प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार (15 नवंबर, 2024) को दिल्ली के इंदिरा गांधी खेल परिसर में आयोजित पहले बोडोलैंड महोत्सव का उद्घाटन किया। इस अवसर पर पीएम मोदी ने देव दीपावली और गुरु नानक जयंती की शुभकामनाएं दीं और साथ ही जनजातीय गौरव दिवस के मौके पर देशवासियों को बधाई दी। उन्होंने महोत्सव में शामिल बोडो समुदाय के लोगों के संघर्ष, शांति और समृद्धि के नए दौर की सराहना की और बोडो शांति समझौते के बाद की प्रगति को ऐतिहासिक बताया।
बोडो समुदाय का संघर्ष और शांति समझौते का महत्व
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने उद्घाटन भाषण में बोडो समुदाय की 50 साल की संघर्षपूर्ण यात्रा की याद ताजा की। उन्होंने कहा, “50 साल का रक्तपात, 50 साल की हिंसा, तीन-चार पीढ़ियों के युवा इस हिंसा में खप गए, लेकिन दशकों बाद आज बोडो महोत्सव मनाया जा रहा है। यह हमारे लिए एक बहुत बड़ा कदम है।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस महोत्सव का उद्घाटन उनके लिए एक भावुक पल है और यह उनके दिल के बेहद करीब है। उन्होंने कहा, “कल्पना नहीं कर सकते होंगे कि आज का यह अवसर मेरे लिए कितना इमोशनल है। ये पल मुझे भावुक करने वाले हैं। दिल्ली में बैठे-बैठे एयर कंडीशन कमरों में बैठकर तरह-तरह की थ्योरियां लिखने वालों को अंदाजा नहीं होगा कि ये कितना बड़ा अवसर है।”
शांति समझौते का प्रभाव और बोडो भूमि की प्रगति
प्रधानमंत्री मोदी ने बोडो शांति समझौते का उल्लेख करते हुए कहा कि यह समझौता बोडो समुदाय और असम के विकास के लिए मील का पत्थर साबित हुआ है। उन्होंने कहा, “2020 में बोडो शांति समझौते के बाद मुझे कोकराझार जाने का अवसर मिला था। वहां मुझे अपार स्नेह और अपनापन मिला। बोडो भूमि की प्रगति आज काफी महत्वपूर्ण है। शांति सहमति के बाद बोडो भूमि ने विकास की राह पकड़ी है।”
प्रधानमंत्री मोदी ने बोडो समुदाय के लोगों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि बोडो शांति समझौते का आपके जीवन पर सकारात्मक प्रभाव देखना मेरे लिए गर्व की बात है। यह विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था, और मैं आज आपको धन्यवाद देने और आपके परिवारों को प्रणाम करने के लिए यहां आया हूं।
शांति की दिशा में हिंसा का त्याग
प्रधानमंत्री मोदी ने बोडो समुदाय के संघर्ष का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने हिंसा की राह छोड़कर शांति की दिशा में कदम बढ़ाया। उन्होंने कहा, “मैं नक्सलवाद के युवाओं से कहता हूं, बम, बंदूक और पिस्तौल से कोई परिणाम नहीं आता है। बोडो ने जिस रास्ते को अपनाया है, उसी से वास्तविक परिणाम आए हैं। आपने अच्छा किया है कि आपने दिल्ली में आकर शांति का संदेश दिया है।”
पीएम मोदी ने बोडो समुदाय की निष्ठा और शांति के लिए उनके समर्पण की सराहना की और कहा कि बोडो समुदाय ने अपने संघर्षों के बावजूद लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण रास्ते को चुना। यह न केवल असम, बल्कि पूरे देश के लिए एक उदाहरण है कि कैसे संघर्ष को शांति की ओर मोड़ा जा सकता है।
असम और नॉर्थ ईस्ट के विकास की दिशा
प्रधानमंत्री मोदी ने असम और नॉर्थ ईस्ट के विकास को अपनी प्राथमिकताओं में बताया। उन्होंने कहा, “मेरे लिए असम और पूरा नॉर्थ ईस्ट ‘अष्ट लक्ष्मी’ के समान हैं। अब विकास का सूर्य पूरब से उगेगा। हम नॉर्थ ईस्ट के सीमा विवादों को सुलझाने के प्रयास कर रहे हैं और असम के विकास को एक नया दिशा दे रहे हैं।”
प्रधानमंत्री ने असम में हो रहे विकास कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि राज्य में नए मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों के निर्माण से लोगों को राहत मिल रही है और युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं। उन्होंने आगे कहा, “असम अब विकास के नए रिकॉर्ड बना रहा है। यहां का हर क्षेत्र तेजी से बदल रहा है, और यह नॉर्थ ईस्ट का सुनहरा दौर शुरू हो चुका है।”
बोडो भूमि की सांस्कृतिक धरोहर और भविष्य
प्रधानमंत्री मोदी ने बोडो भूमि की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर की भी सराहना की। उन्होंने कहा, “मैं बोडो भूमि को सैकड़ों सालों की संस्कृति का बसेरा मानता हूं, और हमें इसे सशक्त करना है। इस भूमि को आगे बढ़ाने के लिए हमें सभी सहयोगियों के साथ मिलकर काम करना होगा।”
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि बोडो समुदाय के लोगों ने अपने संघर्ष और समर्पण से न केवल शांति की मिसाल पेश की है, बल्कि विकास के रास्ते पर भी कदम बढ़ाए हैं। उन्होंने बोडो समुदाय से वादा किया कि सरकार उनके आशाओं और अपेक्षाओं को पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी। उन्होंने कहा, “मैं आपकी आशाओं और अपेक्षाओं को पूरा करने में कोई कमी नहीं रखूंगा। आप लोगों ने मुझे जीत लिया है, और मैं हमेशा-हमेशा आपका, आपके लिए और आपके कारण हूं।”