संविधान दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुप्रीम कोर्ट में आयोजित एक भव्य समारोह में संबोधन दिया। इस अवसर पर उन्होंने भारतीय संविधान की शक्ति और उसकी भूमिका पर जोर दिया, साथ ही देश की सुरक्षा को लेकर कड़ा संदेश दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत अपनी सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करेगा और आतंकवाद के खिलाफ सख्त कदम उठाएगा। साथ ही, उन्होंने देशवासियों को संविधान दिवस की बधाई देते हुए इसे भारतीय लोकतंत्र और संविधान के प्रति सम्मान की अभिव्यक्ति बताया। प्रधानमंत्री मोदी ने विशेष रूप से संविधान के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर इसे देश के लिए एक गौरवमयी क्षण करार दिया। उन्होंने इस दिन को याद करते हुए कहा, “भारत का संविधान हमारे वर्तमान और भविष्य का मार्गदर्शक है, जिसने हर चुनौती का सामना किया और उन्हें अवसरों में बदलने की दिशा दिखाई।”
आतंकवाद के खिलाफ कड़ा संदेश
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में भारत की सुरक्षा को लेकर स्पष्ट रुख अपनाया और कहा कि कोई भी आतंकी संगठन भारत की सुरक्षा को चुनौती नहीं दे सकता। उन्होंने कहा, “मैं यह दोहराना चाहता हूं कि भारत किसी भी आतंकी संगठन को मुंहतोड़ जवाब देगा, जो हमारी सुरक्षा को चुनौती देगा।” प्रधानमंत्री ने यह भी याद दिलाया कि आज मुंबई में हुए आतंकवादी हमले की बरसी है, और उन्होंने हमले में मारे गए सभी लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
संविधान की शक्ति और उसकी भूमिका
प्रधानमंत्री ने संविधान की भूमिका पर भी विशेष रूप से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “हमारे संविधान ने हर संकट और चुनौती का समाधान ढूंढा। चाहे वह आपातकाल हो या राज्य के संवैधानिक संरचना को चुनौती देने की स्थिति। संविधान की शक्ति ने हमेशा हमें उस स्थिति से उबरने की दिशा दी है।” उन्होंने यह भी बताया कि जम्मू और कश्मीर में बाबा साहब आंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान के पूर्ण रूप से लागू होने का एक ऐतिहासिक पल है, जो इस समय की सबसे बड़ी उपलब्धि है।
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि आज के दिन जम्मू और कश्मीर में भी संविधान दिवस मनाया जा रहा है, जो कि एक ऐतिहासिक परिवर्तन है। उन्होंने बाबा साहब आंबेडकर के विचारों को याद करते हुए कहा कि उन्होंने संविधान सभा के दौरान कहा था कि संविधान केवल वकीलों का दस्तावेज नहीं है, बल्कि यह समाज के हर व्यक्ति को समान अवसर और सम्मान प्रदान करता है।
संविधान की भावना को मजबूत करना
प्रधानमंत्री मोदी ने संविधान की भावना को भी अहम बताया। उन्होंने बताया कि भारतीय संविधान की मूल प्रति में भगवान राम और माता सीता की तस्वीरें हैं, ताकि भारतीय संस्कृति और मानवीय मूल्यों की याद बनी रहे। उन्होंने कहा, “यह तस्वीरें हमें हमारे सांस्कृतिक और मानवीय मूल्यों को याद दिलाती हैं, जो आज के भारत की नीतियों और निर्णयों का आधार हैं।”
उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि आजादी के 75 साल बाद, जो पहले केवल तीन करोड़ घरों में पानी की सुविधा थी, आज वह सुविधा लाखों घरों तक पहुंच चुकी है। यह संविधान की भावना को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
समावेशी विकास की दिशा में कदम
प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में 53 करोड़ से अधिक भारतीयों के बैंक खाते खोले गए हैं, जिससे वे बैंकिंग सुविधाओं तक पहुंच पाए हैं, जो पहले किसी कारणवश नहीं मिल पाती थीं। इसी प्रकार, 4 करोड़ से ज्यादा भारतीयों के घर पक्के हुए हैं, जो विकास के एक नए युग की शुरुआत है। प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि दिव्यांग व्यक्तियों को भी पहचान दिलाई गई है, और उनके लिए विशेष योजनाएं बनाई गई हैं।
इसके अलावा, उन्होंने वरिष्ठ नागरिकों के लिए डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र की सुविधा की बात की, जिससे अब उन्हें बैंकों में जाकर यह साबित नहीं करना पड़ता कि वे जीवित हैं।
डिजिटल इंडिया की दिशा
प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि भारत सरकार ने सुदूर इलाकों में हजारों मोबाइल टावर लगाए हैं, ताकि 4जी और 5जी नेटवर्क की सुविधा देश के हर हिस्से तक पहुंच सके। इस तरह से डिजिटल इंडिया की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं, जिससे देश में सभी को एक समान अवसर मिल सके। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि “हमारा लक्ष्य हर नागरिक का सपना है – विकसित भारत। हम इसके लिए काम कर रहे हैं, ताकि हर भारतीय को समृद्धि और अवसर मिल सके।”
संविधान और राष्ट्र प्रथम की भावना
प्रधानमंत्री ने डॉ. राजेंद्र प्रसाद के एक प्रसिद्ध उद्धरण का हवाला देते हुए कहा कि संविधान केवल एक दस्तावेज नहीं है, बल्कि यह राष्ट्र की भावनाओं और प्राथमिकताओं का प्रतीक है। उन्होंने कहा, “डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने संविधान सभा में कहा था कि भारत को ईमानदार लोगों के समूह की आवश्यकता है जो देश के हित को अपने से ऊपर रखें। राष्ट्र प्रथम की यह भावना भारतीय संविधान को हमेशा जीवित रखेगी। “प्रधानमंत्री ने बताया कि उन्होंने अपने कार्यकाल में संविधान की भावना का पालन किया है और कभी भी उसका उल्लंघन नहीं किया।