
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को बिहार के सीवान जिले के जसौली में एक विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए विपक्ष, खासतौर पर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस पर तीखा हमला बोला। अपने लगभग 40 मिनट के भाषण में प्रधानमंत्री ने “जंगलराज”, “परिवारवाद”, “बाबा साहब का अपमान”, और “दलित विरोधी मानसिकता” जैसे मुद्दों को केंद्र में रखा और जनता से इन दलों को राजनीतिक सबक सिखाने की अपील की।
जंगलराज की याद दिलाई, युवाओं से की सीधी बात
अपने भाषण की शुरुआत में ही प्रधानमंत्री मोदी ने बिहार के युवाओं को उस दौर की याद दिलाई जब राज्य में “जंगलराज” का बोलबाला था। उन्होंने कहा कि राजद की सरकार के दौरान बिहार अपराध, भ्रष्टाचार और जातीय हिंसा का पर्याय बन गया था। “याद कीजिए वो दिन, जब बिहार की सड़कों पर शाम होते ही सन्नाटा पसर जाता था। अपहरण उद्योग चरम पर था, महिलाओं की सुरक्षा खतरे में थी और प्रशासन नाम की कोई चीज़ नहीं थी। क्या हम फिर उसी बिहार की ओर लौटना चाहते हैं?” प्रधानमंत्री ने मंच से पूछा।
बाबा साहब आंबेडकर के अपमान का मुद्दा उछाला
प्रधानमंत्री ने सभा में एक बेहद भावनात्मक और संवेदनशील मुद्दा उठाया – बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर के अपमान का आरोप। उन्होंने कहा कि हाल ही में राजद नेताओं द्वारा बाबा साहब की तस्वीर को अपमानित करने की घटना से पूरा देश आहत हुआ है।
उन्होंने आरोप लगाया कि राजद और कांग्रेस नेताओं ने जानबूझकर बाबा साहब की तस्वीर को मंच पर पैरों के सामने रखा और आज तक इसके लिए माफी नहीं मांगी। प्रधानमंत्री ने कहा, “राजद और कांग्रेस के लोग खुद को बाबा साहब से भी बड़ा समझते हैं। लेकिन मोदी बाबा साहब को अपने दिल में रखता है, चरणों में नहीं पैरों के सामने।”
उन्होंने यह भी कहा कि बाबा साहब का अपमान सिर्फ एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि देश की आत्मा का अपमान है। “बाबा साहब दलितों, पिछड़ों और वंचितों की आवाज़ थे। जिनके कारण हम सब आज संविधान की छाया में हैं, उनका अपमान करना संविधान का अपमान है,” मोदी ने कहा।
“इनकी राजनीति परिवारवाद तक सीमित है”
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में बार-बार यह दोहराया कि कांग्रेस और राजद की राजनीति सिर्फ अपने परिवार के हितों के लिए है। उन्होंने कहा, “हम कहते हैं ‘सबका साथ, सबका विकास’, लेकिन ये कहते हैं ‘परिवार का साथ, परिवार का विकास’। लालटेन और पंजे वालों की राजनीति का बस यही सार है – परिवार के लिए सत्ता।”
उन्होंने जनता से अपील की कि बिहार की जनता अब बहुत जागरूक हो चुकी है और वह यह देख चुकी है कि कैसे कुछ राजनीतिक दल अपने परिवार को आगे बढ़ाने के लिए समाज के करोड़ों लोगों का भविष्य दांव पर लगा देते हैं।
“दलित-पिछड़ों से नहीं है कोई मतलब”
पीएम मोदी ने राजद और कांग्रेस पर यह भी आरोप लगाया कि इन दलों को दलितों, महादलितों, पिछड़ों और अतिपिछड़ों की कोई चिंता नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर वास्तव में इन वर्गों के लिए इनके दिल में कोई सम्मान होता, तो ये लोग बाबा साहब के अपमान पर तुरंत माफी मांगते। उन्होंने कहा, “बिहार में जगह-जगह पोस्टर लगे हैं, जिनमें लिखा है – ‘बाबा साहब के अपमान पर माफी मांगो’। लेकिन इनसे माफी नहीं मांगी जाएगी, क्योंकि इनके मन में इन वर्गों के लिए कोई स्थान नहीं है।”
भीड़ का जबरदस्त समर्थन
जसौली की यह जनसभा प्रधानमंत्री के भाषण के दौरान बार-बार नारों और तालियों की गूंज से गूंजती रही। भीड़ ने प्रधानमंत्री के हर सवाल और आरोप पर जोरदार प्रतिक्रिया दी। “मोदी, मोदी” के नारों के बीच जब प्रधानमंत्री ने बाबा साहब के अपमान की बात की, तो लोग गुस्से से भर उठे और “राजद हाय-हाय” जैसे नारे लगाने लगे।
राजनीतिक संकेत और चुनावी रणनीति
प्रधानमंत्री का यह दौरा और भाषण स्पष्ट रूप से आने वाले विधानसभा चुनावों की तैयारी का हिस्सा है। उन्होंने न केवल विपक्ष की कमियों को उजागर किया, बल्कि भाजपा की विकासपरक नीतियों और दलित-पिछड़ों के लिए किए गए कामों का भी उल्लेख किया। उन्होंने यह विश्वास जताया कि बिहार की जनता अब “जंगलराज” और “परिवारवाद” की राजनीति को पूरी तरह नकार चुकी है।
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा, “आज देश का युवा नए भारत का निर्माण करना चाहता है। वह जात-पात की राजनीति नहीं, विकास की राजनीति चाहता है। और भाजपा वही राजनीति करती है।”
अंतिम संदेश: “अपमान का बदला मतपर्ची से”
अपने भाषण के समापन में प्रधानमंत्री मोदी ने बिहार की जनता से अपील की कि वे बाबा साहब आंबेडकर के अपमान को न भूलें और आने वाले चुनावों में इसका जवाब अपने वोट से दें। “बिहारवासियों, याद रखिए – जिन्होंने बाबा साहब का अपमान किया है, वे कभी आपके कल्याण की बात नहीं कर सकते। इस बार आपको यह तय करना है कि आपका वोट परिवारवादियों को जाएगा या विकासवादियों को।”