
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में संविधान के 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा पर बहस के दौरान कांग्रेस और गांधी परिवार पर तीखा हमला किया। उन्होंने इस बहस में कहा कि कांग्रेस के एक परिवार ने देश के संविधान को चोट पहुँचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। मोदी ने संविधान के महत्व को रेखांकित करते हुए कांग्रेस और गांधी परिवार की नीतियों पर आलोचना की, जिन्हें उन्होंने देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था और संविधान के प्रति अवमानना करार दिया।
संविधान के साथ कांग्रेस का खिलवाड़: पीएम मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कांग्रेस पार्टी और उसके नेताओं पर आरोप लगाया कि उन्होंने बार-बार संविधान की अवमानना की और इसका मखौल उड़ाया। उन्होंने कहा कि “कांग्रेस के एक परिवार ने संविधान को चोट पहुँचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इस परिवार के कुविचार, कुरीति, और कुनीति की परंपरा निरंतर चल रही है। हर स्तर पर इस परिवार ने संविधान को चुनौती दी है।”
उन्होंने कांग्रेस के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से लेकर इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और अन्य कांग्रेस नेताओं द्वारा संविधान में किए गए संशोधनों का हवाला दिया। मोदी ने यह भी कहा कि कांग्रेस की संविधान के प्रति इस “असंवेदनशीलता” ने भारत के लोकतांत्रिक ढांचे को नुकसान पहुँचाया।
संविधान निर्माताओं का अपमान: पीएम मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने विशेष रूप से 1950 और 1952 के बीच भारत में चुनाव प्रक्रिया की शुरुआत और संविधान की प्रगति पर चर्चा की। उन्होंने कहा, “1947 से 1952 तक इस देश में चुनी हुई सरकार नहीं थी। एक अस्थायी व्यवस्था, एक सेलेक्टेड सरकार थी। चुनाव नहीं हुए थे, और संविधान निर्माता मुश्किल में थे।” पीएम मोदी ने इस दौरान यह भी बताया कि संविधान बनाने के कुछ वर्षों बाद ही, तत्कालीन सरकार ने ऑर्डिनेंस जारी करके संविधान को बदलने की कोशिश की थी।
उन्होंने आरोप लगाया कि यह संविधान निर्माताओं का अपमान था, जो बिना जनादेश के संविधान को बदलने की कोशिश कर रहे थे। मोदी ने नेहरू सरकार द्वारा संविधान के मूल सिद्धांतों की उपेक्षा की और कहा कि “जो संविधान सभा में नहीं करवा पाए, उन्होंने पीछे के दरवाजे से वह काम कर दिया।”
नेहरू और कांग्रेस की संविधान संबंधी चिट्ठी
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की एक चिट्ठी का भी उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने लिखा था कि यदि संविधान किसी भी तरह से कांग्रेस की योजना के रास्ते में आता है, तो इसे हर हाल में बदलना चाहिए। मोदी ने कहा कि “जब संविधान के निर्माता, जैसे कि राजेंद्र प्रसाद और आचार्य कृपलानी, ने इसका विरोध किया, तो नेहरू ने उनकी सलाह को दरकिनार कर दिया और अपने तरीके से संविधान को मोड़ने की कोशिश की।”
संविधान संशोधन का “खून” कांग्रेस के मुंह लग चुका था: पीएम मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी आरोप लगाया कि संविधान में किए गए लगातार संशोधन कांग्रेस के लिए एक आदत बन गए थे। उन्होंने कहा, “कांग्रेस के मुंह लगा संविधान संशोधन का खून। छह दशकों में करीब 75 बार संविधान में बदलाव किया गया।” उन्होंने 1975 में इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल लागू करने के संदर्भ में कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटते हुए संविधान में बदलाव करने की प्रवृत्ति ने देश में लोकतंत्र की बुनियादी संस्थाओं को कमजोर किया।
मोदी ने बताया कि 1975 में इंदिरा गांधी ने जब चुनावों में हार का सामना किया और अदालत ने उन्हें चुनावों में धोखाधड़ी के आरोप में दोषी पाया, तब उन्होंने लोकतंत्र को कुचलने के लिए आपातकाल लागू किया। इसके बाद उन्होंने संविधान में 39वां संशोधन किया, जिससे राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव को कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती थी।
नेहरू से लेकर राजीव गांधी तक: पीएम मोदी का हमला जारी
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह परंपरा यहीं नहीं रुकी। उन्होंने कहा कि “नेहरू ने जो शुरू किया था, उसे इंदिरा गांधी ने आगे बढ़ाया, और यही कारण है कि राजीव गांधी की सरकार ने शाह बानो मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलट दिया। उन्होंने न्यायालय के फैसले को नकारते हुए कट्टरपंथियों के दबाव में आकर संविधान का उल्लंघन किया।”
मोदी ने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस ने न्यायपालिका और संविधान को ताक पर रखकर अपनी सत्ता को स्थिर रखने की कोशिश की। उन्होंने विशेष रूप से शाह बानो मामले का हवाला देते हुए कहा कि “राजीव गांधी ने एक वृद्ध महिला को न्याय दिलाने के बजाय कट्टरपंथियों के साथ गठबंधन किया और सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया।”
पूर्व पीएम मनमोहन सिंह पर भी कटाक्ष
प्रधानमंत्री मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि मनमोहन सिंह ने एक किताब में कहा था कि पार्टी अध्यक्ष सत्ता का केंद्र होता है, और सरकार पार्टी के प्रति जवाबदेह होती है। मोदी ने इस टिप्पणी का संदर्भ देते हुए कहा कि यह वह समय था जब नेशनल एडवाइजरी काउंसिल (NAC) जैसी संस्था ने पीएमओ पर नियंत्रण रखना शुरू कर दिया था, जो संवैधानिक रूप से गलत था।
राहुल गांधी पर तंज
प्रधानमंत्री मोदी ने अंत में कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर भी तंज कसा। उन्होंने कहा, “कांग्रेस के कुछ लोग संविधान का अपमान करने के बाद उसे खुले तौर पर चुनौती देते हैं। एक अहंकारी व्यक्ति कैबिनेट के फैसले को फाड़ दे और फिर उसकी सरकार अपना निर्णय बदल दे, यह लोकतंत्र की कितनी बड़ी बेइज्जती है।” मोदी ने कहा कि यह कांग्रेस की आदत बन चुकी है कि वह संविधान का सम्मान नहीं करती और हमेशा अपनी इच्छाओं के अनुरूप उसे बदलने की कोशिश करती है।