
हरियाणा में गेहूं की फसल का उठान न होने और मंडियों में सड़ रही फसल को लेकर सियासत गरमा गई है। कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने आज कैथल की अनाज मंडी का दौरा कर हालात का जायजा लिया और इस मुद्दे पर प्रदेश की भाजपा सरकार और मुख्यमंत्री नायब सैनी पर जमकर निशाना साधा।
सुरजेवाला ने सरकार पर सीधा आरोप लगाया कि मंडियों में गेहूं की फसल का उठान नहीं हो रहा, जिससे हजारों क्विंटल गेहूं सड़ने के कगार पर है, लेकिन प्रदेश के मुख्यमंत्री हेलीकॉप्टर में उड़ान भर रहे हैं और जमीनी हकीकत से आंखें मूंदे बैठे हैं।
‘मुख्यमंत्री को खेतों में होना चाहिए, न कि हवा में’
कैथल मंडी में मीडिया से बात करते हुए सुरजेवाला ने कहा: “हरियाणा के खेतों में किसानों की मेहनत से उगी गेहूं सड़ रही है, लेकिन मुख्यमंत्री नायब सैनी हेलीकॉप्टर से उड़ानें भर रहे हैं। उन्हें मंडियों की जमीनी हकीकत देखने के लिए धरती पर उतरना चाहिए। किसान तड़प रहा है, मंडी में गेहूं बोरियों में सड़ रहा है, लेकिन सरकार आंख मूंदे बैठी है।” उन्होंने कहा कि हाल ही में आए आंधी-तूफान में खेतों में आगजनी से कई किसानों की फसल जल गई और कई पशुओं की भी मौत हो गई, लेकिन सरकार की ओर से कोई राहत कार्य शुरू नहीं किया गया।
‘ढीली बिजली की तारों से खेतों में लगी आग, सरकार दे मुआवजा’
रणदीप सुरजेवाला ने हाल ही की आंधी और तूफान से किसानों को हुए भारी नुकसान का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि कई जगहों पर खेतों के ऊपर से गुजरती ढीली बिजली की तारों से आग लगने की घटनाएं हुईं, जिससे न केवल गेहूं की खड़ी फसल राख हो गई, बल्कि किसानों की पशुधन को भी नुकसान हुआ।
उन्होंने मांग की कि सरकार को तुरंत खेतों का दौरा कर किसानों को उचित मुआवजा देना चाहिए। सुरजेवाला ने कहा कि मुख्यमंत्री को चाहिए कि वह प्रभावित गांवों का दौरा करें और पीड़ित किसानों से मिलकर उनकी समस्याओं को सुनें।
‘सड़कों पर फसल डालने को मजबूर आढ़ती, लेकिन लाइसेंस रद्द’
सुरजेवाला ने मंडियों की खस्ताहाल व्यवस्था को लेकर भी सरकार पर गंभीर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि मंडी में फसल के उठान के लिए न तो पर्याप्त संसाधन हैं और न ही बारदाना (बोरियां), जिसकी वजह से किसान और आढ़ती दोनों परेशान हैं।
उन्होंने बताया कि हालात इतने खराब हैं कि आढ़ती सड़कों पर फसल डालने को मजबूर हैं, लेकिन जब वे ऐसा करते हैं तो प्रशासन उनके लाइसेंस रद्द कर रहा है। “यह सरासर अन्याय है। फसल उठाने की व्यवस्था सरकार को करनी चाहिए थी, लेकिन जब वह नहीं कर पा रही है, तो आढ़तियों को सजा देना कहां का न्याय है?”
‘ठेकेदारों के पास नहीं संसाधन, उठान में चल रहा है लेनदेन’
रणदीप सुरजेवाला ने मंडियों में ठेकेदारों की भूमिका पर भी सवाल उठाए। उन्होंने आरोप लगाया कि जिन ठेकेदारों को गेहूं का उठान सौंपा गया है, उनके पास न तो वाहन हैं, न मजदूर, न संसाधन। “ठेकेदारों के पास उठान की कोई तैयारी नहीं है, फिर भी उनका लाइसेंस रद्द नहीं किया जा रहा। इसका मतलब साफ है – पैसे का खेल चल रहा है।”सुरजेवाला ने कहा कि यह स्थिति प्रशासन और ठेकेदारों की मिलीभगत का प्रमाण है। अगर सरकार वाकई किसानों के हित में है तो उसे ठेकेदारों के लाइसेंस तत्काल रद्द करने चाहिए।
‘किसान आंदोलन का लिया जा रहा बदला’
कांग्रेस महासचिव ने भाजपा सरकार पर राजनीतिक बदले की भावना से काम करने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन के समय जो किसान और आढ़ती सरकार के खिलाफ खड़े हुए थे, आज उन्हीं को परेशान किया जा रहा है। “सरकार ने किसानों और आढ़तियों से किसान आंदोलन का बदला लेना शुरू कर दिया है। जानबूझकर मंडियों में उठान नहीं किया जा रहा, ताकि किसानों को नुकसान हो और वे सरकार के सामने मजबूर हों।”
‘अगर सरकार नहीं उठा सकती फसल, तो आढ़तियों को मिले जिम्मेदारी’
रणदीप सुरजेवाला ने एक सुझाव भी दिया। उन्होंने कहा कि अगर सरकार और ठेकेदार गेहूं का उठान नहीं कर पा रहे हैं, तो सरकार को चाहिए कि आढ़तियों को यह जिम्मेदारी दे और उन्हें पैसे भी दे ताकि वे खुद किसानों की फसल उठाकर सरकारी गोदामों तक पहुंचा सकें।
उन्होंने कहा, “क्यों न सरकार आढ़तियों को प्रति क्विंटल के हिसाब से भुगतान करे और फसल उठाने का कार्य उन्हें सौंप दे? इससे फसल सड़ेगी नहीं और किसान-आढ़ती दोनों को राहत मिलेगी।”
किसानों का समर्थन, मंडी में गूंजे नारे
सुरजेवाला के मंडी दौरे के दौरान कई किसानों और आढ़तियों ने उनका स्वागत किया और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। किसानों ने बताया कि पिछले कई दिनों से फसल मंडी में पड़ी है, लेकिन उठान का कोई इंतजाम नहीं हो पाया है। “बोरियां नहीं हैं, ट्रॉली नहीं हैं, कोई पूछने वाला नहीं है। ऊपर से हमें ही दोषी ठहराया जा रहा है।