष रूप से उन आत्माओं के लिए जिनकी मृत्यु किसी दुर्घटना या रहस्यमय तरीके से हुई हो।
गडयाऊ प्रथा की प्रक्रिया
उत्तराखंड में गडयाऊ प्रथा का आयोजन आमतौर पर पांच से सात दिनों तक चलता है। इस प्रक्रिया का उद्देश्य मृतकों की आत्माओं को शांति और मुक्ति दिलाना है। इस प्रथा के तहत, परिवार के सदस्य अपनी पितरों की आत्माओं के लिए इस आयोजन का सहारा लेते हैं।
प्रथा के पहले दिन, ओजियों (जो डमरू बजाते हैं और मंत्रोच्चार करते हैं) के आह्वान पर, आत्मा अपने परिवार के किसी सदस्य के शरीर को माध्यम के रूप में चुनती है। इसके बाद, आत्मा उस व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करके अपनी व्यथा को गीत और नृत्य के माध्यम से व्यक्त करती है। यह प्रक्रिया परिवार के लिए एक भावनात्मक अनुभव होती है, जिसमें आत्मा अपने प्रियजनों के साथ एक बार फिर से जुड़ने का प्रयास करती है।
सुरेश सेमवाल की कहानी: व्यक्तिगत अनुभव
टिहरी गढ़वाल के बछणगांव के निवासी सुरेश सेमवाल ने अपने पितृ के अनुभव को साझा किया। उनके पिता, गोविंदराम, खच्चरों के माध्यम से दुकान के लिए सामान लाते थे। एक दिन, जब वह किबार्श गांव से चीनी के कट्टे लेकर आ रहे थे, रास्ते में एक लोमड़ी ने उनके खच्चरों को विचलित कर दिया, जिसके कारण खच्चर खाई में गिर गया। इसके बाद, गोविंदराम बीमार रहने लगे और अंततः उनकी मृत्यु हो गई।
सुरेश बताते हैं कि उनके पिता की मृत्यु के बाद, उन्होंने गडयाऊ का आयोजन किया। इस दौरान, उनके पिता की आत्मा उनके शरीर में अवतरित हुई। सुरेश ने अनुभव साझा करते हुए कहा, “जब पितृ आपके शरीर में आते हैं, तो आपको अपनी सुध नहीं रहती। आप वही करते हैं, जो पितृ आपसे करवाना चाहते हैं।” यह अनुभव उनके लिए भावुक था, क्योंकि पितृ अपने परिवार के सभी सदस्यों से गले मिलकर विलाप करते हैं, जो सभी के लिए एक गहन भावनात्मक क्षण होता है।
शोक का माहौल
इसी गांव के सुनील जोशी ने बताया कि लोग इस प्रथा को पसंद नहीं करते हैं, क्योंकि जब पितृ नाचते हैं, तो यह सभी को रुला देता है। लगभग सात दिन तक घर में शोक का माहौल बना रहता है। हालांकि, लोग अपने पितरों के प्रति सम्मान और श्रद्धा को बनाए रखने के लिए इस प्रथा को मनाते हैं।
गडयाऊ का महत्व
गडयाऊ प्रथा केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह परिवारों के लिए एक जुड़ाव का माध्यम है। आत्मा की आवाज़ सुनने का यह तरीका, परिवार के सदस्यों को उनके प्रियजनों के साथ पुनः जुड़ने का अवसर देता है। यह एक प्रकार का सांस्कृतिक समारोह है, जो मृत्यु और जीवन के चक्र को समझने में मदद करता है।
इस प्रथा का आयोजन परिवार के सदस्यों के लिए उनके पितरों की आत्मा के प्रति श्रद्धा और सम्मान व्यक्त करने का एक तरीका है। यह प्रथा आत्मा की मुक्ति के साथ-साथ परिवार के संबंधों को भी मजबूत बनाती है।