बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी सहयोगी और जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने बीपीएससी (बिहार लोक सेवा आयोग) परीक्षा में हुई गड़बड़ियों के खिलाफ गांधी मैदान के बापू स्थल पर आमरण अनशन शुरू कर दिया है। उनके साथ कई बीपीएससी अभ्यर्थी और समर्थक भी शामिल हुए हैं। इस आंदोलन के चलते पुलिस ने अभ्यर्थियों पर लाठीचार्ज किया था, और प्रशासन ने उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। प्रशांत किशोर ने कहा है कि जब तक बीपीएससी परीक्षा रद्द नहीं की जाती और उच्च स्तरीय जांच नहीं होती, तब तक उनका अनशन जारी रहेगा।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी सरकार के खिलाफ आरोप लगाते हुए प्रशांत किशोर ने अपनी प्रमुख मांगों में बीपीएससी परीक्षा रद्द करने और नए सिरे से परीक्षा आयोजित करने की बात कही। इसके साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि वह उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं जिन्होंने परीक्षाओं से भरे जाने वाले पदों को बिक्री के लिए रखा था। प्रशांत किशोर ने आंदोलन को और तेज करने की चेतावनी दी है, अगर उनकी मांगों पर उचित कार्रवाई नहीं की जाती।
प्रशांत किशोर ने 48 घंटे में कार्रवाई की चेतावनी दी
प्रशांत किशोर ने कहा कि पटना पुलिस के द्वारा लाठीचार्ज किए जाने के बाद उनकी बात करने के लिए सरकार ने उन्हें बुलाया था, और एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद ही उन्होंने यह स्पष्ट किया कि अगर सरकार ने बीपीएससी पेपर लीक पर कार्रवाई के लिए सिर्फ 48 घंटे का समय लिया, तो वह अपना आंदोलन और तेज कर देंगे।
उन्होंने कहा, “मेरी मुख्य मांग बीपीएससी परीक्षा रद्द करना और नए सिरे से परीक्षा आयोजित करना है। इसके अलावा, भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जानी चाहिए जिन्होंने यह परीक्षा बिक्री के लिए रखा था। अगर सरकार हमारी मांगों पर कोई कार्रवाई नहीं करती है तो हमारा आंदोलन और तेज होगा।”
बीपीएससी परीक्षा और भ्रष्टाचार पर प्रशांत किशोर की कड़ी आपत्ति
प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि बिहार में शैक्षिक व्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो चुकी है। एक के बाद एक परीक्षाओं के पेपर लीक हो रहे हैं, और सरकार कुछ नहीं कर रही है। उनका आरोप है कि सरकारी नौकरियों में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं का एक लंबा इतिहास है। उन्होंने कहा कि इस स्थिति को बदलने के लिए उन्होंने अपनी पांच सूत्री मांगें रखी हैं:
- 70वीं बीपीएससी परीक्षा में हुई अनियमितता और भ्रष्टाचार की उच्चस्तरीय जांच की जाए और पुनर्परीक्षा कराई जाए।
- 2015 में 7 निश्चय के तहत किए गए वादे के अनुसार, 18 से 35 साल तक के हर बेरोजगार युवक को बेरोजगारी भत्ता दिया जाए।
- पिछले 10 वर्षों में प्रतियोगी परीक्षाओं में हुई अनियमितताओं और पेपर लीक की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की जाए और इसके संबंध में श्वेतपत्र जारी किया जाए।
- लोकतंत्र की जननी बिहार को लाठीतंत्र बनाने वाले दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए।
- बिहार की सरकारी नौकरियों में बिहार के युवाओं की कम से कम दो तिहाई हिस्सेदारी सुनिश्चित करने के लिए डोमिसाइल नीति लागू की जाए।
प्रशांत किशोर का कहना है कि इन मुद्दों पर कार्रवाई नहीं होने तक उनका आंदोलन और तेज होगा। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार अपने वादों से मुकर रही है और बीपीएससी परीक्षा से जुड़ी अनियमितताओं को नजरअंदाज कर रही है।
जिला प्रशासन की ओर से चेतावनी और विधिक कार्रवाई
प्रशांत किशोर के गांधी मैदान में आमरण अनशन पर बैठने के बाद पटना जिला प्रशासन ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए इस अनशन को गैरकानूनी बताया। प्रशासन ने कहा कि इस धरने का आयोजन गर्दनीबाग में होना चाहिए था, क्योंकि पिछले सात वर्षों से सभी राजनैतिक दल अपनी मांगों को लेकर वही पर धरना देते आए हैं।
पटना प्रशासन ने यह स्पष्ट किया कि प्रशांत किशोर ने बिना अनुमति के गांधी मैदान के बापू स्थल पर धरना शुरू किया था, जो कि अनधिकृत और प्रतिबंधित स्थल है। प्रशासन ने उन्हें चेतावनी दी कि अगर उन्होंने अपना धरना निर्धारित स्थल पर नहीं डाला तो उनके खिलाफ विधिक कार्रवाई की जाएगी।
प्रशांत किशोर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है और उन्हें गर्दनीबाग में धरना देने के लिए नोटिस जारी किया गया है। प्रशासन ने कहा कि अगर वह निर्धारित स्थान पर धरना नहीं देते, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।