
पंजाब और हरियाणा के बीच चल रहे बहुचर्चित जल विवाद ने सोमवार को नई राजनीतिक और संवैधानिक बहस को जन्म दे दिया जब पंजाब विधानसभा के विशेष सत्र में दो अहम प्रस्तावों को पारित किया गया। ये प्रस्ताव भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) द्वारा हरियाणा को 4500 क्यूसेक अतिरिक्त पानी देने के फैसले के विरोध और केंद्र के डैम सेफ्टी एक्ट, 2021 को खारिज करने को लेकर लाए गए।
सत्र में तीखी बहस, राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप और भावनात्मक वक्तव्यों के बीच यह स्पष्ट हो गया कि पंजाब इस मुद्दे पर किसी भी प्रकार का समझौता करने के मूड में नहीं है। ‘आप’ सरकार ने केंद्र और हरियाणा दोनों पर सीधे तौर पर निशाना साधा और कहा कि पंजाब के जल अधिकारों के साथ कोई भी समझौता नहीं होगा।
सदन में हंगामे के बीच प्रस्ताव पारित
पंजाब विधानसभा के विशेष सत्र में जल स्रोत मंत्री बरिंद्र गोयल ने बीबीएमबी द्वारा हरियाणा को अतिरिक्त पानी देने के फैसले के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया। इस प्रस्ताव में कहा गया कि पंजाब पहले से ही मानवीय आधार पर 4000 क्यूसेक पानी हरियाणा को दे रहा है और इससे अधिक पानी देना राज्य के हितों के खिलाफ है। सरकार ने दावा किया कि हरियाणा की 8500 क्यूसेक पानी की मांग “अनुचित और अव्यावहारिक” है।
इसके बाद डैम सेफ्टी एक्ट 2021 को पंजाब विधानसभा द्वारा “राज्य के अधिकारों में अतिक्रमण” करार देते हुए उसे खारिज कर दिया गया। विधायकों ने इस अधिनियम को संघीय ढांचे के खिलाफ बताया और इसे तुरंत प्रभाव से पंजाब में अमान्य घोषित करने की मांग की।
विरोध का दृश्य: दस्तावेज फाड़े गए
बीबीएमबी के प्रस्ताव की कॉपी को लेकर सदन में तनाव चरम पर पहुंच गया जब विधायक अमृतपाल सिंह सुखानंद ने बोर्ड के फैसले की कॉपी को फाड़ते हुए उसे ‘पंजाब विरोधी’ करार दिया। सदन में विपक्षी सदस्यों ने भी सरकार से स्पष्ट और कठोर रुख अपनाने की मांग की।
स्पीकर ने पहलगाम आतंकी हमले पर जताया दुख
सत्र की शुरुआत में स्पीकर कुलतार सिंह संधवा ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले पर निंदा प्रस्ताव प्रस्तुत किया, जिसे सर्वसम्मति से पारित किया गया। इसमें निर्दोष नागरिकों की मौत पर शोक व्यक्त किया गया और आतंकवाद के विरुद्ध सख्त कदम उठाने की मांग की गई। इसके बाद सदन को 12 बजे तक स्थगित कर दिया गया।
केंद्र और हरियाणा पर आम आदमी पार्टी का हमला
पंजाब सरकार के वरिष्ठ मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने विशेष सत्र के दौरान बेहद तल्ख शब्दों में केंद्र और हरियाणा सरकार पर आरोप लगाए। उन्होंने कहा,
“जब से देश आजाद हुआ है, पंजाब के जल संसाधनों का दोहन किया गया है। केंद्र की भाजपा सरकार और हरियाणा की भाजपा सरकार मिलकर पंजाब के जल अधिकारों को छीनना चाहती हैं। लेकिन आम आदमी पार्टी की सरकार ऐसा कभी नहीं होने देगी।” चीमा ने यह भी स्पष्ट किया कि पंजाब, मानवता के आधार पर अपनी आवश्यकताओं को सीमित रखते हुए पहले से ही हरियाणा को पर्याप्त जल दे रहा है, लेकिन अब अतिरिक्त जल की मांग स्वीकार्य नहीं है।
बीबीएमबी की भूमिका और केंद्र का निर्देश
भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) ने हाल ही में हरियाणा को 4500 क्यूसेक अतिरिक्त पानी देने की सिफारिश की थी। इस पर दो मई को दिल्ली में एक बैठक में केंद्रीय गृह सचिव ने पंजाब सरकार को यह जलराशि हरियाणा को देने की सलाह दी थी। केंद्र ने इसके साथ ही नंगल स्थित भाखड़ा बांध के नियंत्रण कक्ष (कंट्रोल रूम) से पंजाब पुलिस की तैनाती हटाने का निर्देश भी दिया था।
हालांकि रविवार शाम तक पंजाब ने कंट्रोल रूम से नियंत्रण हटाने से इनकार कर दिया था, जिससे यह मामला और अधिक संवेदनशील बन गया।
“जल पंजाब की भी जरूरत”: पंजाब सरकार
जल मंत्री बरिंद्र गोयल ने कहा कि पंजाब में भी पानी की गंभीर कमी है और यहां की कृषि अर्थव्यवस्था जल पर ही आधारित है। उन्होंने कहा,
“हमारे खेत सूख रहे हैं, नहरें सिकुड़ रही हैं और भूजल स्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है। ऐसे में अतिरिक्त जल हरियाणा को देना राज्य के हितों के खिलाफ है।” पंजाब सरकार के मुताबिक राज्य को हर साल 1.89 मिलियन एकड़ फीट (MAF) पानी की जरूरत होती है, लेकिन मौजूदा समय में यह भी उपलब्ध नहीं हो पा रहा।
सत्र में मौजूद रहे राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ नेता
इस विशेष सत्र में राज्यसभा सांसद अमरिंदर सिंह, मलविंदर सिंह कंग, और मंत्री गुरमीत सिंह मीत हेयर सहित कई वरिष्ठ नेता ‘गवर्नर बॉक्स’ में उपस्थित रहे। उनका उपस्थिति इस मुद्दे की संवेदनशीलता और राजनीतिक महत्व को दर्शाती है।