
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस की शुक्रवार को थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में मुलाकात हुई। यह मुलाकात बिम्सटेक (Bay of Bengal Initiative for Multi-Sectoral Technical and Economic Cooperation) सम्मेलन से इतर आयोजित की गई थी। खास बात यह रही कि यह मुलाकात शेख हसीना की सरकार के सत्ता से बाहर होने के बाद दोनों नेताओं के बीच पहली बैठक थी।
बांग्लादेश के लोकतांत्रिक और स्थिर भविष्य के प्रति समर्थन
प्रधानमंत्री मोदी और मोहम्मद यूनुस के बीच करीब 40 मिनट तक बातचीत हुई, जिसमें भारत और बांग्लादेश के द्विपक्षीय संबंधों, क्षेत्रीय सुरक्षा और समावेशी शासन पर चर्चा की गई। भारत की विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने बांग्लादेश के लोकतांत्रिक, स्थिर, और समावेशी भविष्य के प्रति भारत के समर्थन की बात दोहराई।
प्रधानमंत्री ने विशेष रूप से बांग्लादेश में हिन्दू और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर अपनी चिंता भी जाहिर की। उन्होंने कहा, “भारत बांग्लादेश में समावेशी और प्रगतिशील शासन के पक्ष में है और हम चाहते हैं कि बांग्लादेश में समाज के हर वर्ग को समान अधिकार मिलें।” इसके साथ ही, प्रधानमंत्री ने यह भी अपील की कि दोनों देशों के बीच माहौल खराब करने वाली बयानबाजी से बचा जाना चाहिए, ताकि क्षेत्रीय शांति बनी रहे।
सीमा पर सख्त रुख: अवैध घुसपैठ पर ध्यान
भारत और बांग्लादेश के बीच सीमा सुरक्षा को लेकर भी चर्चा की गई। प्रधानमंत्री मोदी ने बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस से कहा कि सीमा पर सख्ती से अवैध घुसपैठ को रोका जा सकता है और यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि दोनों देशों के बीच कोई सीमा विवाद न हो। भारत और बांग्लादेश की सीमा पर अवैध घुसपैठ के मुद्दे पर दोनों देशों के बीच पहले भी चर्चा होती रही है, और यह मुलाकात इस पर एक सकारात्मक रुख को आगे बढ़ाने का संकेत देती है।
मोहम्मद यूनुस का कार्यकाल: विवाद और आलोचना
बीते साल अगस्त में शेख हसीना की सरकार के सत्ता से बेदखल होने के बाद मोहम्मद यूनुस ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का नेतृत्व संभाला था। हालांकि, उनके कार्यकाल को लेकर कई विवाद खड़े हुए हैं। उनकी सरकार के दौरान बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से हिन्दू समुदाय, पर अत्याचार की घटनाओं में वृद्धि देखी गई है। यह घटनाएँ बांग्लादेश और भारत के रिश्तों में खटास का कारण बनीं।
हाल ही में, मोहम्मद यूनुस ने चीन के दौरे के दौरान भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों को लेकर एक विवादास्पद बयान दिया था, जिसने दोनों देशों के रिश्तों में और तनाव पैदा कर दिया। यूनुस ने कहा था कि भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य “चारों ओर से जमीन से घिरे” हैं और इनके पास समुद्र तक पहुंच नहीं है, इसलिये बांग्लादेश के लिए एक महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक स्थान हो सकता है।
उनका यह बयान भारत के लिए आपत्तिजनक था, क्योंकि उन्होंने भारत के क्षेत्रीय मामलों को लेकर चीन के पक्ष में बयान दिया था। इसके परिणामस्वरूप भारत ने आधिकारिक चैनल के जरिए बांग्लादेश से इस बयान पर अपनी नाराजगी व्यक्त की थी। इस बयान को लेकर बांग्लादेश और भारत के बीच सार्वजनिक तौर पर तनाव देखा गया था।
चीन दौरे पर मोहम्मद यूनुस का बयान और भारत की प्रतिक्रिया
मोहम्मद यूनुस के बयान ने भारत में भारी प्रतिक्रिया उत्पन्न की। चीन के साथ बांग्लादेश के बढ़ते आर्थिक संबंधों को लेकर भी कई सवाल उठने लगे हैं। यूनुस का यह बयान विशेष रूप से विवादास्पद था, क्योंकि भारत ने हमेशा ही अपने उत्तर-पूर्वी राज्यों के क्षेत्रीय मामलों में बाहरी हस्तक्षेप के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है।
भारत के लिए यह बयान चुभता हुआ था, क्योंकि इसमें न केवल बांग्लादेश की स्वतंत्रता की ओर इशारा किया गया था, बल्कि यह चीन के बढ़ते प्रभाव को भी दर्शाता था। भारत की ओर से प्रतिक्रिया के बाद बांग्लादेश ने इस मुद्दे को शांत करने की कोशिश की, लेकिन यह विवाद दोनों देशों के रिश्तों में एक और दरार डालने का कारण बन गया।